ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर चल रहा विवाद फिर से चर्चा में है। इस मामले में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। विवाद की शुरुआत मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में हुई, जब वकील अनिल मिश्रा ने संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की।
इस बयान से क्षेत्र में तनाव फैल गया। कई दलित संगठन आज 15 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे थे। अनिल मिश्रा के खिलाफ ग्वालियर और महाराष्ट्र में दो एफआईआर दर्ज हैं, लेकिन उनकी गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है। हालांकि, कई संगठनों ने प्रशासन से चर्चा के विरोध प्रदर्शन रद्द कर दिया है, लेकिन तनाव अब भी कायम है।
आजाद समाज पार्टी, भीम आर्मी, ओबीसी महासभा जैसे संगठन और कुछ वकील हाईकोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ ब्राह्मण वकील इसका विरोध कर रहे हैं। इस तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने शहर में धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत बिना इजाजत के जुलूस, सभा या सार्वजनिक आयोजन पर रोक है।
ग्वालियर जोन के आईजी अरविंद सक्सेना ने बताया कि सुबह 4 बजे से पुलिस तैनात की गई है। करीब 3,000 पुलिसकर्मियों को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया है। किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। शहर और सीमावर्ती इलाकों में चेकिंग तेज है, ताकि शांति बनी रहे।
सीएसपी हिना खान से वकील अनिल मिश्रा की बहस
विवाद तब और बढ़ा जब सोमवार शाम को धारा 163 लागू होने के बावजूद फूलबाग में सीएसपी हिना खान और वकील अनिल मिश्रा के बीच तीखी बहस हुई। मिश्रा अपने समर्थकों के साथ सुंदरकांड पाठ करने पहुंचे थे, लेकिन हिना खान ने उन्हें प्रशासनिक आदेशों का हवाला देकर रोका।
इस पर मिश्रा ने “जय श्री राम” के नारे लगाए और हिना खान पर सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया। जवाब में हिना खान ने कहा कि यह धार्मिक मसला नहीं, बल्कि प्रशासनिक आदेश का पालन है। इस घटना ने शहर में चर्चा का माहौल गर्म कर दिया। हिना खान ने भी जय श्री राम का नारा लगाया।
ये है विवाद की जड़
ग्वालियर में विवाद की शुरुआत 17 मई को हुई, जब हाईकोर्ट परिसर में डॉ. बी. आर. अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने को लेकर वकीलों के बीच असहमति पैदा हो गई। इस मुद्दे पर वकील दो गुटों में बंट गए। तनाव बढ़ता देख पुलिस ने मूर्ति को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया।
एक पक्ष मूर्ति लगाने की मांग पर अड़ा रहा, जबकि दूसरा पक्ष इसका पुरजोर विरोध कर रहा है। इस दौरान एडवोकेट अनिल मिश्रा ने बाबा साहब के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई हुई। इससे विवाद और गहरा गया। इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए।
कलेक्टर रुचिका चौहान और आईजी अरविंद सक्सेना ने बताया कि 260 से ज्यादा भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट हटाए गए हैं और 700 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। एसएसपी धर्मवीर सिंह ने रातभर फ्लैग मार्च कर स्थिति को नियंत्रित रखा। फूलबाग, लश्कर और हजीरा जैसे इलाकों में सीसीटीवी, बैरिकेड और पुलिस गश्त से निगरानी बढ़ाई गई है।
इसके अलावा, अनिल मिश्रा के खिलाफ ग्वालियर के क्राइम ब्रांच थाने में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें उन पर बाबासाहेब के खिलाफ विवादित बयान देने का आरोप है। मिश्रा ने गिरफ्तारी देने के लिए एसपी ऑफिस पहुंचने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा। उनके समर्थकों का कहना है कि पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है और हिंदू देवी-देवताओं या स्वर्ण समाज के खिलाफ विवादित पोस्ट करने वालों पर कोई कदम नहीं उठा रही।

