द लेंस। हंगरी के उपन्यासकार लाजलो क्रासनाहोरकाई को 2025 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। गुरुवार को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुए एक भव्य कार्यक्रम में नोबेल की कमेटी ने उनके नाम की घोषणा की और कहा, क्रास्नाहोर्काई को “उनके प्रभावशाली और दूरदर्शी साहित्य के लिए सम्मानित किया गया, जो सर्वनाशकारी आतंक के बीच कला की शक्ति को पुनः स्थापित करता है।”
लाजलो क्रासनाहोरकाई का जन्म पांच जनवरी, 1954 को हंगरी के ग्युला में हुआ था।
उल्लेखनीय है कि इस बार साहित्य के नोबेल के लिए दो भारतवंशी लेखकों अमिताव घोष और सलमान रुश्दी के नामों की भी खासी चर्चा थी। इसके अलावा जापानी लेखक मुराकामी का नाम भी इस बार भी चर्चा में था। लेकिन इन सबको पीछे छोड़ कर हंगरी के लाजलो क्रासनाहोरकाई को चुना गया।
अकादमी ने अपने बयान में बताया कि 71 वर्षीय क्रासनाहोरकाई ने पहले कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें हंगरी का नोबेल पुरस्कार समकक्ष कोसुथ पुरस्कार और मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार शामिल हैं।
उनके सबसे प्रसिद्ध उपन्यासों में सातंतांगो (1985), द मेलांकली ऑफ रेसिस्टेंस (1989), सेइओबो देयर बिलो (2008), और बैरन वेंकहाइम्स होमकमिंग (2016) शामिल हैं।
लास्जलो का पहला उपन्यास सातंतगो 1985 में आया था और उसके साथ हा उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी खास जगह बना ली थी। यह हताशा में डूबे कम्युनिस्ट हंगरी के एक बिखरते हुए गाँव के जीवन की कहानी पर केंद्रित है, जहां इरिमियास नाम का एक आदमी, जिसे लंबे समय से मृत माना जाता है और जो एक भविष्यवक्ता, एक गुप्त एजेंट या शैतान हो सकता है, कहीं से प्रकट होता है और शेष नागरिकों को बरगलाना शुरू कर देता है।
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