मुंबई। 2007 में हुए एक हत्याकांड के मामले में 17 साल तक जेल में रहने के बाद गैंगस्टर अरुण गवली बुधवार को नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने गवली की जमानत याचिका स्वीकार कर ली थी।
शिवसेना के मुंबई पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट गवली को शीर्ष अदालत ने जमानत दी। जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि गवली की जमानत याचिका को मंजूरी दी गई है।
जेल की सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद गवली दोपहर करीब साढ़े बारह बजे जेल से बाहर निकला। उसके परिजनों और समर्थकों ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया। गवली के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज था। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा तय शर्तों के आधार पर उसे जमानत प्रदान की।
शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया कि गवली, जो कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, को जमानत दी जाए। अदालत ने कहा कि गवली 17 साल से ज्यादा समय से जेल में है और उसकी अपील अभी लंबित है।
गवली के खिलाफ मकोका के तहत कार्रवाई हुई थी। उसने बॉम्बे हाई कोर्ट के 9 दिसंबर, 2019 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया था। गवली मुंबई के भायखला इलाके में दगड़ी चॉल से मशहूर हुआ था और अखिल भारतीय सेना संगठन का संस्थापक है।
वह 2004 से 2009 तक चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहा। अगस्त 2012 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने उसे इस मामले में उम्रकैद और 17 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
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