नई दिल्ली। दिल्ली के गांधी विहार में कुछ समय पहले हुई आग की घटना दरअसल वह थी ही नहीं जिसे मानकर चला जा रहा था। पहले पुलिस को भी यही लगा था कि UPSC की तैयारी कर रहे रामकेश मीना की इस हादसे में मौत हुई थी, लेकिन जांच में पता चला कि यह सुनियोजित मर्डर था।
इस सनसनीखेज मामले की मुख्य साजिशकर्ता एक फॉरेंसिक साइंस की छात्रा थी, जो अपराधों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का दावा करती थी। पुलिस की गहन जांच में खुलासा हुआ कि उसने अपने पूर्व प्रेमी और एक अन्य साथी के साथ मिलकर UPSC की तैयारी कर रहे रामकेश मीना की क्रूर हत्या की और फिर इसे हादसे का रूप देने के लिए आग लगा दी।
इस छात्रा ने एक क्राइम वेब सीरीज से प्रेरित होकर मर्डर की योजना बनाई थी। उसने हर कदम को वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दिया, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल डेटा ने उसकी सारी चालाकी को बेपर्दा कर दिया।
पुलिस ने मुरादाबाद में छापेमारी कर 18 अक्टूबर को अमृता को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने अपने पूर्व प्रेमी सुमित और दोस्त संदीप के साथ मिलकर रामकेश की गला घोंटकर हत्या की और फिर शव को जलाने के लिए आग लगाई।
पुलिस के अनुसार, अमृता अपने पूर्व प्रेमी के साथ रामकेश के फ्लैट पहुंची। वहां उन्होंने पहले उसका गला दबाया, फिर शव पर घी, तेल और शराब डालकर आग लगाई ताकि वह पूरी तरह जल जाए। इसके बाद गैस सिलेंडर का वॉल्व खोलकर कमरे में गैस फैलाई गई, जिससे धमाका हुआ और सब कुछ राख में तब्दील हो गया।
कैसे सुलझी यह गुत्थी?

6 अक्टूबर 2025 को सुबह पुलिस को गांधी विहार में एक इमारत की चौथी मंजिल पर आग लगने की सूचना मिली। दमकल विभाग ने आग बुझाई, लेकिन कमरे में एक जला हुआ शव मिला, जिसकी पहचान 32 वर्षीय रामकेश मीना के रूप में हुई। पहले इसे गैस रिसाव का हादसा माना गया, लेकिन शव की हालत और कमरे में बिखरी वस्तुओं ने पुलिस को संदेह में डाल दिया।
18 अक्टूबर को मुरादाबाद से अमृता को गिरफ्तार किया गया। उसने बताया कि वह रामकेश के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में थी। रामकेश ने उसके निजी वीडियो और तस्वीरें एक हार्ड डिस्क में रखी थीं, जिन्हें हटाने से उसने इनकार कर दिया था। गुस्से में अमृता ने अपने पूर्व प्रेमी सुमित और दोस्त संदीप के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची।
फॉरेंसिक साइंस की जानकारी होने के कारण अमृता को सबूत मिटाने का तरीका पता था। 5-6 अक्टूबर की रात तीनों रामकेश के फ्लैट पहुंचे। उन्होंने उसका गला दबाया, डंडों से पीटा और फिर शव पर घी, तेल और वाइन डालकर आग लगाई। सुमित, जो LPG सिलेंडर का डिस्ट्रीब्यूटर था, ने गैस सिलेंडर का वॉल्व खोलकर आग भड़काने की व्यवस्था की। अमृता ने दरवाजे की जाली हटाकर ताला लगाया ताकि यह हादसा लगे। करीब एक घंटे बाद धमाका हुआ और कमरा जल गया।
पुलिस ने कैसे पकड़ा?
जब क्राइम और फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया, तो सीसीटीवी फुटेज में सारी कहानी साफ होने लगी। 5-6 अक्टूबर की रात 2:20 बजे दो लोग चेहरा ढककर इमारत में घुसे, फिर एक अकेला बाहर निकला।
थोड़ी देर बाद अमृता अपने साथी के साथ बाहर निकलती दिखी। कुछ मिनट बाद आग भड़क उठी। पुलिस ने अमृता का मोबाइल डेटा और कॉल रिकॉर्ड चेक किए, जिसमें उसकी लोकेशन उसी रात गांधी विहार के पास मिली। इससे शक पक्का हो गया, और आखिरकार इस हत्या की गुत्थी सुलझ गई।

