नई दिल्ली। वाराणसी में यातायात की भीड़भाड़ से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, नगर प्रशासन प्रमुख बाज़ारों और घाटों को जोड़ने वाला रोपवे प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। पीएम मोदी ने 2023 में इस प्रॉजेक्ट का उद्घाटन किया था। संभवतः 15 अक्टूबर से पहले यह नागरिकों के लिए खोल दिया जाएगा।
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन को गोदौलिया चौक से जोड़ने वाले इस 3.75 किमी लंबे रोपवे कनेक्शन से 5 स्टेशन कवर होने की उम्मीद है, जिससे सड़क मार्ग से 45-50 मिनट का सफ़र रोपवे से सिर्फ़ 15 मिनट में पूरा हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस रोपवे में प्रतिदिन 3 से 4 हजार लोग प्रतिदिन यात्रा करेंगे और इसका शुल्क 100 -150 रूपये तक होगा।
807 करोड़ में तैयार हुई परियोजना
जो सर्वाधिक चौंकाने वाली बात है वह इस प्रॉजेक्ट की लागत से जुड़ी हुई है। रोपवे परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 645 करोड़ रुपये थी लेकिन इस पर अब तक 807 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। नहीं भुला जाना चाहिए कि इसरो ने मंगल परियोजना इससे लगभग आधे दाम ने पूरी की थी। कहा जा रहा है कि रोपवे प्रोजेक्ट में। लगभग 220 केबल कार या ट्रॉली कार होंगी, जिनमें से प्रत्येक में 10 यात्री बैठ सकेंगे।
दुनिया का तीसरा शहर बनेगा बनारस
इस परियोजना के पूरा होने पर, वाराणसी मेक्सिको और बोलीविया के बाद दुनिया का तीसरा और भारत का पहला शहर बन जाएगा, जहाँ शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के रूप में रोपवे का उपयोग किया जाएगा। एक लाख से ज़्यादा यात्रियों, खासकर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का भार सड़क से हवाई मार्ग पर स्थानांतरित करने के उद्देश्य से बनाई गई इस सेवा से गोदौलिया से कैंट रेलवे स्टेशन पहुँचने में लगभग 16 मिनट लगेंगे। इसमें ट्रॉली कारें 45 से 50 मीटर की अनुमानित ऊँचाई से चलेंगी।