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लेंस संपादकीय

ननकी राम के साथ हाउस अरेस्ट लोकतांत्रिक उम्मीदें भी

Editorial Board
Last updated: October 4, 2025 9:12 pm
Editorial Board
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Nanki Ram Kanwar
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छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ भाजपा में शनिवार को तब बड़ी उथलपुथल मच गई जब सरकार ने करीब साठ वर्षों से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भाजपा के ही दिग्गज आदिवासी नेता, कई बार के विधायक और मंत्री रह चुके ननकी राम कंवर को राजधानी रायपुर में कथित रूप से हाउस अरेस्ट कर लिया।

प्रशासन ने ऐसा औपचारिक रूप से किया या नहीं ये बताने वाला कोई नहीं था लेकिन जो कुछ भी पत्रकारों के कैमरों में कैद है और जितना कुछ भी खुद ननकी राम कंवर ने पत्रकारों से कहा उसके मुताबिक उन्हें एक सार्वजनिक भवन में, जहां वे रुके थे, ताले में बंद कर दिया गया,निकलने नहीं दिया गया और बाहर फोर्स तैनात कर दी गई।

यह सब हुआ एक 82 वर्ष के उस राजनीतिज्ञ के साथ जो इस प्रदेश का गृह मंत्री भी रह चुका है और जो नौकरशाहों के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुखर आवाज के लिए चर्चित भी रहा है।

अभी भी मामला यही है।श्री कंवर लंबे समय से अपने क्षेत्र कोरबा के कलेक्टर के खिलाफ कुछ बिंदुओं पर जांच की मांग कर रहे थे।उनके उठाए मुद्दों में अगर कुछ सीधे कोरबा कलेक्टर पर व्यक्तिगत आरोप थे तो कुछ व्यापक जनहित के भी मुद्दे थे,जैसे किसी ग्राम पंचायत में पचास वर्षों से सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को बेदखली का नोटिस देना,कोरबा जिले में हजारों महिलाओं के साथ ठगी का मामला ,जिला खनिज न्यास से करोड़ों रुपए का फर्जी मुआवजा बांट देने का आरोप, एसईसीएल द्वारा अर्जित भूमि के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जी मुआवजा बांट देने का आरोप आदि।

इनमें से एक भी मुद्दा ऐसा नहीं था जिसकी जांच नहीं की जा सकती थी।इनमें से एक भी मुद्दा ऐसा नहीं था जिसे लेकर ननकी राम कंवर जैसे किसी राजनीतिज्ञ की चिंताओं को कूड़ेदान में डाल दिया जाए!लेकिन ऐसा न केवल हुआ बल्कि बार–बार की मांग के बाद अपनी पूर्व घोषणा के तहत मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना देने रायपुर पहुंचे श्री कंवर को प्रशासन ने कथित रूप से हाउस अरेस्ट कर लिया।जाहिर है ऐसा सरकार के उच्च स्तरों की जानकारी,सहमति या निर्देशों के बिना संभव नहीं हुआ होगा।

यह मामला केवल नौकरशाही की असहिष्णुता का नहीं है।यह जनप्रतिनिधियों के किसी भी तरह के अंकुश को एक सीमा के बाद अस्वीकार कर देने के नौकरशाही के इरादों का भी है।संसदीय लोकतंत्र में संविधान के दायरे में सबकी अपनी–अपनी भूमिकाएं और जवाबदेही तय हैं। जनप्रतिनिधि को तो सीधे जनता के बीच जाना है और हर पांच साल में जनता उसे इन्हीं कसौटियों पर परखती भी है।नौकरशाही की अपनी अलग जिम्मेदारियां हैं पर उसे जनता की ऐसी परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ता।

आजादी के बाद जिस नौकरशाही को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्वतंत्र भारत का स्टील फ्रेम कहा था और उम्मीद भी जताई थी कि नौकरशाही लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाएगी,अपवादों को छोड़ दें तो ये उम्मीद तो आज ध्वस्त ही है।आजादी के 78 बरस बाद अगर आज नौकरशाही का चेहरा देखें तो लगेगा कि हमने इस लोकतंत्र की रखवाली का जिम्मा छोटे–बड़े सामंतों को सौंप रखा है।आजादी के बाद से ही प्रशासनिक सुधारों की तमाम सिफारिशें कूड़ेदान में नजर आती हैं।

नजर यही आता है कि आम तौर पर सरकारें या आला राजनेता नौकरशाहों के चलाए चल रहे हैं–इतना कि किसी–किसी सरकार का तो चेहरा ही नौकरशाह हो जाते हैं।इसमें क्या कांग्रेस और क्या भाजपा !

अगर ननकी राम कंवर के इस ताजा मामले को देखें तो दिन भर एक सार्वजनिक भवन में नजरबंद रहे ननकी राम कंवर की देर शाम भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात हो पाई और उन्हें एक हफ्ते में कार्रवाई का आश्वासन मिला। अभी भी श्री कंवर अपनी सरकार तक नहीं पहुंच पाए।

यह मामला सिर्फ राजनीतिक प्रबंधन की चूक का नहीं है बल्कि जो सामने था वो दरअसल प्रशासन का एक ऐसा फ्रेम था जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल की उम्मीदों वाले लोकतांत्रिक लचीलेपन का नितांत अभाव है और अपनी ही पार्टी के एक दिग्गज आदिवासी नेता की लोकतांत्रिक उम्मीदों से बहुत ही अलोकतांत्रिक तरीकों से निपटती एक लोकतांत्रिक सरकार भी तो थी ही!

आज जब एक दिग्गज आदिवासी नेता,कई बार के विधायक,मंत्री अपने क्षेत्र लौटेंगे तो उन्हें उन लोगों का सामना करना होगा जिनके सवाल लेकर वे आक्रोश के साथ राजधानी पहुंचे थे।किसी नौकरशाह को ऐसे लोगों का और उनके सवालों का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि जनता के बीच वोट मांगने तो फिर किसी ननकी राम कंवर को ही जाना पड़ेगा!

यह भी पढ़ें : ननकी राम कंवर को किया गया हाउस अरेस्ट, धरना देने से रोकने की कोशिशें जारी, बेटा भी मनाने पहुंचा, देखें वीडियो…

TAGGED:ChhattisgarhEditorial
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