‘मैं अपनी मां को सिर्फ इतना सूचित करके आई हूं कि मां धरने पर जा रही हूं। शाम को किस हालत में लौटूंगी पता नहीं।’
ये उत्तराखंड में धरने पर बैठे सैकड़ों युवाओं में से एक युवती के भाषण का अंश है जो वायरल हो रहा है।ये भाषण उस युवा आक्रोश का प्रतीक है जो इस समय पूरे उत्तराखंड में महसूस किया जा सकता है। इसकी तात्कालिक वजह तो पेपर लीक है लेकिन यह इन युवाओं में भरपूर गुस्से की वजह बन गया है।
प्रदेश के एक बड़े हिस्से में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पर्चे लीक होने की वजह से युवा यानि जेन जी आंदोलित हैं।वो पर्चा रद्द करने की मांग कर रहे हैं,नौकरियां मांग रहे हैं,राज्य सरकार से सवाल कर रहे हैं कि पर्चा लीक गिरोह पर अंकुश क्यों नहीं लगता?
इस युवा आक्रोश को राज्य के मुख्यमंत्री का शर्मनाक जवाब मिला है!मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे नकल जिहाद कह दिया क्योंकि इस मामले में अन्य लोगों के अलावा एक धर्म विशेष के दो लोग भी पकड़े गए!
युवाओं के रोजगार से जुड़े सवालों को लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित एक सरकार के मुखिया जिस तरह धर्म की आग में सेंकने की कोशिश कर रहे हैं वह तो दुर्भाग्यजनक है ही पर इस मुख्यमंत्री को जो जवाब चौराहों पर बैठे युवा अपने भाषणों में दे रहे हैं सत्तारूढ़ लोगों को उन्हें भी सुनना चाहिए।
अभी केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भी युवा आक्रोश शांत नहीं हुआ है।वहां पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में गांधीवादी तरीके से चल रहा एक अहिंसक आंदोलन तब अचानक हिंसक हो उठा जब युवाओं की पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुईं,आगजनी हुई, आंदोलनकारियों ने बीजेपी दफ्तर में भी आग लगा दी।इस हिंसा में चार लोगों की मौत भी हुई।
केंद्र सरकार लद्दाख से उठ रही जायज़ मांगों को सुनने के बजाए, इस हिंसा के लिए महीनों से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे, सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहरा रही है।
ये सिर्फ लद्दाख या उत्तराखंड में नजर आया आक्रोश नहीं है।कोलकाता में डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के बाद भड़का युवा आंदोलन भी अभी हाल की ही बात है।
भारत श्रीलंका,बांग्लादेश,नेपाल या केन्या नहीं है।भारत में राजसत्ता बहुत ताकतवर है और लोकतंत्र की जड़ें भी तमाम कोशिशों के बावजूद इतनी खोखली नहीं हो गईं हैं कि ऐसे आंदोलनों से बड़ी राष्ट्रव्यापी अराजकता मच जाएगी।लेकिन यह सवाल तो उठ रहा है कि क्या युवाओं के गुस्से को सरकारें महसूस कर पाने में विफल हैं।
अगर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी देश में जेन जी की निराशा को संबोधित करते हैं तो सत्तारूढ़ भाजपा उन पर युवाओं को भड़काने का आरोप लगाती है लेकिन सच यह है कि जो सत्ता में हैं यह उनकी जिम्मेदारी है कि युवाओं के बढ़ते आक्रोश को महसूस करें और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप इस आक्रोश को संबोधित करें। इस बात को महसूस करें कि युवा आक्रोश पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है और इसे नजरअंदाज किया गया तो भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा।
देश के सत्तारूढ़ तबके को इस बात को भी महसूस करना होगा कि इस समय दुनिया का सबसे बड़ा मुद्दा न्याय है। लद्दाख या उत्तराखंड में अन्याय के खिलाफ न्याय की उम्मीद ही सड़क पर है।
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