रायपुर। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) देशभर में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) और राज्य सूचना आयोगों में खाली पड़े आयुक्तों के पदों पर नियुक्ति की राह खोल दी है।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की डबल बेंच ने ‘अंजलि भारद्वाज एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य’ मामले में अंतरिम आदेश जारी कर केंद्र और राज्यों को सख्त निर्देश दिए हैं।
छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में रुकी प्रक्रिया अब तेज होगी, जबकि अगली सुनवाई 17 नवंबर को निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने CIC के संदर्भ में हमें सूचित किया गया है कि सर्च कमेटी ने कार्य पूरा कर लिया है। अब प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री वाली चयन समिति तीन सप्ताह के भीतर आवेदनों पर विचार कर चयन पूरा करेगी।
बेंच ने भरोसा जताया कि सरकार ‘अंजलि भारद्वाज केस’ में निर्धारित सिद्धांतों का पालन कर प्रक्रिया शीघ्र समाप्त करेगी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने पारदर्शिता और RTI की भावना को मजबूत करने पर जोर दिया।
छत्तीसगढ़ पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा – हाई कोर्ट जल्द करे निपटारा
राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों से ठप पड़ी थी। राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को यह जानकारी दी। इस सूचना के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह संबंधित मामलों का अंतिम निपटारा चार सप्ताह के भीतर करे।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अनुपालन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजने का निर्देश दिया गया है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयुक्त की चयन प्रक्रिया पर मई 2025 में रोक लगा दी थी। चयन प्रक्रिया के बीच में सरकार की तरफ से 25 वर्ष के कार्य अनुभव की शर्तें लागू करने की वजह से रोक लगाई है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस संजय जायसवाल की सिंगल बेंच ने इस पर फैसला दिया है। एक दिन पहले 28 मई को ही राज्य सूचना आयुक्त के दो पदों के लिए 51 आवेदकों ने इंटरव्यू दिया था। लेकिन, अब हाईकोर्ट से रोक लगने की वजह से इसका रिजल्ट जारी नहीं हो सकेगा।
कोर्ट ने चयन प्रक्रिया के बीच कार्य अनुभव की शर्तें लागू करना गलत माना है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई है। 9 जून को अगली सुनवाई के बाद ही इस पर आगे निर्णय लिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग ने राज्य सूचना आयुक्त के दो पदों के लिए चयन प्रक्रिया ने विज्ञापन निकाला था। चयन प्रक्रिया के बीच में 9 मई को 25 वर्ष के कार्य अनुभव की शर्त लागू की गई थी।
इंटरव्यू से पहले इस शर्त को शामिल करने के खिलाफ तीन याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट में 29 मई को इस पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट शरद मिश्रा, प्रसुन्न अग्रवाल और सिद्धार्थ तिवारी ने चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। शासन की तरफ से गवर्नमेंट एडवोकेट शैलजा तिवारी और अंकुर कश्यप ने पक्ष रखा। दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस संजय जायसवाल ने अगली सुनवाई 9 जून तक चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, लेकिन इस मामले में अब तक सुनवाई नहीं हो सकी।
अन्य राज्यों को भी दीं सख्त हिदायतें
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सभी राज्यों को भी सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर हिदायतें दीं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश बड़ी संख्या में पद रिक्त होने के कारण तीन सप्ताह में चयन प्रक्रिया शुरू करें और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें।
तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र को लेकर कोर्ट ने कहा है कि RTI अपीलों/शिकायतों की भारी संख्या को देखते हुए आयुक्तों के नए पद स्वीकृत करने पर विचार करें और निर्णय की सूचना दें।
इसके अलावा सभी राज्य सरकारों को स्वीकृत पदों की संख्या, भरे पदों की स्थिति और चयन प्रक्रिया की प्रगति का विवरण स्टेटस रिपोर्ट में देने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव 45 दिनों में लंबित चयन पूरा करें और हलफनामा दाखिल करें, वरना कोर्ट आवश्यक कार्रवाई करेगा।
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