लेंस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े षड्यंत्र मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और तीन अन्य लोगों की जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल न करने के लिए फटकार लगाई।
जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि दिल्ली पुलिस को याचिकाओं का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था और पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि 27 अक्टूबर को मामले का निपटारा होगा।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि जमानत मामलों में जवाब दाखिल करने का कोई सवाल नहीं होता।
कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजु को बताया, “हमने पर्याप्त समय दिया था। आप पहली बार पेश हो रहे हों, लेकिन हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था।” यह बात तब कही गई जब राजु ने याचिकाओं का जवाब देने के लिए दो हफ्ते का और समय मांगा।
कोर्ट ने एएसजी को अगले दिन या उसके बाद बहस करने को कहा, लेकिन राजु ने जवाब के लिए और समय की मांग की।
कोर्ट ने कहा, “नहीं, नहीं, परसों बहस करें और जवाब लाएं। कपिल सिब्बल ने दिवाली से पहले की बात की थी, हमने मना किया था।”
आखिरकार, कोर्ट ने मामले को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि आरोपी लगभग पांच साल से जेल में हैं और मुकदमा शुरू नहीं हुआ है।
कोर्ट ने कहा, “शुक्रवार को सुनिश्चित करें कि आपके पास स्पष्ट निर्देश हों… हम सुनवाई करेंगे। देखें, श्री राजु, क्या कुछ हो सकता है… यह सिर्फ जमानत पर विचार का मामला है। पांच साल बीत चुके हैं।”
आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने स्थगन के अनुरोध का विरोध किया था। सिंघवी ने कहा, “जब मामला देरी से संबंधित है, तो और देरी नहीं हो सकती।”
खालिद और अन्य ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2 सितंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उनकी जमानत खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को पुलिस को नोटिस जारी किया था।
फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर हुए विवाद के बाद दिल्ली में दंगे हुए थे। दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए।
मामला आरोपियों पर कई दंगे भड़काने की साजिश रचने के आरोप से संबंधित है। दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
ज्यादातर आरोपियों के खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज हैं, जिसके चलते अलग-अलग अदालतों में कई जमानत याचिकाएं दायर की गईं। अधिकांश आरोपी 2020 से हिरासत में हैं।
उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उन पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी जमावड़ा और यूएपीए के तहत कई अन्य आरोप लगाए गए थे। वे तब से जेल में हैं।
ट्रायल कोर्ट ने मार्च 2022 में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में उनकी याचिका खारिज की, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था। उनकी याचिका को 14 बार स्थगित किया गया।
14 फरवरी 2024 को खालिद ने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी।
28 मई को ट्रायल कोर्ट ने उनकी दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ अपील को दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को खारिज कर दिया, जिसके बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई।
शरजील इमाम के खिलाफ भी कई राज्यों में प्राथमिकियां दर्ज हैं, जिनमें ज्यादातर राजद्रोह और यूएपीए के आरोप हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए उनके भाषणों से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल उन्हें जमानत दी थी। अलीगढ़ और गुवाहाटी में दर्ज राजद्रोह के मामलों में उन्हें 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट और 2020 में गौहाटी हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। उनके खिलाफ अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भी प्राथमिकियां दर्ज हैं।

