Jaisalmer Bus Fire Accident: राजस्थान के जैसलमेर में 14 अक्टूबर को हुई भयानक बस दुर्घटना ने पूरे राज्य को सदमे में डाल दिया है। जोधपुर जा रही एक निजी एसी स्लीपर बस में अचानक लगी आग ने यात्रियों की जिंदगियां लील लीं। शुरुआती आंकड़ों में 19 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी लेकिन गुरुवार सुबह 54 वर्षीय भागा बानो के इलाज के दौरान निधन से मृतकों की संख्या 22 हो गई। एक शव की पहचान अभी भी नहीं हो सकी है, जबकि जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में 5 मरीज वेंटिलेटर पर हैं और 8 अन्य डॉक्टरों की निगरानी में हैं। डीएनए टेस्ट और पोस्टमॉर्टम के बाद शवों को परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
पीड़ित परिवारों का गुस्सा फूटा: धरना और मुआवजे की मांग
दर्द की इस घड़ी में पीड़ित परिवारों का सब्र जवाब दे गया। जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर दर्जनों परिजन धरने पर बैठ गए। उनका कहना है की घोषित मुआवजा पर्याप्त नहीं है और उचित सहायता के बिना शवों को लेने से इनकार कर देंगे। एक परिजन ने बताया ‘हमारे अपनों को खो चुके हैं, कम से कम उनका सम्मान तो हो।’
इस बीच, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तुरंत राहत पैकेज की घोषणा की। जिन परिवारों में तीन या अधिक सदस्यों की मौत हुई उन्हें 25 लाख रुपये की मदद मिलेगी। एक या दो सदस्यों के नुकसान पर प्रति व्यक्ति 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख और सामान्य घायलों को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे लेकिन परिवारों का कहना है कि पैसे से खोई जिंदगियां वापस नहीं आ सकतीं।
गिरफ्तारियां और विभागीय कार्रवाई: दोषियों पर शिकंजा
पुलिस ने हादसे की जांच तेज कर दी है। बुधवार रात बस मालिक तुराब अली और ड्राइवर शौकत को गिरफ्तार कर लिया गया। जैसलमेर एसपी अभिषेक शिवहरे ने बताया कि इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं, एक राजेंद्र सिंह चौहान के भाई चंदन सिंह और दूसरी गोपीलाल दर्जी के भाई जगदीश की शिकायत पर। शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट या बस बॉडी निर्माण में लापरवाही का शक है। इसी कड़ी में चित्तौड़गढ़ आरटीओ कार्यालय से डीवीआर जब्त कर लिया गया।
परिवहन विभाग ने भी सख्ती दिखाई, चित्तौड़गढ़ के कार्यवाहक डीटीओ सुरेंद्र सिंह और सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुन्नी लाल को निलंबित कर दिया गया। ये अधिकारी बस की बॉडी को मंजूरी देने वाले थे, जो मूल रूप से नॉन-एसी थी लेकिन बाद में एसी में परिवर्तित की गई।
जांच का दायरा बढ़ा: 66 बसें जब्त, विशेष अभियान जारी
हादसे के बाद परिवहन विभाग ने पूरे राज्य में विशेष निरीक्षण अभियान चला रखा है। जोधपुर के जैनम कोच क्राफ्टर परिसर में बनी बसों की तलाशी ली गई, जहां 66 बसें जब्त हो चुकी हैं। जांचकर्ता बस बॉडी कोड मानकों के उल्लंघन की पड़ताल कर रहे हैं। अब तक प्रदेशभर में 53 बसें इसी वजह से सीज की गई हैं। विभाग ने सभी बस संघों से अपील की है कि वे सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करें।सरकार ने इसकी जांच के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (सीआईआरटी), पुणे को बुलाया है। विशेषज्ञ टीम शनिवार-रविवार को जैसलमेर पहुंचकर तकनीकी रिपोर्ट तैयार करेगी।
साथ ही पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है जिसमें अपर परिवहन आयुक्त ओमप्रकाश बुनकर, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी धर्मेंद्र कुमार, आरएसआरटीसी के रवि सोनी, जोधपुर सेंट्रल वर्कशॉप के हनुमान सिंह और मुख्यालय के मोटर वाहन निरीक्षक नवनीत बाटड़ शामिल हैं। यह समिति हादसे के परिवहन और तकनीकी पहलुओं की गहन पड़ताल करेगी।
हादसे के दिन क्या हुआ ?
14 अक्टूबर को दोपहर करीब 3:30 बजे जैसलमेर से जोधपुर जा रही प्राइवेट बस (RJ 09 PA 8040) में थईयात गांव के पास अचानक धुआं उठा। देखते ही देखते बस आग के गोले में बदल गई। 57 यात्रियों में से कई बाहर कूदे, लेकिन ज्यादातर फंस गए। मौके पर 19 लोगों की जलकर मौत हो गई, एक ने रास्ते में दम तोड़ा।
हादसे में एक सेना जवान महेंद्र मेघवाल का पूरा परिवार पत्नी पार्वती, बेटियां खुशबू-दीक्षा और बेटा शौर्य जिंदा जल गया। वे दीवाली मनाने गांव लौट रहे थे। स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान भी शिकार हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आग इतनी तेज थी कि दमकल टीम पहुंचने तक बस राख हो चुकी थी।

