महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को अंबेडकरवादियों ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए संविधान बचाने की आवाज़ बुलंद की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS BAN) पर पाबंदी लगाने व जिन कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। वह रद्द करने की मांग को लेकर वंचित बहुजन आघाड़ी ने छत्रपति संभाजीनगर के आरएसएस कार्यालय पर जन आक्रोश मोर्चा निकाला। यह रैली क्रांति चौराहे से भाग्य नगर स्थित आरएसएस कार्यालय तक मोर्चा निकाला गया। छत्रपति संभाजीनगर के इतिहास में आरएसएस कार्यालय पर मोर्चा निकलने का यह पहला अवसर माना जा रहा है।
डॉ. बाबासाहब अंबेडकर के अनुयायी सड़कों पर उतरे और कहा कि आरएसएस भारत के संविधान और तिरंगे का सम्मान नहीं करता। वंचित बहुजन आघाड़ी की ओर से आरएसएस को भारत का संविधान, राष्ट्रीय तिरंगा और महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की प्रति सौंपने का प्रतीकात्मक प्रयास किया गया। इस दौरान वंचित बहुजन आघाड़ी की ओर से भारतीय तिरंगा, भारतीय संविधान औरमहाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की प्रति आरएसएस को देने की कोशिश की। लेकिन आरएसएस ने इन तीनों प्रतीकों को लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद औरंगाबाद के डीसीपी ने इन दस्तावेजों को स्वीकार किया।
वंचित बहुजन आघाड़ी ने कहा कि जो संगठन भारत के संविधान, तिरंगे और समानता की भावना का सम्मान नहीं करता, उसका लोकतांत्रिक भारत में कोई स्थान नहीं है। भीड़ में मौजूद लोगों का कहना था कि यह आंदोलन किसी पार्टी या नेता के लिए नहीं, बल्कि बहुजन समाज के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए है। महाराष्ट्र में यह जनआक्रोश मार्च अंबेडकरवादियों की एकजुटता और संविधान की रक्षा के संकल्प का प्रतीक बन गया है। डॉ. बाबासाहब अंबेडकर के अनुयायी आज भी न्याय, समानता और इंसाफ़ की राह पर डटे हुए हैं

