जगदलपुर। सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे लगातार ऑपरेशन के बाद माओवादी संगठन की ओर से कई चिट्ठियां जारी की जा चुकी हैं। हालांकि संगठन की ओर से ही चिट्ठियों का खंडन भी जारी किया जा चुका है। ऐसे में सवाल यह कि क्या यह आंतरिक कलह माओवादी संगठन के कमजोर होने का संकेत तो नहीं?
भारत में नक्सलवाद का उदय 1960 के दशक में पश्चिम बंगाल में हुआ था, जिसके बाद देश के दर्जन भर राज्यों में इसका लगातार विस्तार हुआ। शोषक वर्ग के खिलाफ और शोषित वर्ग के पक्ष में उदय हुए इस संगठन को निचले तबके के लोगों का जबरदस्त समर्थन मिलता रहा।
यह संगठन हथियारबंद होकर भारत के एक विशाल क्षेत्र में काबिज हो चुका है, खासकर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में। किंतु अब भारत सरकार मन बना चुकी है कि पूरे देश से नक्सलवाद का खात्मा किया जाए।
इसी परिप्रेक्ष्य में 1 अप्रैल 2025 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले से ऐलान किया कि 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा। शाह के इस ऐलान के बाद कई राज्यों ने संयुक्त रूप से एंटी नक्सल मूवमेंट में हिस्सा लिया और नक्सल मोर्चे पर अपने अभियान तेज कर दिए।
बढ़ते दबाव के चलते नक्सली संगठन भी इन दिनों दो खेमों में बंटता दिख रहा है। सुरक्षा बलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे एंटी नक्सल मूवमेंट के कारण संगठन को युद्धविराम और शांति वार्ता के विषय में चिंतन करते हुए देखा जा रहा है।
बीते 1 जनवरी से अब तक नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बल नक्सलियों पर लगातार हावी होते दिख रहे हैं। कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार हैं, जिनके कारण यह दिख रहा है कि सात दशकों से अधिक समय से भारत के 10 राज्यों में फैला नक्सलवाद इन दिनों बेहद कमजोर हो चुका है। संगठन में भारी बिखराव दिखाई दे रहा है और यह आंतरिक कलह अब सार्वजनिक हो चुकी है।
- 1 अप्रैल 2025 को गृहमंत्री अमित शाह ने जगदलपुर के लाल बाग में 31 मार्च 2026 तक पूरे भारत से नक्सलवाद के खात्मे की घोषणा की। इस घोषणा के बाद छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और महाराष्ट्र राज्यों ने संयुक्त रूप से एंटी नक्सल अभियान तेज कर दिया और लगातार सफलता प्राप्त की।
- 25 अप्रैल को पहली बार भाकपा (माओवादी) संगठन के केंद्रीय कमेटी प्रवक्ता अभय ने केंद्र और राज्य सरकारों से एक समयसीमा के साथ युद्धविराम कर बिना शर्त शांति वार्ता की अपील की।
- 10 मई को अभय ने पुनः शांति वार्ता को लेकर पत्र जारी किया।
- इसी दौरान 21 मई को नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव के सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन कर सीपीआई (माओवादी) संगठन के राष्ट्रीय महासचिव बसवा राजू सहित 28 नक्सलियों को मार गिराया।
- 10 जून को सुरक्षा बलों ने सीसी मेंबर नरसिम्हा चालम उर्फ सोमन्ना उर्फ सुधाकर को नेशनल पार्क क्षेत्र में मुठभेड़ में मार गिराया।
- 21 जुलाई को छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादियों को आत्मसमर्पण कराने के लिए एक नई योजना ‘पुनर मार्गकाल’ (पुनर्वास से पुनर्जनन) योजना प्रारंभ की।
- 13 अगस्त को मोहला-मानपुर में हुई एक और मुठभेड़ में नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी मेंबर विजय रेड्डी मारा गया।
- लगातार मुठभेड़ और प्रतिकूल परिस्थितियों को देखकर नक्सल नेता रूपेश ने 15 अगस्त को हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से त्यागने का प्रस्ताव रखा।
- लगातार मुठभेड़ के बाद आत्मसमर्पण का सिलसिला प्रारंभ हुआ। दंतेवाड़ा और बीजापुर में 51 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
- 11 सितंबर 2025 को गरियाबंद में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में एक और सीसी मेंबर बालकृष्ण भास्कर मारा गया।
- माओवादियों को हो रहे लगातार नुकसान के बीच एक बड़ा झटका तब लगा, जब उनकी सेंट्रल कमेटी मेंबर सुजाता ने 13 सितंबर को तेलंगाना में आत्मसमर्पण किया।
- 15 सितंबर 2025 को झारखंड में हुई एक मुठभेड़ में सीसी मेंबर सहदेव भी मारा गया।
- 20 सितंबर 2025 को नक्सल नेता सोनू उर्फ वेणुगोपाल राव द्वारा हथियारबंद संघर्ष के अस्थायी विराम की घोषणा की आलोचना करते हुए दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी प्रवक्ता विकल्प और सेंट्रल कमेटी मेंबर अभय ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दुश्मन को हथियार सौंपकर मुख्यधारा में शामिल होना जनता के साथ विश्वासघात बताया और कहा कि यह हमारी नीति नहीं है। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सोनू की कड़ी आलोचना भी की।
- इस प्रकार लगातार हो रहे नुकसान के बीच 21 सितंबर 2025 को माओवादियों को एक और झटका लगा, जिसमें नक्सल संगठन के शीर्ष नेता व सीसी मेंबर राजू दादा और कोसा दादा को नारायणपुर और महाराष्ट्र के सीमांत क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया। हालांकि, नक्सल संगठन ने दावा किया कि यह मुठभेड़ फर्जी थी और दोनों माओवादियों को रायपुर के आसपास के क्षेत्र से गिरफ्तार कर मुठभेड़ का रूप दिया गया।
- सीसी मेंबर सोनू ने जगन द्वारा की गई आलोचना का जवाब देते हुए 22 सितंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की।
- माओवादी नेता वेणुगोपाल राव और जगन के बीच हो रहे इस प्रकार के सार्वजनिक विवादों के बीच गरचिरौली डिवीजन और उत्तर बस्तर डिवीजन ने 3 अक्टूबर को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नक्सल नेता सोनू का समर्थन किया।
- दो खेमों में बट चुके नक्सल संगठन और उनके आंतरिक कलह के बीच 4 अक्टूबर को पुनः देश के गृहमंत्री अमित शाह जगदलपुर के लाल बाग ग्राउंड में पहुंचे और दोबारा ऐलान किया कि 31 मार्च 2026 से पहले पूरे देश से नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब भी समय है, माओवादी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों।

इस प्रकार लगातार हो रही मुठभेड़ों से नक्सल कैडरों में दहशत का माहौल दिख रहा है। परिणामस्वरूप, बीते एक सप्ताह के भीतर दंतेवाड़ा में 71 और बीजापुर में 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
‘द लेंस’ लगातार माओवादियों के नाम से आ रहे इन पर्चों की पुष्टि नहीं करता है और विगत दिनों जिन नक्सल नेताओं के नाम से यह पत्र भेजा गया है, वास्तव में उन्होंने ही लिखा, इसकी भी पुष्टि नहीं करता है।