CG NEWS: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों का हवाला देते हुए फैसला सुनाया कि जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए होर्डिंग्स लगाना असंवैधानिक नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने बताया था मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभू दत्त गुरु की खंडपीठ ने 28 अक्टूबर को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि कांकेर जिले की ग्राम सभाओं ने आदिवासी हितों और स्थानीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाते हुए ये होर्डिंग्स लगाए थे। इन होर्डिंग्स ने कई गांवों में ईसाई पादरियों और कुछ धर्मांतरित ईसाइयों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि होर्डिंग्स संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रता और आवागमन (अनुच्छेद 25 और 19(1)(डी)) के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
आठ गांवों में लगे थे होर्डिंग्स
उन्हन्यायालय कहा कि कम से कम आठ गाँवों की ग्राम सभाओं ने पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र (पेसा) अधिनियम के तहत आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का हवाला देते हुए ये होर्डिंग लगाए हैं। याचिकाकर्ताओं को ज्ञात इन गाँवों की सूची में कुडल, पारवी, जुनवानी, घोटा, घोटिया, हवेचुर, मुसुरपुट्टा और सुलंगी शामिल हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 25 धर्म को मानने और उसका प्रचार करने के अधिकार की गारंटी देता है, लेकिन इसमें बल, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से दूसरों का धर्म परिवर्तन करने का अधिकार शामिल नहीं है।
पीठ ने कहा चेतावनीपूर्ण हैं यह होर्डिंग्स
पीठ ने कहा कि ये होर्डिंग्स अवैध धर्मांतरण को रोकने और आदिवासी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए चेतावनी के तौर पर काम करते हैं। अगर ये संवैधानिक प्रावधानों और सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य जैसे उचित प्रतिबंधों का पालन करते हैं, तो ये अपने आप में असंवैधानिक नहीं हैं। न्यायालय ने पुष्टि की कि पेसा अधिनियम के तहत ग्राम सभाओं को स्थानीय संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार तो है, लेकिन यह शक्ति संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले भेदभाव या मनमाने प्रतिबंधों की अनुमति नहीं देती।

