लेंस डेस्क। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने भाषण के दौरान पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को नाम लिए बगैर करारा जवाब दिया। उन्होंने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। उनके भाषण के दौरान सभागार तालियों की गूंज से भर उठा।
जयशंकर ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि वे उन देशों की कड़े शब्दों में निंदा करें जो आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाते हैं। उन्होंने आतंकवाद को वित्तीय सहायता रोकने और प्रमुख आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने भारत की जनता की सुरक्षा के लिए आतंकवादियों को कानून के दायरे में लाने की बात कही और उदाहरण के तौर पर अप्रैल में पहलगाम में हुए हमले का जिक्र किया, जिसमें मासूम पर्यटकों की जान गई। इस दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने जवाब देने की कोशिश की, लेकिन भारत के प्रतिनिधि श्रीनिवास ने सभागार छोड़ दिया।
जयशंकर ने UNGA में कहा कि भारत अपनी आजादी के समय से ही आतंकवाद की चुनौती से जूझ रहा है। उन्होंने पड़ोसी देश को वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बताया, जिसके साथ कई बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों के तार जुड़े हैं। संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में भी उस देश के नागरिकों के नाम प्रमुखता से शामिल हैं।
पहलगाम हमले का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि इस साल अप्रैल में निर्दोष पर्यटकों की हत्या सीमा पार से की गई बर्बरता का ताजा उदाहरण है। भारत ने अपने नागरिकों की रक्षा के लिए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया।
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करना अहम है, क्योंकि यह कट्टरता, हिंसा और भय को बढ़ावा देता है। भारत लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहा है, क्योंकि उसका पड़ोसी देश आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है। उन्होंने कहा कि बड़े आतंकी हमलों के पीछे उसी देश का हाथ रहा है।
जयशंकर ने UNGA में यह भी कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा के लिए कदम उठाए और इसके जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाई। आतंकवाद एक साझा खतरा है, इसलिए इसके खिलाफ वैश्विक सहयोग को और मजबूत करना जरूरी है।
जब कोई देश खुलेआम आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाता है, जब आतंकी ठिकाने बड़े पैमाने पर काम करते हैं, और जब आतंकियों का सार्वजनिक रूप से गुणगान किया जाता है, तो ऐसी हरकतों की स्पष्ट और कड़ी निंदा होनी चाहिए।
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