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छत्तीसगढ़

राजभवन में शिक्षकों का ये कैसा सम्मान?

दानिश अनवर
Last updated: September 5, 2025 10:47 pm
दानिश अनवर
Byदानिश अनवर
Journalist
दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर...
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ऐसा पहली बार कि सम्मान पाने वाले ही स्मृति चिन्ह लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे, पहली बार ड्रेस कोड भी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजभवन शिक्षक दिवस पर आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में सरकारी सिस्टम ने शिक्षकों का सम्मान कम और अपमान ज्यादा किया। पहली बार सम्मान पाने वालों के लिए ड्रेस कोड रखा गया था। इससे शिक्षक दुखी हुए। इतना ही नहीं सबसे ज्यादा अपमानित तो शिक्षकों ने तब महसूस किया, जब राज्यपाल रमेन डेका से सम्मान लेने के लिए उन्हें खुद ही स्मृति चिन्ह और प्रशस्ती पत्र लेकर मंच पर आना पड़ा।

शिक्षक दिवस समारोह में बुलाए गए शिक्षकों ने सबसे ज्यादा हैरानी तो इस बात की जताई, कि उनके लिए ड्रेस कोड रखा गया। पुरुष शिक्षकों के लिए ब्लू ब्लेजर और महिला शिक्षकों के लिए एक रंग के बॉर्डर वाली साड़ी ड्रेस कोड के तौर पर रखी गई थी।

समारोह का ऐसा माहौल देखकर शिक्षकों ने काफी हैरानी जताई है। राजभवन में सम्मान पाने आए शिक्षकों का कहना है कि ड्रेस कोड जैसी शर्त लगाकर उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है। अब तक राजभवन में हुए सम्मान समारोह में ऐसा पहली बार हुआ है कि शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड रखी गई है।

सम्मान समारोह से एक दिन पहले सम्मानित होने वाले शिक्षकों को बुलाकर रिहर्सल कराया गया था। शिक्षकों ने बताया कि उन्हें रिहर्सल के दौरान मंच पर क्रमवार बुलाया गया था, लेकिन सम्मान देने के दौरान समूह में बुलाया गया।

स्कूल शिक्षा विभाग के यह कार्यक्रम राजभवन के छत्तीसगढ़ मण्डपम् में हुआ। राज्यपाल रमेन डेका ने 64 शिक्षकों को सम्मानित किया। इसमें प्रदेशभर से शिक्षक बुलाए गए थे। छत्तीसगढ़ की चार विभूतियों के नाम से यह सम्मान दिया जाता है।

इस समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई। इसके बाद राजगीत गाया गया। फिर स्कूल शिक्षा सचिव सिध्दार्थ कोमल परदेसी ने इस आयोजन के बारे में बताया।

समारोह के शुरू होने से पहले ही सम्मान पाने वाले शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न पहले ही दे दिया गया था। जब सम्मान के लिए शिक्षकों का नाम पुकारा गया तो नजर आया कि वे प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न साथ में लेकर आ रहे थे। इतना ही नहीं शिक्षकों के गले में शॉल भी पहले से ही डला हुआ था।

शिक्षक मंच से अपने साथ शॉल, सम्मान पत्र और स्मृति चिह्न अपने साथ ले आए।

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे का कहना है कि राजभवन में इस तरह का सम्मान समारोह पहले कभी नहीं हुआ। शिक्षकों पर ड्रेस कोड की अनिवार्यता डालना एक तरह वित्तीय बोझ डालना है। शिक्षकों के लिए शालीन पहनावा होना चाहिए, लेकिन सूट -बूट की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। यही नहीं शिक्षकों के लिए सम्मान उनकी जीवन भर की असल पूंजी होती है।

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Byदानिश अनवर
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दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर में इन्‍वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग टीम में सीनियर रिपोर्टर के तौर पर काम किया है। इस दौरान स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन खबरें लिखीं। दैनिक भास्‍कर से पहले नवभारत, नईदुनिया, पत्रिका अखबार में 10 साल काम किया। इन सभी अखबारों में दानिश अनवर ने विभिन्न विषयों जैसे- क्राइम, पॉलिटिकल, एजुकेशन, स्‍पोर्ट्स, कल्‍चरल और स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन स्‍टोरीज कवर की हैं। दानिश को प्रिंट का अच्‍छा अनुभव है। वह सेंट्रल इंडिया के कई शहरों में काम कर चुके हैं।
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