बस्तर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति ने एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों की कड़ी आलोचना की है। पत्र में पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में हुए माओवादी आत्मसमर्पणों को सरकारी ‘षड्यंत्र’ बताया है। केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने पत्र जारी कर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को ‘गद्दार’ कहा है।
यह पत्र माओवादी पार्टी के दो कमांडर भूपति उर्फ साेनू दादा के महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और जगदलपुर में रूपेश दादा के सरेंडर के बाद आया है।
पार्टी ने कहा है कि मीडिया में जो यह प्रचारित किया जा रहा है कि दर्जनों वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने आत्मसमर्पण किया है,
वह पूरी तरह झूठा और भ्रामक है। सरकार अपने प्रचार तंत्र के जरिए जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है।
पत्र में कहा गया है कि महाराष्ट्र में सोनू दादा और बस्तर में रूपेश दादा के नेतृत्व में दो सौ से अधिक माओवादियों के आत्मसमर्पण की जो खबरें सामने आई हैं, वह पुलिस की मनगढ़ंत कहानी है।
पार्टी के अनुसार, हमारे संगठन के वास्तविक क्रांतिकारी किसी भी परिस्थिति में आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। यह सब सुरक्षा बलों द्वारा अपहरण, उत्पीड़न और झूठे प्रचार की रणनीति का हिस्सा है।
माओवादी संगठन ने बयान में केंद्र और राज्य सरकारों पर आरोप लगाया है कि वे जनता के खिलाफ युद्ध चला रही हैं और
आदिवासी इलाकों में फोर्स की बढ़ोतरी कर भय का माहौल बना रही हैं।
पार्टी ने कहा कि 2011 से चल रहे ऑपरेशन ग्रीन हंट और 2020 के बाद शुरू हुए ऑपरेशन समापन जैसे अभियान,
आदिवासियों को विस्थापित करने और प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंपने की साजिश है।
पार्टी की केंद्रीय समिति ने अपने बयान में कहा कि आज देश में मोदी सरकार पूंजीपतियों की कठपुतली बन चुकी है।
किसान, मजदूर और छात्र विरोधी कानून लागू किए जा रहे हैं। अंबानी – अदानी जैसे उद्योगपतियों के हित में नीति बनाई जा रही है,
जबकि गरीबों और आदिवासियों को उनके ही संसाधनों से बेदखल किया जा रहा है।
पार्टी ने इसे ‘कॉर्पोरेट लूट’ बताया और कहा कि जनता को अब सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करना होगा।
पत्र में माओवादी संगठन ने स्वीकार किया कि फोर्स की संख्या और दबाव बढ़ने से कुछ इलाकों में कठिनाइयां हैं, लेकिन साथ ही यह दावा भी किया कि संगठन अब भी छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में सक्रिय है।
संगठन ने कहा कि जो लोग आत्मसमर्पण कर रहे हैं, उन्होंने पार्टी के सिद्धांतों से विश्वासघात किया है। जनता के असली सिपाही आज भी संघर्ष के मोर्चे पर डटे हैं।
माओवादियों की शहीद सप्ताह अपील
पत्र में केंद्रीय समिति ने बताया कि 10 से 16 अक्टूबर तक संगठन ने शहीद सप्ताह मनाया। इस दौरान देशभर में अपने 210 से अधिक शहीद साथियों को श्रद्धांजलि दी गई।
संगठन ने कहा कि हमारे शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हम संघर्ष को नए रूप में आगे बढ़ाएंगे।
पुलिस और प्रशासन पर तीखी टिप्पणी करते हुए पार्टी ने अपने बयान में सुरक्षा बलों पर यह भी आरोप लगाया कि वे जनता के बीच आतंक पैदा कर रहे हैं, गांवों में कैम्प खोलकर निर्दोषों को प्रताड़ित कर रहे हैं।
संगठन ने कहा कि 2024-25 में पुलिस और प्रशासन ने बस्तर और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में 150 से अधिक कैम्प स्थापित किए हैं, जिससे ग्रामीणों में असुरक्षा की भावना फैली है।
पार्टी ने सभी यूनिटों और कैडरों से कहा है कि वेएकजुट होकर संघर्ष तेज करें। पूंजीवादी और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ मोर्चा खोलें।
पत्र के अंत में केंद्रीय समिति के प्रवक्ता ‘अभय’ ने लिखा है किजनता की लड़ाई को कुचलने के लिए राज्य अब पूरी तरह दमनकारी हो गया है, लेकिन क्रांति को रोका नहीं जा सकता।
माओवादी संगठन ने यह साफ किया है कि वह आत्मसमर्पण की लहर को संगठन को तोड़ने की सरकारी चाल मानता है और
वह आने वाले महीनों में फिर से जनसंघर्ष को पुनर्गठित करने की योजना बना रहा है।
माओवादी केंद्रीय समिति ने अपने बयान में आत्मसमर्पण करने वालों को गद्दार बताते हुए सरकार की नीतियों पर हमला बोला है और कहा है कि संगठन अपने क्रांतिकारी रास्ते पर कायम रहेगा।
पार्टी ने शहीद सप्ताह के अवसर पर अपने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए जनसंघर्ष को जारी रखने की घोषणा की है।
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