Congo Mine Accident: दक्षिण-पूर्वी कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक कोबाल्ट खदान पर दिल दहला देने वाली घटना ने दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। लुआलाबा प्रांत के मुलोंडो इलाके में स्थित कालांडो खदान में 15 नवंबर को एक अस्थायी लकड़ी का पुल ढह गया। इस हादसे में कम से कम 50 लोगों की जान जा चुकी है लेकिन अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। बचाव टीमें अभी भी मलबे और पानी से भरी खदान में फंसे लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं।
कैसे हुआ यह दर्दनाक हादसा ?
बताया जा रहा है कि लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन के खतरे के चलते खदान क्षेत्र में प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी। फिर भी, हजारों अवैध खनिक ने रोक तोड़कर खदान में घुसपैठ कर ली। सरकारी एजेंसी SAEMAPE की रिपोर्ट के मुताबिक, मौके पर तैनात सैनिकों ने खनिकों पर गोली चलाई, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
डर के मारे खनिक पानी से भरी खाई पर बने कमजोर लकड़ी के पुल की ओर भागे। इतनी बड़ी भीड़ का बोझ सहन न कर पाने के कारण पुल बीच से टूट गया। लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए और कईयों की मौके पर ही मौत हो गई। मंत्री मायोंडे ने कहा ‘बारिश की वजह से खदान पानी में डूबी हुई थी, जिससे शवों को निकालना बेहद मुश्किल हो रहा है। कई लोग अभी भी लापता हैं।’
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने दिखाई घटना की भयानक तस्वीरें
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस हादसे का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में खदान का विशाल गड्ढा, धूल के गुबार और मलबे में फंसे लोगों की भयावह स्थिति साफ नजर आ रही है।
तस्वीरों से पता चलता है कि करीब 10,000 अवैध खनिक बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के काम कर रहे थे। कई शव पानी के गड्ढे से निकाले जा रहे हैं जबकि कुछ जमीन पर बिखरे पड़े दिखाई दे रहे हैं।
खदान पर लंबे समय से छिड़ा विवाद, अवैध खनन की जड़ें गहरी
यह खदान सालों से विवादों का शिकार रही है। यहां अवैध खनिक, स्थानीय सहकारी समितियां और वैध ऑपरेटरों के बीच नियंत्रण और संचालन को लेकर झड़पें आम हैं। SAEMAPE के अनुसार, खदान पर चीनी समर्थित कंपनियों का कब्जा है, जो वैध खनन चला रही हैं। लेकिन गरीबी और बेरोजगारी के कारण स्थानीय लोग अवैध तरीके से कोबाल्ट निकालने को मजबूर हैं। सैनिकों की मौजूदगी अक्सर तनाव बढ़ाती है, और विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठती है।
कांगो दुनिया का सबसे बड़ा कोबाल्ट उत्पादक
कांगो दुनिया का नंबर एक कोबाल्ट उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का करीब 70-80 फीसदी हिस्सा देता है। यह धातु इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), मोबाइल फोन और लैपटॉप की लिथियम-आयन बैटरियों के लिए जरूरी है। वैश्विक मांग बढ़ने से खनन का दबाव और तेज हो गया है, लेकिन इस उद्योग पर बाल मजदूरी, असुरक्षित कामकाजी हालात और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। खासकर चीनी कंपनियों पर 80 फीसदी उत्पादन पर नियंत्रण का इल्जाम है।
पूर्वी कांगो खनिज संपदा से लबालब है लेकिन दशकों से यहां हिंसा का साया मंडराता रहा है। सरकारी सेनाओं और सशस्त्र गुटों, खासकर रवांडा-समर्थित M23 विद्रोहियों के बीच संघर्ष ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। इससे मानवीय संकट गहरा गया है लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और खनन क्षेत्रों में असुरक्षा बढ़ गई है। यह रिपोर्ट विभिन्न आधिकारिक स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। कोई नई जानकारी आने पर इसे अपडेट किया जाएगा।

