लेंस डेस्क। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देश में तनाव बरकरार है। आवामी लीग के हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अब तक दो लोगों के मौत की खबरें आ रही हैं। राजधानी ढाका में विरोध प्रदर्शन देखे जा रहे हैं। कई स्थानों पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और गैस के शेल फेंकने पड़े।
मोहम्मद यूनुस की अस्थायी सरकार को इस फैसले की पूरी भनक पहले से थी इसलिए ढाका में कानून व्यवस्था के लिए पुलिस और आर्मी की मौजूदगी पहले से सुनिश्चित कर ली गई थी। यूनुस के घर के आसपास भी पहरा कड़ा कर दिया गया। फिर भी सोमवार को वर्डिक्ट आने के बाद से माहौल में तनाव फैल गया। पार्टी का आरोप है कि ये फैसला टेम्परेरी गवर्नमेंट और आर्मी के संकेत पर लिया गया सिर्फ पुरानी रंजिश निकालने के लिए। इसी वजह से उन्होंने पूरे देश में दो दिनों का हड़ताल बुला दिया है।
विशेष ट्रिब्यूनल अंतरराष्ट्रीय क्राइम कोर्ट ने शेख हसीना को जुलाई महीने में हुए बड़े विद्रोह के समय इंसानियत के खिलाफ किए गए कृत्यों के लिए सजा सुनाई। कोर्ट ने पूर्व होम मिनिस्टर असदुज्जमां खान कमाल को भी उम्रकैद जैसी सजा और पुराने पुलिस चीफ चौधरी अब्दुल्ला अल मामून को पांच साल की कैद ठोकी।
मामून ने गुनाह कबूल कर गवाह बनने का फैसला लिया था। साथ ही हसीना और असदुज्जमां की प्रॉपर्टी कब्जे में लेने का हुक्म भी जारी हुआ। ये फैसला उनकी गैरमौजूदगी में आया क्योंकि हसीना फिलहाल भारत में शरण लिए हुए हैं जबकि मामून जेल में बंद हैं।
सजा मिलते ही शेख हसीना ने सभी इल्जामों को खारिज करते हुए कहा कि ये राजनीतिक मकसद से लिया गया फैसला है जो पूरी तरह एकतरफा है। उन्होंने जोड़ा कि उन्होंने कोई निर्देश नहीं दिया न ही किसी को भड़काया। अगर कोई निष्पक्ष कोर्ट में सबूतों की सच्ची पड़ताल हो तो वे हर आरोप का मुकाबला करने को तैयार हैं। न्याय व्यवस्था पर भरोसा है लेकिन अपनाई गई प्रक्रिया ने न्याय के सिद्धांतों को तोड़ा है।
भारत और चीन ने क्या कहा?
हसीना ने पिछले साल 8 अगस्त को बड़े विरोध के बाद देश छोड़ दिया था और तब से भारत में ही हैं। इस सजा पर भारत के विदेश विभाग ने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के इस निर्णय को नोटिस किया है।
स्टेटमेंट में जोर दिया गया कि पड़ोसी देश होने के नाते भारत हमेशा बांग्लादेश की जनता के फायदे के लिए खड़ा रहेगा जिसमें वहां शांति लोकतंत्र सबको साथ लेना और स्थिरता सुनिश्चित करना शुमार है। आगे भी भारत सभी गुटों से सकारात्मक संवाद बनाए रखेगा।
चीन के विदेश विभाग की स्पोक्सपर्सन माओ निंग ने ब्रिफिंग में सवाल पर जवाब दिया कि ये बांग्लादेश का घरेलू मुद्दा है। उन्होंने बताया कि चीन सभी बांग्लादेशी नागरिकों के प्रति दोस्ताना रवैया रखने वाला पड़ोसी बना रहेगा। उम्मीद है कि वहां एकता स्थिरता और तरक्की हासिल होगी।

