रायपुर। क्या छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अगले महीने होने जा रही डीजीपी कॉन्फ्रेंस में मेजबान छत्तीसगढ़ से ही कार्यवाहक डीजीपी हिस्सा लेंगे?
सत्ता के गलियारे में यह सवाल दिलचस्प चर्चा का विषय बना हुआ है।
ऐसा क्यों ?
दरअसल छत्तीसगढ़ में पिछले करीब आठ महीनों से डीजीपी यानी पुलिस महानिदेशक का प्रभार संभाल रहे 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम की नियुक्ति कार्यवाहक डीजीपी के रूप में हुई थी और आज तक वे कार्यवाहक ही हैं।सरकार अभी तक स्थायी डीजीपी नियुक्त नहीं कर पाई है।
ऐसा क्यों ?
दिलचस्प है कि सत्ता से जुड़े सूत्र कहते हैं कि इस प्रश्न के जवाब प्रशासनिक ना हो कर राजनीतिक हैं।

अरुण देव गौतम के लिए कहा जाता है कि वे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पसंद हैं और जब इस राज्य में मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर उठापटक चल रही थी तब ये कहा जाता था कि मुख्य सचिव तो दिल्ली से तय होगा पर यह तय है कि डीजीपी छत्तीसगढ़ सरकार यानि मुख्यमंत्री की पसंद का ही होगा और इस लिहाज से श्री गौतम का स्थायी डीजीपी बनना तय माना जा रहा था।
लेकिन इस बात को अब करीब आठ महीने हो गए।
श्री गौतम ने इसी वर्ष फरवरी के पहले हफ्ते कार्यवाहक डीजीपी का प्रभार संभाला था और तब से महकमा हर रोज उनके स्थायी होने के आदेश का इंतजार कर रहा है।
कुछ दिनों तक तो लोगों ने इसे सामान्य माना पर अब सवाल हो रहा है कि क्या मुख्य सचिव की तरह राज्य अपने डीजीपी का भी फैसला खुद नहीं कर सकेगा, क्योंकि यदि राज्य नेतृत्व यह फैसला कर सकता होता तो अब तक फैसला हो चुका होता?या फैसला तो राज्य को ही करना है पर राज्य नेतृत्व पर किसी अन्य को डीजीपी बनाए जाने का दबाव है ?
अन्य कौन हैं ?
बताते हैं कि यूपीएससी से राज्य के डीजीपी के लिए दो लोगों का के नाम का पैनल रायपुर भेजा गया था।एक 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम और दूसरे 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता।
बताते हैं कि वरिष्ठता सूची में अरुण देव गौतम से पहले 1992 बैच के ही विशेष महानिदेशक (पुलिस आवास निगम) पवन देव तथा वरिष्ठता सूची में हिमांशु गुप्ता से ऊपर 1994 बैच के ही जीपी सिंह को यूपीएससी ने उनके विरुद्ध तब कथित लंबित प्रकरणों आदि की वजह से इस पैनल में शामिल नहीं किया था। हालांकि पवन देव के विरुद्ध भी अब कोई प्रकरण नहीं है और श्री देव ने इस मामले में कैट का दरवाजा भी खटखटाया है। जीपी सिंह ने भी कानूनी लड़ाई के बाद सेवा में बहाली हासिल की और पदोन्नति के बाद महानिदेशक बनाए गए।
ताजा चर्चाएं क्या हैं ?
महकमे के जानकार सूत्र बता रहे हैं कि अब यह चर्चा जोरों पर है कि छत्तीसगढ़ के स्थायी डीजीपी बनने की दौड़ में हिमांशु गुप्ता का नाम तेजी से आगे आया है।

जानकार कहते हैं कि राजस्थान की पृष्ठभूमि वाले हिमांशु गुप्ता के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महत्वपूर्ण स्तरों से सिफारिशें आई हैं।
बताते हैं कि कभी छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी रहे राजस्थान से आने वाले ओम माथुर की पसंद भी हिमांशु गुप्ता ही हैं।
दूसरी ओर साफ सुथरी छवि वाले अरुण देव गुप्ता की भी सत्तारूढ़ भाजपा में खासी पैठ बताई जाती है।श्री गुप्ता उत्तरप्रदेश से हैं।
सत्ता के गलियारे में इस ताज़ा उठापटक के जानकार कहते हैं कि स्थिति यह है कि अभी ना तो मुख्यमंत्री अथवा राज्य सरकार की पसंद का सवाल रहा गया है ना ही वरिष्ठता का बल्कि फैसला इस बात से होना है कि किसके लिए सिफारिश कितनी दमदार आती है और संभव है कि ऐसी स्थिति में यह फैसला भी दिल्ली से ही आए!
एक मॉडल उत्तरप्रदेश और गुजरात का भी चर्चा में है जहां सरकारों को कार्यवाहक डीजीपी रखना ही पसंद आता है। बताते हैं कि इन दो राज्यों से यूपीएससी को नाम ही नहीं भेजे जाते लिहाजा पिछले कुछ वर्षों से राज्य सरकारें कार्यवाहक डीजीपी ही रखती हैं। इसे इस पद पर राजनीतिक नियंत्रण के फार्मूले की तरह भी देखा जाता है।
छत्तीसगढ़ में ऐसी उठापटक नई नहीं है। भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार के समय भी जब डीएम अवस्थी को हटा दिए जाने के बाद, 1989 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा डीजीपी बनाए गए थे, तब उनसे वरिष्ठ डीएम अवस्थी और रवि सिन्हा को किन परिस्थितियों में इस पद के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त करनी पड़ी थी इसके किस्से आम हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के करीबी रहे अशोक जुनेजा ना केवल भूपेश सरकार में डीजीपी बने बल्कि विष्णुदेव साय सरकार में डीजीपी भी बने रहे और सेवा वृद्धि भी पाई।महकमे में चर्चा तो यह थी कि उन्हें एक और सेवा वृद्धि मिल सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वे 4 फरवरी 2025 को सेवा निवृत्त हुए जिसके बाद 5 फरवरी को अरुण देव गौतम कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए।
छत्तीसगढ़ में नौकरशाही से जुड़ा यह निर्णय विपरीत चर्चाओं का कारण बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि अगले महीने ही 28 से 30 नवंबर तक राष्ट्रीय पुलिस महानिदेशक सम्मेलन रायपुर में प्रस्तावित है जिसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस सम्मेलन में मौजूद होंगे।
इस सम्मेलन में देश की आंतरिक सुरक्षा से लेकर कई महत्वपूर्ण सवालों पर मंथन होगा।ऐसे में यह सवाल दिलचस्प है कि इतने महत्वपूर्ण आयोजन में क्या मेजबान छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक कार्यवाहक होंगे या छत्तीसगढ़ को तब तक स्थायी डीजीपी मिल जायेगा?


