वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया भर के देशों पर लगाए गए टैरिफ को संघीय अपील कोर्ट अवैध करार दे दिया है। जिसके बाद ट्रंप प्रशासन अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के शरण में है। बुधवार को ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है वह इस टैरिफ के पक्ष में अनुमति दे।
संघीय अपील कोर्ट ने माना कि ट्रंप ने 1970 के दशक के आपातकालीन शक्ति कानून का उपयोग करके अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। अपील कोर्ट ने अपने फैसले को अस्थायी रूप से रोक दिया है, जिससे टैरिफ 14 अक्टूबर तक लागू रहेंगे, ताकि ट्रंप सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर सकें।
सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वे 10 सितंबर तक यह तय करें कि मामले की समीक्षा की जाए या नहीं और नवंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई निर्धारित करें। यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को स्वीकार करता है, तो यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पहला ऐसा मामला होगा जो प्रशासन की प्रमुख नीतियों की वैधता को सीधे चुनौती देता है, न कि केवल अस्थायी आपातकालीन कार्रवाइयों को।
अपीलीय अदालत ने अपने अहस्ताक्षरित फैसले में कहा, “कर लगाने की शक्ति (टैरिफ सहित) कांग्रेस के पास है।” ट्रंप ने पिछले महीने 90 देशों से आयात पर टैरिफ लगाने के लिए आपातकालीन कानून का उपयोग किया था। इससे पहले उन्होंने चीन, कनाडा और मैक्सिको पर फेंटानिल व्यापार में उनकी कथित भूमिका के जवाब में टैरिफ लगाए थे।
ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को दायर याचिका में टैरिफ की अहमियत पर जोर दिया और सुप्रीम कोर्ट से तत्काल कार्रवाई की मांग की। ट्रंप के वकीलों ने टैरिफ को प्रशासन की “सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक और विदेश नीति पहल” बताया, जो राष्ट्रपति ने “अमेरिका के विनाशकारी व्यापार घाटे को ठीक करने के लिए जरूरी” माना है।
ट्रंप प्रशासन की चेतावनी
ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी है कि आपातकालीन शक्तियों के बिना देश की अर्थव्यवस्था, सैन्य शक्ति और कूटनीतिक संबंधों को गंभीर नुकसान हो सकता है, खासकर अगर सरकार को टैरिफ से एकत्र किए गए अरबों डॉलर वापस करने पड़े।
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि निचली अदालत का “गलत फैसला” ने महत्वपूर्ण और संवेदनशील व्यापार वार्ताओं को बाधित किया है और राष्ट्रपति के आर्थिक व विदेश नीति संकट को रोकने के प्रयासों पर अनिश्चितता का साया डाल दिया है। याचिका को बुधवार देर रात तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं किया गया था, लेकिन दोनों पक्षों ने इसकी दाखिल होने की पुष्टि की।
अन्य राष्ट्रपतियों ने आपातकालीन कानून का उपयोग आमतौर पर प्रतिबंध लगाने के लिए किया है, लेकिन ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने इस कानून का उपयोग 10% से 50% तक के व्यापक टैरिफ लगाने के लिए किया।
टैरिफ के खिलाफ 12 राज्यों ने दर्ज कराया मुकदमा
बीते अप्रैल में पांच छोटे व्यवसायों और बारह राज्यों ने मुकदमा दायर कर दावा किया कि ट्रंप की कार्रवाइयां गैरकानूनी थीं। इस गठबंधन के वकीलों ने बुधवार देर रात अपने कानूनी तर्कों पर विश्वास जताया।
लिबर्टी जस्टिस सेंटर के वरिष्ठ वकील जेफरी श्वाब ने कहा, “ये गैरकानूनी टैरिफ छोटे व्यवसायों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं और उनकी आजीविका को खतरे में डाल रहे हैं। हम अपने मुवक्किलों के लिए इस मामले का जल्द समाधान चाहते हैं।”
वॉशिंगटन की संघीय सर्किट अपील कोर्ट ने पिछले सप्ताह 7-4 के बहुमत से निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें टैरिफ को अवैध ठहराया गया था। कोर्ट ने कहा कि टैरिफ लगाने की मुख्य शक्ति संविधान के तहत कांग्रेस को दी गई है और संबंधित कानून में “टैरिफ”, “कर” या “शुल्क” जैसे शब्द शामिल नहीं हैं।
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