लेंस डेस्क। नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (इसाक-मुइवा) यानी NSCN-IM के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा 50 साल से अधिक समय बाद मणिपुर के अपने पैतृक गांव सोमदल लौटे। 91 वर्षीय मुइवा को पारंपरिक नागा पोशाक में देखा गया, जहां उन्होंने एक भव्य सभा को संबोधित किया और नागा एकता पर जोर दिया।
मुइवा सोमदल में एक सप्ताह बिताएंगे और 29 अक्टूबर को सेनापति में एक स्वागत समारोह में शामिल होने के बाद दीमापुर लौटेंगे, ऐसे समय में हो रही है जब अशांत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है।
थुइंगलेंग मुइवा नागा समुदाय के प्रमुख नेता हैं, जो दशकों से नागा स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांग एक अलग नागा ध्वज (फ्लैग) और संविधान है। NSCN-IM की मांग है कि नागा-बहुल क्षेत्रों का एकीकरण हो, जिसे ‘नागालिम’ कहा जाता है और भारत सरकार के साथ चल रही वार्ताओं में यह प्रमुख मुद्दा है। 2015 में हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते के बावजूद, ध्वज और संविधान पर सहमति नहीं बनी है, जिसके बाद से भारत सरकार के साथ बातचीत बंद है।
मुइवा 1964 में नागा आंदोलन में शामिल होने के लिए अपना गांव छोड़कर गए थे। 1973 में उन्होंने मणिपुर की एक संक्षिप्त यात्रा की थी, लेकिन उसके बाद वे अपने पैतृक गांव नहीं लौटे। इस दौरान वह भारत में ही रहे हैं, मुख्य रूप से नागालैंड में NSCN-IM मुख्यालय में। पहले वे थाईलैंड, नीदरलैंड्स और म्यांमार जैसे देशों में रहे, जहां से वे आंदोलन का संचालन करते थे। हाल के वर्षों में, वे भारत में शांति वार्ताओं में सक्रिय हैं। 2010 में भी उनकी मणिपुर यात्रा की कोशिश नाकाम रही थी।
1950 के दशक में शुरू हुआ नागा विद्रोह, नागा लोगों के लिए एक स्वतंत्र मातृभूमि की मांग से उपजा था जो भारत के पूर्वोत्तर के कई राज्यों में फैले एक मूलनिवासी समुदाय हैं। दशकों से यह आंदोलन राजनीतिक वार्ताओं और सशस्त्र संघर्ष दोनों से प्रभावित रहा है।
गांव में हुआ स्वागत
उखरूल के तांगखुल नागा लॉन्ग ग्राउंड से मुइवा बुधवार दोपहर बाद हेलिकॉप्टर से सोमदल के लिए रवाना हुए। सोमदल उखरूल से करीब 25 किलोमीटर दूर है। वहां लगभग 900 परिवार रहते हैं। वहां बड़ी संख्या में लोग उनका स्वागत करने के लिए जमा हुए।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में नागाओं के शीर्ष संगठन यूनाइटेड नागा काउंसिल की कार्य समिति के सचिव ए.सी. थोत्सो ने बताया कि उखरूल और उनके पैतृक गांव सोमदल में लोगों की भीड़ के बीच उन्हें देखना एक भावनात्मक पल था।
वी.एस. एटम ने मुइवा की ओर से भाषण पढ़ा। इसमें मुइवा ने नागा मुद्दे के प्रति अपनी अटल प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि भारत-नागा राजनीतिक समाधान में नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान की मान्यता अनिवार्य है, जो “गैर-परक्राम्य” हैं।
मुइवा ने कहा, “मेरी क्रांतिकारी यात्रा 1964 में यहीं तांगखुल क्षेत्र से शुरू हुई थी। मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर का आभार मानता हूं कि उन्होंने मुझे सुरक्षित रखा और आज मेरे जन्मस्थान सोमदल में लौटने का अवसर दिया। लेकिन कई लोग, जिन्हें मैं जानता था और जो मुझसे प्रेम करते थे, अब नहीं हैं। पीढ़ियां आती-जाती हैं, पर राष्ट्र बना रहता है। हम जिस मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं, वह हममें से अधिकांश लोगों से बड़ा और पुराना है।”
एनएससीएन (आई-एम), एक प्रमुख नागा विद्रोही समूह, 1997 से केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल है। केंद्र ने नागा ध्वज और संविधान पर एनएससीएन (आई-एम) के रुख को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत जारी है।
बुधवार का यह स्वागत 2010 में उनकी पिछली यात्रा के प्रयास के बिल्कुल विपरीत है। उस समय मणिपुर की तत्कालीन कांग्रेस सरकार, जिसका नेतृत्व ओकराम इबोबी सिंह कर रहे थे, उन्होंने एनएससीएन (आई-एम) की ग्रेटर नागालिम की मांग के कारण उनकी यात्रा का विरोध किया था, जिसमें मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम के नागा क्षेत्रों को नगालैंड के साथ जोड़ने की मांग थी।
मणिपुर सरकार के इस फैसले के खिलाफ नागा-बहुल सेनापति जिले में हुए प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी। इस अस्थिर स्थिति के कारण मुइवा की यात्रा स्थगित कर दी गई थी।

