लेंस डेस्क। असम के श्रीभूमि जिले में कांग्रेस के एक आयोजन में ‘आमार सोनार बांग्ला’ गीत गाए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। यह गीत, जो रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था, बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी है। भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और आरोप लगाया कि कांग्रेस ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ की अवधारणा को बढ़ावा दे रही है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे देश का अपमान बताते हुए श्रीभूमि जिला कांग्रेस कमेटी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कुछ बांग्लादेशी दावों के अनुसार पूर्वोत्तर भारत को बांग्लादेश का हिस्सा बनाया जाएगा, और इस घटना को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
असम भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हाल ही में बांग्लादेश ने एक नक्शा जारी किया, जिसमें पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया और अब कांग्रेस असम में उसी देश का राष्ट्रगान गा रही है। उन्होंने इसे एक सुनियोजित एजेंडा करार देते हुए कहा कि इसे न समझने वाला या तो अनजान है या इसमें शामिल है।
असम के मंत्री अशोक सिंघल ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी अवैध घुसपैठियों को संरक्षण देती रही है ताकि वोट बैंक की राजनीति के जरिए राज्य की जनसांख्यिकी को बदला जा सके। उन्होंने कांग्रेस पर ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ के मंसूबों को समर्थन देने का आरोप लगाया।
74 साल के बिधु भूषण दास, जो कांग्रेस सेवा दल के समर्पित कार्यकर्ता हैं, उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के मशहूर गीत “आमार सोनार बांग्ला” की एक पंक्ति गुनगुनाने के बाद विवादों में घिर गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह गीत उन्हें बचपन से पसंद है और इसे गाने के बाद वह हैरान और परेशान हैं।
असम के श्रीभूमि जिले में कांग्रेस सेवा दल के एक आयोजन में बिधु यह गीत गाया था। उनका यह वीडियो असम भाजपा और राज्य के मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया, दावा करते हुए कि यह बांग्लादेश का राष्ट्रगान है और इसकी आलोचना की।
गौरतलब है कि श्रीभूमि, जो पहले करीमगंज के नाम से जाना जाता था, बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है और बराक घाटी का हिस्सा है, जहां बांग्ला भाषी लोग बहुसंख्यक हैं। कांग्रेस ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
‘आमार सोनार बांग्ला’ गीत को टैगोर ने 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में लिखा था। यह गीत उस समय बंगाल की एकता और अंग्रेजी शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बना। 1911 में बंगाल विभाजन रद्द होने के बाद इसने सांस्कृतिक एकता को और मजबूत किया।
कांग्रेस ने किया बचाव
इस विवाद पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि यह गीत टैगोर की रचना है और बंगाली संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने भाजपा पर बंगाली भाषा और संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया।
गोगोई ने कहा कि भाजपा का आईटी सेल पहले भी बंगालियों का मजाक उड़ा चुका है और टैगोर के इतिहास को न समझने की उनकी अज्ञानता उजागर हुई है। कांग्रेस नेता तपस पुरकायस्थ ने भी कहा कि इस गीत की आलोचना करना टैगोर का अपमान है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ‘आमार सोनार बांग्ला’ बंगालियों के लिए भावनात्मक गीत है, जिसे टैगोर ने 1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ लिखा था।
बांग्लादेश ने 1971 में इसकी पहली दस पंक्तियों को राष्ट्रगान बनाया। मोइत्रा ने भाजपा और संघ पर इस ऐतिहासिक संदर्भ को न समझने का तंज कसा।

