नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पत्रकार रवि नायर, अबीर दासगुप्ता, आयुष जोशी और आयुष जोशी को अडानी ग्रुप (Adani Group) की अडानी एंटरप्राइज लिमिटेड (AEL) को ‘बदनाम’ करने वाली खबरें प्रकाशित करने से रोकने वाले एकपक्षीय आदेश पर रोक लगा दी।
इसी मामले में पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की अपील पर सुनवाई कर रही एक अन्य अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
रोहिणी अदालत ने 6 सितंबर को एकपक्षीय अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को एईएल को कथित रूप से बदनाम करने वाले लेख और सोशल मीडिया पोस्ट हटाने और अगली सुनवाई तक फर्म के खिलाफ ऐसी सामग्री प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
गुरुवार को ठाकुरता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पैस ने पूछा कि जब केंद्र सरकार इस मामले में पक्षकार ही नहीं है, तो वह कार्रवाई कैसे कर सकती है। मंगलवार, 16 सितंबर को, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मानहानि मामले में दो मीडिया घरानों और कई यूट्यूब चैनलों को नोटिस भेजे थे।
पेस ने कहा, ‘जरूरी बात यह है कि केंद्र सरकार ने बिचौलियों को सारी सामग्री हटाने का आदेश दिया है।’
उन्होंने तर्क दिया, ‘उनका कहना है कि मेरी (गुहा की) रिपोर्टिंग भारत के ऊर्जा हितों को नुकसान पहुंचा रही है। वे खुद को भारत के बराबर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं… अदालत ने यह नहीं बताया कि सामग्री किस तरह मानहानिकारक है या अगर निषेधाज्ञा नहीं दी गई तो इससे अपूरणीय क्षति होगी… आदेश में कहा गया है कि उन्हें (एईएल) किसी भी मामले में दोषी नहीं पाया गया है। लेकिन यह मानहानि की कसौटी नहीं है।’
रोहिणी कोर्ट के जिला न्यायाधीश सुनील चौधरी ठाकुरता की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
दिखाएं कि अडानी के शेयरों पर क्या असर पड़ा?
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने अडानी के वकील से पूछा कि रोहिणी कोर्ट को इस मामले में अधिकार क्षेत्र कैसे प्राप्त है। अडानी के वकील, एडवोकेट विजय अग्रवाल ने जवाब दिया, ‘मानहानि ऑनलाइन थी।’ रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य वकील द्वारा निषेधाज्ञा जारी करने का आग्रह करने पर, अदालत ने पूछा कि अदालत द्वारा कोई घोषणा किए जाने से पहले ऐसा कैसे किया जा सकता है।
यह जानने पर कि अडानी ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है, अदालत ने कहा, ‘आप जवाब दाखिल करें, तब तक हम आदेश पर रोक लगाते हैं। आपने कैविएट दाखिल कर दिया है। उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि आप रोहिणी कोर्ट में मुकदमा दायर करेंगे।’
ठाकुरता के लेख को पढ़ने के बाद, अदालत ने अडानी के वकील से उस पंक्ति की ओर इशारा करने को कहा जो अपमानजनक थी। अडानी एंटरप्राइजेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया ने जवाब दिया, ‘उस सरकार ने मेरे लिए नियमों में फेरबदल किया।’
अदालत ने पूछा, ‘तो इसमें आपको क्या दिक्कत हो रही है?’
इसके बाद वकील ने एक अन्य लेख की ओर इशारा किया जिसमें आरोप लगाया गया था कि मोदी सरकार ने अडानी के लाभ के लिए नियमों में बदलाव किया है, जिसके बाद अदालत ने वकील से यह दिखाने को कहा कि ऐसे लेखों ने अडानी के शेयरों को कैसे प्रभावित किया है।
अहलूवालिया ने कहा, ‘कल उन्होंने कहना शुरू किया कि केंद्र सरकार हमारी जेब में है।’ अदालत ने जवाब दिया, ‘आप भी किसी की जेब में होंगे। बोलते रहें…कोई कुछ भी बोलता है।’
अडानी के वकील अहलूवालिया ने कहा कि हमारी पीड़ा यह है कि बात यहीं नहीं रुकती। बार-बार, मुझे कलंकित करने वाले लेख आते हैं। यदि वे पत्रकार हैं… तो वे कमरे में बैठकर योजना बना रहे हैं, कहानियां बना रहे हैं। क्या मुझे अपने शेयरों के नीचे जाने का इंतजार करना चाहिए… मेरे प्रभु को उनसे पूछना चाहिए कि उनके पीछे चीन का क्या कौन है,’ अहलूवालिया ने तर्क दिया।
अदालत ने जवाबी दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
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