रायपुर। छत्तीसगढ़ में मितानिन कार्यकर्ताओं ने अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर आज से जोरदार आंदोलन शुरू किया है। कांकेर से रायपुर की ओर बढ़ रही मितानिनों को पुलिस ने बीच रास्ते में रोक लिया।
गुस्साई महिलाओं ने सुबह 11:42 बजे राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर धरना शुरू कर दिया, जिसके कारण हाईवे पर दोनों दिशाओं में 3-4 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। भानुप्रतापपुर की कांग्रेस विधायक सावित्री मांडवी ने धरना स्थल पर पहुंचकर मितानिनों का समर्थन किया।

यह प्रदर्शन सिर्फ कांकेर तक सीमित नहीं रहा। कवर्धा, जांजगीर-चांपा और गरियाबंद जैसे जिलों में भी मितानिनों को रोका गया। कवर्धा में उन्हें थाने में बंद कर दिया गया, जबकि जांजगीर में उन्हें ट्रेन में चढ़ने से रोक दिया गया।
गरियाबंद के पोंड गांव में मितानिनों ने स्टेट हाईवे जाम कर दिया। मितानिन संघ का कहना है कि जब उन्हें रायपुर जाने से रोका गया, तो उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया।
हजारों मितानिन पहले ही रायपुर के धरना स्थल पर पहुंच चुकी थीं और अपनी तीन मांगों – राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में सभी कार्यकर्ताओं का स्थायीकरण, 50% वेतन बढ़ोतरी और एनजीओ के जरिए चल रही ठेका प्रथा को खत्म करने को लेकर प्रदर्शन किया।
मितानिन संघ और प्रशिक्षक कल्याण संघ ने कहा कि यह आंदोलन प्रधानमंत्री की ‘गारंटी’ से जुड़े चुनावी वादों को पूरा करने की मांग के लिए है। संघ ने स्पष्ट किया कि वे किसी की नौकरी छीनने की बात नहीं कर रहे, बल्कि NHM के स्वीकृत पदों पर स्थायी भर्ती चाहते हैं ताकि शोषण और अनियमितताएं रोकी जा सकें।
7 अगस्त 2025 से शुरू हुई यह हड़ताल अब तक जारी है, जिसमें 72,000 मितानिन, 3,250 प्रशिक्षक और सैकड़ों अन्य कर्मचारी शामिल हैं। मांगें पूरी न होने पर संघ ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के निवास का घेराव करने की चेतावनी दी है। यह आंदोलन मितानिनों के अधिकारों और सम्मान की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।
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