लेंस डेस्क। खाली पदों पर भर्ती और नौकरियों में आयु सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर छात्रों ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अखिल कर्नाटक राज्य छात्र संघ के बैनर तले विभिन्न कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों के छात्र इस विरोध में हिस्सा लिया। उन्होंने कांग्रेस सरकार से मांग की कि भर्ती के लिए जल्द से जल्द अधिसूचना जारी की जाए।
अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक में पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए आयु सीमा सबसे कम है। जहां अधिकांश राज्य सामान्य वर्ग के लिए 28 से 33 साल और एससी/एसटी व ओबीसी वर्ग के लिए 32 से 38 साल की आयु सीमा देते हैं, वहीं कर्नाटक में यह सामान्य वर्ग के लिए 25 साल और आरक्षित वर्गों के लिए 27 साल है।
कर्नाटक के धारवाड़ में गुरुवार को हजारों छात्रों ने जयंती सर्कल पर आंदोलन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकारी भर्ती में देरी के कारण लाखों छात्र और कोचिंग सेंटर प्रभावित हुए हैं। कांस्टेबल और पुलिस उप-निरीक्षक पदों की चयन प्रक्रिया पिछले चार से पांच साल से रुकी हुई है, जबकि एफडीए और एसडीए पदों की रिक्तियां सात से आठ साल से भरी नहीं गई हैं। इस वजह से कई उम्मीदवार अब ऊपरी आयु सीमा पार कर चुके हैं।
छात्रों ने सरकार से कम से कम पांच साल की आयु छूट देने और भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू करने की मांग की। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि मौजूदा केएएस अधिसूचना की समीक्षा की जाए और इसे रद्द किया जाए, क्योंकि इसमें कन्नड़ अनुवाद में गंभीर त्रुटियां हैं।
जयंती सर्कल पर हजारों छात्रों के जमा होने से पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। हुबली-धारवाड़ पुलिस आयुक्त एन. शशिकुमार ने भी मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारी छात्रों को समझाने की कोशिश की। छात्रों ने एंबुलेंस को छोड़कर सभी वाहनों की आवाजाही रोक दी, जिससे धारवाड़ की प्रमुख सड़कों पर कई घंटों तक भारी यातायात जाम रहा। शहर में सामान्य स्थिति बहाल होने में चार घंटे से अधिक समय लगा।
पुलिस भर्ती के लिए आयु सीमा बढ़ाने की मांग उम्मीदवारों और विभिन्न संगठनों द्वारा लगातार की जा रही है। 11 सितंबर 2025 को मैसूर में भी एक जुलूस निकाला गया था, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 30 साल और एससी/एसटी वर्ग के लिए 33 साल की आयु सीमा की मांग की गई थी।
वर्तमान में सामान्य वर्ग के लिए आयु सीमा 25 साल और आरक्षित वर्गों के लिए 27 साल है। मुख्यमंत्री सिद्धरामैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सहित कई राजनेताओं ने पहले इस मांग का समर्थन किया है, लेकिन अभी तक आयु सीमा में बदलाव के लिए कोई आधिकारिक कदम नहीं उठाया गया है।
आंतरिक आरक्षण का विवाद
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2024 में अनुसूचित जाति (SC) के लिए आंतरिक आरक्षण लागू करने के नाम पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, आरक्षण के मुद्दे पर विचार के लिए एक समिति बनाई गई, जिसने अगस्त 2025 में अपनी सिफारिशें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंपीं।
इस समिति ने अनुसूचित जातियों के 17 प्रतिशत आरक्षण को बांटते हुए दलित दक्षिणपंथी समूह (होलेयास) और दलित वामपंथी समूह (मडिगा) को 6 प्रतिशत, जबकि लम्बानी, कोरमा, कोराचा, भोविस जैसी स्पृश्य जातियों और 59 सूक्ष्म समुदायों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने का सुझाव दिया। इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी।
भर्ती में देरी से नाराजगी
हालांकि, आरक्षण नीति को मंजूरी मिलने के बावजूद सरकार ने भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की। इससे युवाओं में भारी निराशा और गुस्सा फैल गया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पिछले महीने विधानसभा में वादा किया था कि आंतरिक आरक्षण लागू होने के बाद भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू होगी, लेकिन इस वादे का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला।
इसके चलते धारवाड़ में युवाओं का गुस्सा सड़कों पर उमड़ पड़ा। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू हो ताकि बेरोजगारी और हताशा से राहत मिल सके।
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