नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव कल यानी 9 सितंबर को होना है। लेकिन इससे पहले खबर यह आ रही है कि इस चुनाव के लिए मतदान से बीजू जनता दल और भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है।
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर किसी पार्टी की ओर से व्हिप जारी नहीं होता है। अपनी मर्जी से वोट डालने के लिए सांसद स्वतंत्र होते हैं।
राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि बीजेडी एनडीए और इंडिया दोनों से समान दूरी बनाए रखने की नीति पर चल रही है और ओडिशा के विकास पर फोकस करेगी। बीजेडी के पास राज्यसभा में 7 सीटें हैं लेकिन लोकसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
बीआरएस ने भी चुनाव से दूर रहने का ऐलान किया है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने कहा कि तेलंगाना के किसानों को यूरिया की कमी से हो रही परेशानी के विरोध में पार्टी मतदान नहीं करेगी क्योंकि नोटा का विकल्प नहीं है। बीआरएस ने केंद्र और राज्य सरकारों पर किसानों की समस्या न सुलझाने का आरोप लगाया है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद हो रहा है। एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं जो भाजपा से जुड़े हैं जबकि इंडिया गठबंधन ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी सुंदरशन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है जो स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन इंडिया ब्लॉक का समर्थन प्राप्त है।
वोटों का गणित
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 781 वोट हैं जो लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से मिलकर बनता है। लोकसभा में 543 सदस्य और राज्यसभा में 245 सदस्य शामिल हैं जिनमें नामित सदस्य भी वोट डाल सकते हैं। हालांकि कुछ सीटों पर रिक्तियां होने से कुल संख्या 781 है। चुनाव गुप्त मतदान से होता है और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व से विजेता तय होता है।
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एनडीए के पास पहले से ही बहुमत है। एनडीए के पास करीब 436 से 439 वोट हैं जबकि इंडिया ब्लॉक के पास 324 वोट। वाईएसआरसीपी ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दिया है जिससे एनडीए को 11 अतिरिक्त वोट मिल सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेडी और बीआरएस के दूर रहने से इंडिया ब्लॉक को कोई सीधा फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि ये पार्टियां न्यूट्रल रहले का दावा कर रही है। लेकिन अगर वे इंडिया को समर्थन देतीं तो विपक्ष की स्थिति मजबूत हो सकती थी।
कुल मिलाकर एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन दलों की गैरमौजूदगी से जीत का अंतर थोड़ा प्रभावित हो सकता है। एनडीए को 56 प्रतिशत वोटों का अनुमान है जबकि इंडिया को 41 प्रतिशत। अन्य 3 प्रतिशत वोट स्वतंत्र या छोटी पार्टियों के हैं।
वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने बीबीसी को बताया कि जहां तक वोटों के गणित की बात है तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एनडीए के पक्ष में है। उनका कहना है, “इसमें यह देखना है कि कौन सा गठबंधन अपनी निर्धारित संख्या से अधिक मतदान करा सकता है। कुल 781 वोटों में से 48 वोट ऐसे हैं जो न तो एनडीए के साथ है और न ही इंडिया के साथ।”
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