नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवात के 75वें जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने लिखे एक लेख में उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की है। भागवत की बौद्धिक गहराई और संवेदनशील नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 2009 से आरएसएस प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल, संघ की 100 साल की यात्रा में सबसे परिवर्तनकारी काल माना जाएगा।
गुरुवार को कई अखबारों में प्रकाशित एक प्रशंसनीय लेख में मोदी ने कहा कि वे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के जीवंत उदाहरण हैं और उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक परिवर्तन और सद्भाव एवं बंधुत्व की भावना को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया है।
वहीं कांग्रेस ने मोहन भागवत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेख को लेकर उन पर निशाना साधा है और कहा कि आरएसएस प्रमुख को उनके 75वें जन्मदिन पर “अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा” संघ नेतृत्व का पक्ष लेने की एक “हताश कोशिश” है।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री ने आरएसएस नेतृत्व का पक्ष लेने की अपनी बेताब कोशिश में, आज मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर उन्हें एक अतिशयोक्तिपूर्ण श्रद्धांजलि लिखी है।”
रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री ने याद दिलाया है कि 11 सितंबर, 1893 को ही स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना अमर भाषण दिया था। प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया है कि अमेरिका में अल-कायदा के आतंकवादी हमले 11 सितंबर, 2001 को हुए थे।”
कांग्रेस नेता ने एक्स पर कहा, “लेकिन आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया कि महात्मा गांधी ने पहली बार 11 सितंबर, 1906 को जोहान्सबर्ग में सत्याग्रह का आह्वान किया था। उसी समय दुनिया ने पहली बार इस क्रांतिकारी विचार के बारे में सुना था।”
जयराम रमेश ने कहा, “बेशक, प्रधानमंत्री से सत्याग्रह की उत्पत्ति याद रखने की उम्मीद करना बहुत ज़्यादा है क्योंकि सत्य शब्द ही उनके लिए अपरिचित है।” उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री, जो खुद को अजैविक बताते हैं, अपने प्रवचनों को ऐसे पेश करते हैं मानो वे ईश्वर-प्रदत्त हों।”
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