नई दिल्ली। पीएम मोदी की मणिपुर की संभावित यात्रा को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बीते दिन राज भवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने बीजेपी नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गोपनीय बैठक की। इस बैठक को पीएम मोदी की यात्रा की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
मई 2023 में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा से उपजा तनाव अभी तक जारी है। इस हिंसा में अब तक 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा के बाद यह पीएम मोदी का पहला मणिपुर दौरा संभावित है।
इस बैठक के बाद अब कांग्रेस सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता ओकराम इबोबी ने 13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा से पहले राज्यपाल द्वारा केवल भाजपा विधायकों के साथ बैठक बुलाने की कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने इसे राजभवन की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया। इबोबी ने कहा कि इस तरह की चयनात्मक बैठक लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करती है और जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की आवाज को दरकिनार करती है।
खबरों के मुताबिक 13 सितंबर को प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा हो सकता है। वह मिजोरम में रेलवे लाइन का उद्घाटन कर चुराचांदपुर में पीस ग्राउंड और इम्फाल के कांगला में कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं। मणिपुर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है और विधानसभा अनिश्चित काल के स्थगित है। संभावना जताई जा रही है कि इसे लेकर भी कुछ बड़ी घोषणा हो सकती है।
मणिपुर कांग्रेस ने क्या कहा

अपने आधिकारिक आवास पर पत्रकारों से बातचीत में इबोबी ने इस बैठक को “राजनीतिक पक्षपात का खुला प्रदर्शन” करार दिया। उन्होंने मांग की कि राज्य में जारी संकट पर चर्चा के लिए सभी विधायकों को शामिल किया जाए, चाहे वे किसी भी दल से हों। उन्होंने कहा, “अगर यह बैठक हिंसा के मुद्दे को हल करने के लिए थी, तो विपक्षी विधायकों को बाहर रखना मणिपुर की जनता का अपमान है। राजभवन को राजनीति से ऊपर रहना चाहिए।”
इबोबी ने अगस्त 2008 में कांग्रेस सरकार के दौरान हस्ताक्षरित सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समझौते के प्रबंधन पर भी सवाल उठाए। यह समझौता लगभग एक साल तक निष्क्रिय रहने के बाद बढ़ाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने इस समझौते के सख्त नियमों के बार-बार उल्लंघन को नजरअंदाज किया।
इबोबी ने कहा, “निगरानी समिति को मुद्दों का हवाला देने के बजाय, पूर्व राज्य सरकार ने दो उग्रवादी समूहों के लिए एसओओ रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया, लेकिन केंद्र ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे स्थानीय समुदाय असुरक्षित हो गए और उग्रवादी स्वतंत्र रूप से सक्रिय रहे।”
प्रधानमंत्री की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए इबोबी ने कहा कि यह “किसी मिशन से ज्यादा एक दौरा” लगता है, क्योंकि इसमें मिजोरम और असम को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह यात्रा केवल 2-3 घंटे की औपचारिकता होगी और हिंसा को खत्म करने के लिए ठोस आश्वासन या रोडमैप नहीं मिलेगा, तो यह मणिपुर की समस्याओं के प्रति उदासीनता को दर्शाएगा।
राजभवन में बीजेपी नेताओं की बैठक
मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला ने हाल ही में राजभवन में एक अहम बैठक बुलाई, जिसमें बीजेपी और सहयोगी दलों के 20 से अधिक विधायकों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत सिंह और बीजेपी की प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा देवी भी मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक विधायकों को पीएम की संभावित यात्रा के बारे में जानकारी दी गई और उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए लोगों से संवाद करने को कहा गया।
क्या है संभावित कार्यक्रम
जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी 13 सितंबर को दोपहर में कुकी बहुल चुराचांदपुर पहुंच सकते हैं, जहां पीस ग्राउंड में एक कार्यक्रम की तैयारियां चल रही हैं। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से इम्फाल के कांगला किले पहुंचेंगे, जहां दोपहर 1:30 बजे के आसपास उनका भाषण देने का कार्यक्रम है।
दोपहर 2:30 बजे तक वे इम्फाल हवाई अड्डे से असम के लिए रवाना हो सकते हैं। इस दौरान पीएम विस्थापित लोगों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर सकते हैं और मणिपुर के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा की उम्मीद है।
चुराचांदपुर और इम्फाल में तैयारियां तेज हो गई हैं। कांगला किले में 15,000 लोगों की क्षमता वाला एक भव्य मंच बनाया जा रहा है, जिसमें बाहर से सामग्री मंगाई गई है। 100 से अधिक मजदूर इस काम में जुटे हैं।
इम्फाल हवाई अड्डे से कांगला किले तक 7 किलोमीटर के रास्ते को सजाया जा रहा है, जिसमें सड़क के किनारे पेंटिंग और पेड़ों की छंटाई का काम चल रहा है। चुराचांदपुर के पीस ग्राउंड में भी इसी तरह की तैयारियां की जा रही हैं।
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