[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
ट्रैवल कारोबारी ने इंडिगो की मनमानी की धज्जियां उधेड़ी
287 ड्रोन मार गिराने का रूस का दावा, यूक्रेन कहा- हमने रक्षात्मक कार्रवाई की
छत्तीसगढ़ सरकार को हाई कोर्ट के नोटिस के बाद NEET PG मेडिकल काउंसलिंग स्थगित
विवेकानंद विद्यापीठ में मां सारदा देवी जयंती समारोह कल से
मुखर्जी संग जिन्ना की तस्‍वीर पोस्‍ट कर आजाद का BJP-RSS पर हमला
धान खरीदी में अव्यवस्था के खिलाफ बस्तर के आदिवासी किसान सड़क पर
विश्व असमानता रिपोर्ट 2026: भारत की राष्ट्रीय आय का 58% हिस्सा सबसे अमीर 10% लोगों के पास
लोकसभा में जोरदार हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट, राहुल गांधी ने अमित शाह को दे दी चुनौती
जबलपुर पुलिस ने ‘मुस्कान’ अभियान के तहत 73 लापता बच्चों को बचाया, 53 नाबालिग लड़कियां शामिल
महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में ₹82 लाख के इनाम वाले 11 नक्सलियों ने किया सरेंडर
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
दुनिया

ब्राह्मणों-क्षत्रियों को ज्यादातर रोजगार, दलितों-पिछड़ों की हकतलफी, नेपाल में जातिवाद का डरावना सच

आवेश तिवारी
आवेश तिवारी
Published: September 11, 2025 3:05 PM
Last updated: September 11, 2025 3:05 PM
Share
Nepal
SHARE

नई दिल्ली। नेपाल (Nepal) की आधुनिक राजनीतिक और नौकरशाही संस्थाओं पर खस आर्य समूह के सदस्यों, विशेष रूप से ब्राह्मणों और क्षत्रियों का प्रभुत्व बना हुआ है । कुल जनसंख्या का केवल 28-29 फीसदी हिस्सा होने के बावजूद, वे सरकार, राजनीति और लोक प्रशासन में उच्च-स्तरीय पदों पर आसीन हैं।

आंकड़े बताते हैं कि नेपाल में सभी सरकारी नौकरियों में ब्राह्मणों की संख्या 33.3 फीसदी और छेत्री की 20.0 फीसदी थी। हाशिए पर पड़े समुदायों के प्रतिनिधित्व में सुधार लाने के उद्देश्य से आरक्षण नीतियों की मौजूदगी को देखते हुए ये आंकड़े विशेष रूप से चिंताजनक हैं।

दरअसल, एक विश्लेषण से पता चला है कि 91.2 फीसदी शीर्ष सरकारी पद जैसे सचिवों, न्यायाधीशों, राजनयिकों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों सहित—उच्च जातियों, खासकर ब्राह्मणों और छेत्रियों के पास हैं। इससे दलितों, जो आबादी का 12.8 फीसदी हिस्सा हैं , को प्रमुख निर्णय लेने वाले पदों पर बहुत कम या नगण्य प्रतिनिधित्व मिलता है। कुछ क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय प्रभुत्व और भी स्पष्ट है।

नेपाल के पहाड़ी जिलों में, क्षत्रिय कुल जनसंख्या का 41 फीसदी तक हैं, उसके बाद 31 फीसदी ब्राह्मण हैं, जबकि हाशिए पर पड़ी जातियाँ और जातीय समूह केवल 27 फीसदी हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि जातिगत पदानुक्रम न केवल संस्कृति में, बल्कि राज्य के रोज़मर्रा के कामकाज में भी अंतर्निहित है ।

नेपाल शिक्षा तक पहुंच अभी भी गंभीर रूप से असमान है। जहां 88 फीसदी से ज़्यादा खास ब्राह्मणों और क्षेत्रियों की स्कूली शिक्षा तक पहुंच है, वहीं लगभग 52% पहाड़ी दलित, 47% तराई दलित, 48% मुसलमान और 30% पहाड़ी जनजातियां कभी स्कूल नहीं गईं।

यह असमानता पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले बहिष्कार का सीधा नतीजा है। इन समूहों के उत्थान के लिए बनाई गई आरक्षण नीतियां व्यवहार में विफल रही हैं। सशक्तिकरण के रास्ते बनने के बजाय, अक्सर अभिजात वर्ग द्वारा खामियों या पक्षपात के ज़रिए इन पर कब्ज़ा कर लिया जाता है या इन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।

2020 में, रुकुम नरसंहार ने पूरे देश को झकझोर दिया था जब पश्चिमी नेपाल में एक शादी समारोह में शामिल होने गए छह युवक जिनमें ज़्यादातर दलित थे जाति-आधारित हमले में मारे गए थे। इस घटना से आक्रोश तो फैला, लेकिन यह कोई अकेला मामला नहीं था। जाति-आधारित हिंसा की रिपोर्टिंग और कार्रवाई कम ही होती है ।

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी भेदभाव मौजूद है। एक बहुचर्चित मामला दलित मीडियाकर्मी रूपा सुनार का था, जिन्हें उनकी जाति के कारण मकान मालिक ने घर देने से मना कर दिया था। इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन दोषियों को कोई गंभीर परिणाम नहीं भुगतना पड़ा, जिससे पता चलता है कि नेपाली समाज में इस तरह का व्यवहार कितना सामान्य है।

नेपाल की लगभग 20 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है, हाशिए पर पड़ी जातियों और दूरदराज के इलाकों की हालत तो और भी बदतर है। युवा बेरोज़गारी दर 22 फीसदी को पार कर गई है , जिससे देश की युवा पीढ़ी, खासकर निचली जातियों के लोग, हताशा में हैं, जो शिक्षा और रोज़गार दोनों से खुद को दोहरा रूप से वंचित महसूस करते हैं।

आय असमानता जातिगत विभाजन को प्रतिबिंबित करती है। खास ब्राह्मणों की औसत प्रति व्यक्ति आय लगभग 24,399 रुपये है , जबकि दलित लगभग 12,114 रुपये और मुसलमान 11,014 रुपये कमाते हैं । ये संख्याएं केवल आंकड़े नहीं हैं ये संघर्ष के चक्र में फंसे जीवन को दर्शाती हैं, जिसमें ऊपर की ओर बढ़ने की बहुत कम संभावना है।

हाशिए के इलाकों में बुनियादी ढांचे की कमी, स्कूलों की बदहाली और सीमित स्वास्थ्य सेवा इन असमानताओं को और मज़बूत करती है। जैसे-जैसे आर्थिक व्यवस्था एक छोटे, कुलीन वर्ग को फायदा पहुंचाती जा रही है, असंतोष और निराशा बढ़ती जा रही है, खासकर युवाओं में , जिन्हें मौजूदा ढांचे में कोई भविष्य नजर नहीं आता।

यह भी पढ़ें : सेना के हवाले नेपाल, कर्फ्यू के बीच हिंसा और तनाव का सिलसिला जारी, Gen Z ने की चुनाव की मांग

TAGGED:NEPALTop_News
Previous Article BJP leaders protest in UP यूपी में बत्ती बंद कर धरना दे रहे भाजपा नेताओं की पुलिस ने की पिटाई, एक की मौत
Next Article Paranjoy Guha Thakurta झुकेंगे नहीं, कोर्ट में अपनी रिपोर्टिंग पूरे दम से बचाएंगे: परंजॉय गुहा ठाकुरता
Lens poster

Popular Posts

छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले उपाध्यक्ष बनवारी लाल का निधन

कोरबा। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता बनवारी लाल अग्रवाल का आज…

By Lens News

USD-INR Buy-Sell Swap Auction : रुपये की हालत सुधाने के लिए RBI ने उठाया ये कदम, जानिए इससे क्‍या होगा?

लेंस डेस्‍क। USD-INR Buy-Sell Swap Auction : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डॉलर की तुलना…

By अरुण पांडेय

ब्रेकिंग : रायपुर में सनसनीखेज वारदात… पत्नी की हत्या करने के बाद पति ने ट्रेन से कटकर दे दी जान

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है।…

By दानिश अनवर

You Might Also Like

Stock market
अर्थ

शेयर बाजार : निवेशकों के 5.64 लाख करोड़ रुपये घटे, जानें क्‍या है वजह

By Lens News Network
Raipur Airport
छत्तीसगढ़

रायपुर के आसमान में घने बादल, पायलट को नहीं दिखा रन-वे, दो फ्लाइट भुवनेश्वर डायवर्ट

By Lens News
Chirag Nitish meeting
बिहार

तो क्‍या बिहार NDA में सब ठीक है? चिराग के घर क्‍यों पहुंचे सीएम नीतीश

By Lens News Network
CG High Court
छत्तीसगढ़

बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मैट्रिक सर्टिफिकेट ही उम्र निर्धारण का अंतिम आधार

By Lens News

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?