लेंस डेस्क। बिहार की सियासत में टिकट बंटवारे को लेकर मचा बवाल अब जनता दल यूनाइटेड (JDU) के भीतर भी गूंजने लगा है। भागलपुर से सांसद अजय मंडल ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर पार्टी में खलबली मचा दी है। उनके इस कदम ने जेडीयू के अंदरूनी मतभेदों को सतह पर ला दिया है।
अजय मंडल ने फेसबुक के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा कि टिकट बंटवारे और संगठनात्मक फैसलों में उनकी राय को तवज्जो नहीं दी जा रही। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में लिखा कि अगर एक सांसद की राय का कोई मूल्य नहीं, तो पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।

सूत्रों की मानें तो अजय मंडल लंबे समय से टिकट बंटवारे को लेकर नाराज थे, खासकर भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर। उनका मानना है कि जेडीयू में स्थानीय नेताओं की अनदेखी हो रही है और फैसले कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित हैं।
मंडल का यह कदम ऐसे समय में आया है, जब नीतीश कुमार ने पार्टी के तीन प्रमुख नेताओं ललन सिंह, संजय झा और विजय चौधरी को अपने आवास पर बुलाकर सीट बंटवारे के विवाद पर चर्चा की। इस बैठक में नीतीश ने नेताओं को निर्देश दिया कि वे तुरंत बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व से बात करें। तय हुआ कि ललन सिंह और संजय झा बीजेपी नेताओं से चर्चा करेंगे और फिर दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर इस मसले को सुलझाने की कोशिश करेंगे।
हालांकि, जेडीयू की ओर से अजय मंडल के इस्तीफे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। फिर भी राजनीतिक गलियारों में इसे जेडीयू के भीतर बढ़ते असंतोष का संकेत माना जा रहा है। बिहार में पहले से ही आरजेडी और कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर बगावत की आवाजें तेज हैं, और अब जेडीयू में यह नया तनाव नीतीश कुमार के लिए एक और चुनौती बनकर उभरा है।
अजय मंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा, “आपके मार्गदर्शन और समर्थन से मैं पिछले 20-25 सालों से भागलपुर क्षेत्र में विधायक और सांसद के रूप में जनता की सेवा कर रहा हूं। इस दौरान मैंने जेडीयू को अपने परिवार की तरह मानकर इसके संगठन और कार्यकर्ताओं को मजबूत करने का काम किया। लेकिन हाल के महीनों में संगठन में ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, जो पार्टी और इसके भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत नहीं हैं।”
उन्होंने पत्र में आगे लिखा कि जब संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की राय को महत्व नहीं दिया जाता, तो सांसद के पद पर बने रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता। मंडल ने जोर देकर कहा कि उनका मकसद बगावत नहीं, बल्कि पार्टी और नीतीश कुमार के नेतृत्व को भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाना है। उन्होंने नीतीश कुमार से अनुरोध किया कि उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देने की इजाजत दी जाए।

