लेंस डेस्क। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को रिलायंस पावर के वरिष्ठ कार्यकारी और उद्योगपति अनिल अंबानी के करीबी सहयोगी अशोक कुमार पाल को दो दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में भेज दिया। पाल को शुक्रवार रात धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जो एडीए समूह से जुड़ा हुआ है।
ईडी ने पाल को शुक्रवार रात धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया और उन्हें स्थानीय अदालत में पेश किया गया। उनकी अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
रिलायंस पावर के इस शीर्ष कार्यकारी को दिल्ली में ईडी कार्यालय में पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया, जहां उनसे फर्जी बैंक गारंटी और जाली चालान से संबंधित मामले में सवाल किए गए। शनिवार सुबह 9:30 बजे उन्हें रिमांड के लिए न्यायाधीश के सामने पेश किया जाएगा।
ईडी का आरोप है कि पाल, जिनकी कंपनी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध है और जिसमें 75% से अधिक शेयर जनता के पास हैं, ने सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) को 68 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जी बैंक गारंटी जमा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कथित तौर पर जाली चालानों के जरिए धन का हस्तांतरण किया और फर्जी बैंक गारंटी रैकेट चलाया, जिसमें एसबीआई, इंडियन बैंक, पीएनबी और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों के नकली ईमेल डोमेन का उपयोग कर जाली दस्तावेजों को असली जैसा दिखाया गया।
इसके अलावा, ईडी का दावा है कि पाल ने बिना किसी विश्वसनीय रिकॉर्ड वाली कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (बीटीपीएल) को फर्जी गारंटी के लिए चुनने में मदद की। बीटीपीएल के निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी का कहना है कि पाल की हरकतें सार्वजनिक धन की हेराफेरी के लिए बनाई गई योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण थीं।
एडीए समूह से जुड़े इस मामले में येस बैंक और समूह की कंपनियों के बीच वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं, जिसका नेतृत्व पहले अनिल अंबानी कर रहे थे। ईडी का आरोप है कि अनिल अंबानी और रिलायंस समूह की इकाइयां 17,000 करोड़ रुपये के कर्ज धोखाधड़ी मामले में शामिल थीं। अगस्त में, ईडी ने इस जांच के सिलसिले में अंबानी को पूछताछ के लिए बुलाया था।
ईडी की जांच के तहत अगस्त में मुंबई में 35 स्थानों पर तलाशी ली गई थी, जिसमें पीएमएलए के तहत समूह से जुड़ी 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों को शामिल किया गया।
इस बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दो भ्रष्टाचार मामलों में चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें अनिल अंबानी और कपूर के बीच साजिश का आरोप लगाया गया है। सीबीआई का दावा है कि कपूर ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर येस बैंक के बड़े सार्वजनिक फंड को वित्तीय रूप से तनावग्रस्त एडीए समूह की कंपनियों में डाला।