लेंस डेस्क। जयपुर के रहने वाले नवनीत चतुर्वेदी नामक व्यक्ति ने पंजाब से राज्यसभा की खाली सीट के लिए नामांकन दाखिल किया तो लगा जैसे कोई साधारण उम्मीदवार उतर आया हो लेकिन जल्द ही यह मामला एक बड़े फर्जीवाड़े का केंद्र बन गया। चतुर्वेदी ने खुद को जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताते हुए 6 अक्टूबर को पहला नामांकन पत्र जमा किया जिसमें दस आम आदमी पार्टी के विधायकों के नाम प्रस्तावक के रूप में चढ़ाए गए थे लेकिन हस्ताक्षरों का नामोनिशान न था।
इसके ठीक एक हफ्ते बाद 13 अक्टूबर को उन्होंने दूसरा सेट दाखिल किया इस बार हस्ताक्षरों के साथ लेकिन जांच में साफ हो गया कि ये सभी नकली थे। विधानसभा सचिव के पास पहुंचे नामांकन की जांच के दौरान आठ विधायक खुद मौजूद थे जिन्होंने खुलकर कहा कि उन्होंने कभी ऐसी सहमति नहीं दी।
रोपड़ के विधायक दिनेश चड्ढा ने सबसे पहले शिकायत दर्ज कराई जब उन्हें व्हाट्सएप पर अपना नाम और हस्ताक्षर देखा तो लगा जैसे उनकी पहचान ही चुरा ली गई हो।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए फॉर्म 2सी के स्कैन में विधायकों के नामों के साथ नकली हस्ताक्षर थे जो चतुर्वेदी की महत्वाकांक्षा को दर्शाते थे लेकिन लोकतंत्र के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। आम आदमी पार्टी के विधायक जैसे अशोक पराशर पप्पी और अन्य ने तुरंत जिला पुलिस थानों में शिकायतें दर्ज कराईं जिसके बाद रोपड़ लुधियाना और अन्य जगहों पर कई एफआईआर दर्ज हो गईं।
पुलिस ने इसे धोखाधड़ी धाराओं के तहत लिया क्योंकि नामांकन पत्र संवैधानिक प्राधिकारी के सामने जमा किया गया था। चतुर्वेदी ने दावा किया कि यह सब प्रचार के लिए था लेकिन जांच एजेंसियां इसे आपराधिक साजिश मान रही हैं जहां संभवतः अन्य लोग भी लिप्त हो सकते हैं।
चंडीगढ़ और पंजाब पुलिस के बीच विवाद
सबसे दिलचस्प मोड़ तब आया जब नामांकन रद्द होने के बाद चतुर्वेदी चंडीगढ़ पुलिस की सुरक्षा में विधानसभा पहुंचे। रोपड़ पुलिस ने गिरफ्तारी वारंट हासिल कर लिया था लेकिन चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें सेक्टर तीन थाने में रख लिया दावा करते हुए कि वे अपहरण के डर से सुरक्षा मांग चुके थे।
सुक्खना झील के पास दोनों पुलिस बलों के बीच हल्की धक्कामुक्की हुई जब पंजाब टीम ने वाहन रोका तो चंडीगढ़ वाले उन्हें ले उड़े। पूरी रात दो सौ से ज्यादा पंजाब पुलिस वाले थाने के बाहर डेरा डाले रहे जबकि अंदर चतुर्वेदी सुरक्षित थे।
पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया दावा करते हुए कि चंडीगढ़ पुलिस आरोपी को ढाल बना रही है जबकि चतुर्वेदी ने भी याचिका दायर की जिसमें पंजाब पुलिस पर अपहरण का आरोप लगाया। आखिरकार बुधवार शाम को चंडीगढ़ एसएसपी के हस्ताक्षर से चतुर्वेदी को सौंप दिया गया और रोपड़ कोर्ट ने उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
भाजपा–आप के आरोप प्रत्यारोप
इस पूरे प्रकरण में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की भूमिका ने सवाल खड़े किए। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधा कहते हुए कि चंडीगढ़ पुलिस का व्यवहार विपी ट्रीटमेंट दे रहा था जो लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव चुराने की साजिश रच रही थी क्योंकि पंजाब में उनकी सिर्फ दो सीटें हैं फिर भी वे राज्यसभा सीट पर दांव खेलना चाहते थे। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने इसका खंडन किया कहते हुए कि पार्टी को ऐसी चालबाजी की जरूरत ही क्यों पड़ेगी लेकिन अरोड़ा का इशारा साफ था कि चतुर्वेदी को संरक्षण देकर भाजपा अप्रत्यक्ष रूप से फायदा उठाना चाहती थी।
अब आगे क्या हो सकता है?
सजा के लिहाज से फॉर्जरी पर दो से सात साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है जबकि धोखाधड़ी और षड्यंत्र मिलाकर यह अवधि बढ़ सकती है। चुनावी संदर्भ में यह और सख्त हो जाता। अगर साबित हो गया तो चतुर्वेदी न सिर्फ जेल काटेंगे बल्कि राजनीतिक रूप से भी खत्म हो जाएंगे। जनता पार्टी जैसे छोटे संगठन के लिए यह झटका घातक साबित होगा।

