बिलासपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग से जुड़े 1000 करोड़ के एनजीओ घोटाले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। एक जनहित याचिका की सुनवाई में हाई कोर्ट का यह फैसला आया है। 15 दिनों में रिकॉर्ड सुरक्षित कर सीबीआई को जांच शुरू करने को कहा गया है।
इस कथित घोटाले में दो पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ और सुनील कुजूर सहित आईएएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के करीब 11 अफसरों का नाम है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई पर यह फैसला दिया है। दोनों जजों ने इसे गंभीर और संगठित अपराध बताया है।
घोटाले में विवेक ढांड और सुनील कुजूर के अलावा पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एमके राउत, पूर्व प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला, बीएल अग्रवाल, पीपी सोती जैसे आईएएस शामिल हैं।
इनके अलावा राजेश तिवारी, सतीश पांडेय, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय व पंकज वर्मा की भी इस घोटाले में अहम भूमिका रही है।
इन अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर CBI जांच पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन शीर्ष अदालत ने मामला हाईकोर्ट को वापस भेज दिया।
2018 से यह जनहित याचिका लंबित थी। सुप्रीम कोर्ट से वापस हाई कोर्ट मामला आने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्थानीय एजेंसियां और पुलिस ऐसी जांच नहीं कर सकती। इसकी जांच निष्पक्ष तरीके से सीबीआई ही कर सकती है।
घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद कई स्तर पर शिकायत करने के बाद जब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कुंदन सिंह ने साक्ष्यों के साथ हाई कोर्ट में याचिका लगाई और आरोप लगाया कि इस संस्थान का निर्माण ही घोटाले के लिए किया गया था।
यह पूरा मामला नि:शक्तों के संस्थान से जुड़ा है, जहां फर्जी एनजीओ के नाम पर सरकारी योजनाओं की जमकर बंदरबांट हुई है। इस बंदरबांट की खबर जब सामने आई तो स्पेशल ऑडिट में 31 प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं का पता चला।
यह वित्तीय अनियमितता राज्य स्त्रोत नि:शक्तजन संस्थान से जुड़ी है। वित्तीय अनियमितताओं में बिना अनुमति अग्रिम निकासी, काल्पनिक मशीनों की खरीद के साथ ही कागजों में अस्पताल का निर्माण, रकम की मनमर्जी से निकासी, इन रकम की निकासी का वाउचर का गायब होना और किसी भी नगद ट्रांजेक्शन का कैशबुक में हिसाब न मिलना शामिल है।
इस मामले की जब जांच शुरू हुई तो करीब 5.67 करोड़ के फर्जीवाड़े की बात सामने आई, लेकिन बाद में जब जांच हुई तो करीब 1 हजार करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश हुआ।
इस मामले के हाई कोर्ट में याचिका लगने से पहले इस घोटाले की कई जगह शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ताओं में एक भाजपा नेता नरेश गुप्ता भी थे। नरेश गुप्ता ने द लेंस से कहा कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। उम्मीद है सीबीआई इस मामले में जल्द ही जांच शुरू करेगी और घोटाला करने वालों को सलाखों के पीछे भेजेगी।
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