पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK protest) में हालात तनावपूर्ण हैं। बुनियादी जरूरतों पर सब्सिडी कटौती और बढ़ती महंगाई के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों के 25 जवानों को बंधक बना लिया है और उन्हें मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सुरक्षा बल कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) के आह्वान पर हो रहे हैं जिसमें लोग सरकार से अपनी 38 मांगें मनवाने के लिए PoK की राजधानी मुजफ्फराबाद की ओर मार्च कर रहे हैं।
क्यों भड़का आंदोलन?
लोगों का गुस्सा सरकार की नीतियों से उपजा है। उनकी मुख्य मांगें हैं,
12 आरक्षित विधानसभा सीटों को खत्म करना: ये सीटें 1947, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद भारत से PoK गए शरणार्थियों के लिए बनाई गई थीं। स्थानीय लोग मानते हैं कि इन सीटों की वजह से उनका प्रतिनिधित्व कम हो रहा है और कुछ खास परिवारों को फायदा मिल रहा है।
बिजली और आटे पर सब्सिडी: बढ़ती महंगाई से परेशान लोग बिजली बिलों और आटे की कीमतों पर छूट चाहते हैं।
स्थानीय लोगों को प्राथमिकता: बिजली परियोजनाओं में स्थानीय लोगों के हितों को ध्यान में रखने की मांग।
JKJAAC के नेता शौकत नवाज मीर ने मीडिया में कहा, “हम पिछले 70 साल से अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। या तो सरकार हमारी मांगें माने, वरना लोगों का गुस्सा और बढ़ेगा।” उन्होंने मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी की भी मांग की है।हिंसक झड़पों में 10 की मौत, 100 से ज्यादा घायलप्रदर्शन के दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। बुधवार को सुरक्षाबलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें 8 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हो गए। अब तक चार दिनों के प्रदर्शन में 10 लोगों की जान जा चुकी है।
क्या हो रहा है PoK में?
कोटली: पूर्ण बंद। लोग सड़कों पर हैं और मुख्य रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है।
धीरकोट: करीब 2,000 प्रदर्शनकारी मुजफ्फराबाद की ओर बढ़े, लेकिन पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें 4 लोग मारे गए और 16 घायल हुए।
मुजफ्फराबाद: लाल चौक पर 2,000 लोगों ने धरना दिया। बाद में प्रदर्शन को बाईपास पर स्थानांतरित किया गया। हवाई फायरिंग और आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ।
दादियाल: चकस्वारी और इस्लामगढ़ से मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की।
सरकार ने पत्रकारों की एंट्री रोकी, इंटरनेट बंद
पाकिस्तान सरकार ने PoK में पत्रकारों और पर्यटकों की एंट्री पर रोक लगा दी है। आधी रात से इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। सरकार को डर है कि यह आंदोलन आजादी की मांग में बदल सकता है। मानवाधिकार संगठन भी इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं। प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां आंदोलन को दबाने के लिए गुप्त हमले करवा रही हैं। सादे कपड़ों में आए लोग नेताओं को निशाना बना रहे हैं और भीड़ में अफरा-तफरी मचा रहे हैं। JKJAAC ने पाकिस्तान समर्थित मुस्लिम कॉन्फ्रेंस को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग भी की है।
सरकार ने की बातचीत की अपील
PoK सरकार के मुख्य सचिव ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की अपील की है, लेकिन साथ ही कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। PoK के प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक ने कहा, “हम बातचीत के लिए तैयार हैं। जब और जहां JKJAAC चाहे, हमारी सरकार वहां मौजूद होगी।”
यह आंदोलन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींच रहा है। लंदन में JKJAAC कार्यकर्ताओं ने 2 अक्टूबर को पाकिस्तान उच्चायोग के सामने प्रदर्शन की घोषणा की है। पाकिस्तान सरकार और उसके समर्थक इन प्रदर्शनों को विदेशी साजिश बता रहे हैं। यह उनकी पुरानी रणनीति रही है, जैसे तहरीक-ए-तालिबान के विद्रोह को “भारत प्रायोजित” या बलूचिस्तान के आंदोलन को “भारत की साजिश” करार देना।
पहले भी हुए हैं ऐसे प्रदर्शन
PoK में यह कोई नया आंदोलन नहीं है। पिछले साल मई 2023 में सस्ते आटे और बिजली की मांग को लेकर हड़ताल हुई थी। लोग कहते हैं कि मंगला डैम से बिजली बनती है, फिर भी उन्हें सस्ती बिजली नहीं मिलती। 2022 में भी सरकार के एक कानून के खिलाफ सड़कें जाम हुई थीं और आजादी के नारे गूंजे थे।प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह आंदोलन उनके मौलिक अधिकारों के लिए है। शौकत नवाज मीर ने चेतावनी दी है कि यह उनका “प्लान ए” है, और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो उनका “प्लान डी” बहुत खतरनाक होगा। PoK में बढ़ता तनाव और लोगों का गुस्सा पाकिस्तान सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।