[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
‘भूपेश है तो भरोसा है’ फेसबुक पेज से वायरल वीडियो पर FIR, भाजपा ने कहा – छत्तीसगढ़ में दंगा कराने की कोशिश
क्या DG कॉन्फ्रेंस तक मेजबान छत्तीसगढ़ को स्थायी डीजीपी मिल जाएंगे?
पाकिस्तान ने सलमान खान को आतंकवादी घोषित किया
राहुल, प्रियंका, खड़गे, भूपेश, खेड़ा, पटवारी समेत कई दलित नेता कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में
महाराष्ट्र में सड़क पर उतरे वंचित बहुजन आघाड़ी के कार्यकर्ता, RSS पर बैन लगाने की मांग
लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर AC बस में लगी भयानक आग, 70 यात्री बाल-बाल बचे
कांकेर में 21 माओवादियों ने किया सरेंडर
RTI के 20 साल, पारदर्शिता का हथियार अब हाशिए पर क्यों?
दिल्ली में 15.8 डिग्री पर रिकॉर्ड ठंड, बंगाल की खाड़ी में ‘मोंथा’ तूफान को लेकर अलर्ट जारी
करूर भगदड़ हादसा, CBI ने फिर दर्ज की FIR, विजय कल पीड़ित परिवारों से करेंगे मुलाकात
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस रिपोर्ट

सीएस का एक्सटेंशन, भोपाल अब दिल्ली हो गया, मामा की याद…

राजेश चतुर्वेदी
राजेश चतुर्वेदी
Byराजेश चतुर्वेदी
Follow:
Published: September 2, 2025 2:58 AM
Last updated: September 2, 2025 2:58 AM
Share
MP Ki Baat
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

भारतीय जनता पार्टी के भीतर या बाहर के जिन लोगों को 17 साल सतत मुख्यमंत्री रहने के कारण शिवराज सिंह चौहान से “ऊब” हो गई थी, आजकल उन्हें भी चौहान की याद सता रही है। कह रहे हैं कि इससे तो बेहतर तब था, जब मामा थे। कम से कम हर बात के लिए दिल्ली का मुंह नहीं देखना पड़ता था।

खबर में खास
भिंड की घटना से भाजपा की किरकिरी‘भाई साहब’ तो अब बीजेपी में हैं, फिर ऐसा क्योंमामा की लाडली बहना और मोहन सरकार पर बढ़ता कर्जढाई करोड़ की डिफेंडर, हरीश चौधरी, पटवारी और कांग्रेस की सूचीसिंधिया से क्यों “सॉफ्ट” हुए कमलनाथ-दिग्विजय?

2014 के बाद, शिवराज ने लगभग आठ साल नरेंद्र मोदी और अमित शाह की “न्यू बीजेपी” में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर समय बिताया। कैसे बिताया, क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े, कहां-कहां दबना-झुकना पड़ा या समझौते करना पड़े, ये तो शिवराज ही जानते-समझते और ‘याद’ करते होंगे, लेकिन पब्लिक डोमेन में उनकी छवि मोदी-शाह से मुक्त रही।

कम से कम वे दिल्ली के “पिट्ठू” बनकर नहीं रहे। अपनी मर्जी से मुख्य सचिव बनाया और अपने ‘हिसाब-किताब’ से उसे एक्सटेंशन दिलवाया। मजाल है, दिल्ली ने इस मामले में अपनी पसंद या मर्जी चलाई हो। लेकिन मौजूदा कालखंड में बुरा हाल है। हाल के दो घटनाक्रम यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि मध्य प्रदेश में चल क्या रहा है और कौन चला रहा है।

पहला है- उज्जैन में सिंहस्थ-2028 के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला। सरकार किसानों से जमीनों का अधिग्रहण कर रही है। उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह नगर है। उनसे बेहतर उज्जैन या सिंहस्थ को कौन जानता है? जाहिर है, सरकार ने जो भी फैसला लिया या योजना बनाई, मुख्यमंत्री यादव की सहमति के बगैर तो बनाई नहीं होगी। बावजूद इसके शिकायतें हो गईं। आरएसएस का किसान संघ सक्रिय हो गया। अमित शाह, जो सब संभाल रहे हैं, पिक्चर में आ गए।

मुख्यमंत्री और राज्य के अफसरों को दिल्ली दौड़ना पड़ा। शाह के सवालों के जवाब देना पड़े। मामा के राज में भी 2016 का सिंहस्थ हुआ था। हजारों करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई थी। भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे। लेकिन, याद नहीं कि ऐसी नौबत आई हो।

दूसरा मामला- मुख्य सचिव अनुराग जैन के एक्सटेंशन का है। जैन, अक्टूबर 2024 में जब मुख्य सचिव बनाकर “भेजे” गए थे, तब भी अंदाजा तो हो गया था कि वे दिल्ली की पसंद हैं और उन्हें केंद्र ने ही भेजा है। फिर भी, बात अंदाज़े तक थी। एक पर्दा सा था। पारदर्शी नहीं। अबकी जिस तरह जैन को एक्सटेंशन मिला, और वो भी पूरे एक साल का, तो साफ हो गया कि वास्तव में चल क्या रहा है? और कौन चला रहा है?

इधर-उधर की बात करने के बजाय, खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव की “एक्स” पर की गई पोस्ट का जायजा लेने पर समझा जा सकता है कि “वास्तव” में यादव के सामने परिस्थियां कितनी कठिन हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन जी, आपको कार्यकाल के एक वर्ष बढ़ाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। आपके दीर्घ प्रशासनिक अनुभव, नवाचारों और सतत प्रयासों से प्रदेश के विकास यात्रा निरंतर नए प्रतिमान स्थापित करे, मेरी मंगलकामनाएं।”

कई लोगों का यह तर्क हो सकता है कि इतने सहज, सरल और औपचारिक बधाई संदेश में आखिर गलत क्या है? बल्कि, इससे तो यह जाहिर हो रहा है कि मध्य प्रदेश में कितना “सौहार्दपूर्ण वातावरण” है कि एक मुख्यमंत्री अपने अधीन काम करने वाले मुख्य सचिव को बधाई दे रहा है और मंगलकामनाएं कर रहा है।

लेकिन, इस संदेश का दूसरा पक्ष भी है, जो शायद कुछ महत्वपूर्ण सवाल पैदा करता है। मसलन, क्या अतीत में कभी किसी सीएम ने ऐसा “सौहार्द” दिखाया? क्या यादव का ट्वीट परोक्ष रूप से यह जाहिर नहीं करता कि जैन को एक्सटेंशन के इस फैसले में उनकी हालत भी “औरों” की तरह है?

मतलब, जैसे दूसरों ने जैन को बधाई, शुभकामना दी, वैसे ही उन्होंने भी। तो, क्या इससे मुख्यमंत्री की लाचारी नहीं दिखाई पड़ रही? यदि, मातहत किसी और की “निगाह” देखकर काम करेगा तो फिर क्या एक मुख्यमंत्री के रूप में उनका और उनकी सरकार का इक़बाल कायम रह पाएगा? जबकि सरकार मुख्यमंत्री को चलाना है, फैसले उनको लेने हैं, पार्टी के घोषणा पत्र पर अमल करवाना है, जनता के बीच वोट लेने भी उनको जाना है। फिर, मुख्यमंत्री की पसंद का मुख्य सचिव क्यों नहीं? मामा के राज में ऐसा नहीं था। दिल्ली, दिल्ली थी- भोपाल, भोपाल था। लेकिन, अब शायद भोपाल, दिल्ली हो गया है। तो क्या दिल्ली ठीक कर रही है?

भिंड की घटना से भाजपा की किरकिरी

कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो पूरे निज़ाम की ढंकी-छुपी असलियत को उघाड़ के रख देती हैं। भिंड में कलेक्टर और भाजपा विधायक के बीच हुए विवाद ने यह बताया कि राज्य के जमीनी हालात क्या हैं? सत्तारुढ़ पार्टी का विधायक कलेक्टर (डीएम) को दांत पीसते हुए “मुक्का” दिखा रहा है और कलेक्टर से कह रहा है, “सबसे बड़ा चोर तो तू है।”

जवाब में कलेक्टर कहते हैं, “मैं रेत चोरी नहीं होने दूंगा।” बहरहाल, दोनों के बीच विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, लिहाजा हर तरफ सरकार की किरकिरी हुई। विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का कहना है कि जिले में किसानों को खाद नहीं मिल रहा है, उसकी कालाबाज़ारी चल रही है और कलेक्टर माइनिंग के अवैध नाके लगवाकर वसूली करवा रहे हैं। वहीं कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव रेत चोरी की बात कर रहे हैं। उन्होंने भोपाल में राज्य मंत्रालय में बैठने वाले वरिष्ठ अधिकारियों और आईएएस एसोसिएशन को बता दिया है कि रेत चोरी रोकने से विधायक जी को दिक्कत हो रही है।

सवाल यह है कि दोनों में से सही कौन बोल रहा है? यह भी हो सकता है कि दोनों सही बोल रहे हों। माने, खाद की कालाबाज़ारी हो रही हो और रेत की चोरी भी रोकी जा रही हो। बहरहाल, इस पूरे मामले में भाजपा की किरकिरी हो रही है। राज्य और केंद्र, दोनों जगह उसकी सरकार है। यदि रेत की चोरी हो रही है तो उस पर सवाल उठता है और खाद का संकट है, तो भी।

‘भाई साहब’ तो अब बीजेपी में हैं, फिर ऐसा क्यों

लंबी शासकीय सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर विदाई “पार्टी” या गेटटुगेदर होना कोई नई बात नहीं है। आम प्रचलन है। कई लोग तो बड़े-बड़े जलसे करते हैं। खुद नहीं करते तो उनके बच्चे या परिवारीजन करते हैं। ताकि, नौकरी से रिटायर्ड शख्स को ‘फ़ीलगुड’ हो। उसका हौसला बना रहे। वह यह न समझे कि सरकारी सेवा से निवृत्त होने के बाद वह ‘किसी लायक’ नहीं रहा।

कुल मिलाकर, उसी सम्मान-स्वाभिमान के साथ ज़िंदगी जीने की आश्वस्ति दी जाती है, जैसी कि उसने जी है। मगर, सियासी पार्टियों की तरह विदाई पार्टियों में भी फर्क होता है। किसकी पार्टी है, कौन दे रहा है? किस-किसको आमंत्रित किया गया, किस-किसने शिरकत की? मेजबान के नाम भर से ये सवाल महत्वपूर्ण हो जाते हैं। और, इसके उद्देश्य या लक्ष्य पर चर्चा होने लगती है। और, मेजबान यदि कोई बड़ा नेता हो तब तो भिन्न-भिन्न दृष्टि से कयास लगाए जाते हैं।

मसलन, सुरेश पचौरी की पत्नी डॉ. सुपर्णा शर्मा पचौरी पिछले दिनों भारत सरकार में संयुक्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुईं तो दिल्ली के अशोका होटल में एक आयोजन हुआ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, कांग्रेस से अलग हुए गुलाम नबी आज़ाद, डॉ. पचौरी के विभागीय मंत्री होने के नाते एसपीएस बघेल सहित भाजपा-कांग्रेस के कुछ सांसद और नेता इसमें मेहमान बने।

जाहिर है, आयोजन बढ़िया रहा। पर, जबसे यह खबर भोपाल पहुंची है, भाजपा की महिला नेत्रियों में फुसफुसाहट शुरू हो गई है। यही कि कहीं केंद्रीय नेतृत्व ‘पचौरी मैडम’ को उनके हिस्से का कोई पद या जिम्मेदारी न सौंप दे! चूंकि, बीजेपी में ऐसा हो रहा है, लिहाजा आशंकित हैं। लेकिन, ‘भाई साहब” तो अब बीजेपी में हैं, फिर ऐसा क्यों सोचना?

मामा की लाडली बहना और मोहन सरकार पर बढ़ता कर्ज

रक्षाबंधन पर लाडली बहनों को 250 रुपये ज्यादा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को पिछले माह दूसरी बार कर्ज लेना पड़ा। 8 जुलाई को 4800 करोड़ के बाद माह के अंत में 29 जुलाई को फिर 4300 करोड़ का कर्ज लिया गया। महिलाओं को सरकार हर माह 1250 रुपये देती है, लेकिन रक्षाबंधन पर इसमें 250 रुपये का इजाफा कर दिया जाता है।

31 मार्च 2025 की स्थिति में मध्यप्रदेश सरकार 4 लाख 21 हजार 740 करोड़ रुपये के कर्ज में थी। अब यह बढ़कर 4 लाख 40 हजार करोड़ से भी ज्यादा का हो गया है, क्योंकि जुलाई से पहले मई और जून में भी सरकार ने कर्ज लिया था।

दरअसल, जबसे राज्य में भाजपा सरकार ने लाड़ली बहना योजना चालू की है, तब से लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। दिक्कत यह है कि इस योजना को यथावत रखना मोहन यादव सरकार के लिए मजबूरी बन गया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य विधानसभा चुनाव के पहले 2023 में इस स्कीम को लेकर आए थे। यह योजना पार्टी के लिए गेम चेंजर साबित हुई, हालांकि केंद्रीय नेतृत्व इस दावे को नहीं मानता। बहरहाल, इस बार दीपावली से राशि बढ़ाकर 1500 रुपये की जा रही है।

मुख्यमंत्री यादव ने एक ऐलान और कर दिया है कि उद्योगों में काम करने वाली लाड़ली बहनों को 5 हजार रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। कुलमिलाकर, “चुनाव प्रबंधन” को दुरुस्त रखने के लिए कर्ज लेके वित्तीय प्रबंधन किया जा रहा है।

ढाई करोड़ की डिफेंडर, हरीश चौधरी, पटवारी और कांग्रेस की सूची

कांग्रेस का कोई अभियान बगैर विवाद के पूरा नहीं होता। राहुल गांधी का सृजन संगठन अभियान ताज़ा उदाहरण है। इसके तहत पार्टी ने अपने 71 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की घोषणा की। इनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य ओमकार सिंह मरकाम सहित छह विधायकों के नाम भी शामिल हैं।

कहा जा रहा है कि सूची में एक दर्जन नाम ऐसे हैं, जिनसे राहुल गांधी ने घोषणा के पहले ही बात कर ली थी। ताकि, कोई विवाद न खड़ा हो। मगर राहुल गांधी के चाहने से क्या होता है? जैसे ही सूची जारी हुई, भोपाल और इंदौर से आवाज़ उठी। आरोप लगा कि हवाला के जरिए लेनदेन हुआ है।

यह भी कहा गया कि प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी को ढाई करोड़ की डिफेंडर गाड़ी गिफ्ट की गई है। दावा किया गया कि यह गाड़ी इंदौर से उठाई गई, जिसके कागजात जारी किए जाएंगे। भोपाल के पूर्व जिला अध्यक्ष मोनू सक्सेना ने तो मीडिया के सामने आकर सौदेबाजी के आरोप लगाए और कहा कि वे दिल्ली जाकर राहुल गांधी के समक्ष आत्मदाह की कोशिश करेंगे। सक्सेना को 2023 के विधानसभा चुनावों से चार माह पहले दिग्विजय सिंह ने भोपाल का जिला अध्यक्ष बनवाया था। तब कमलनाथ के पास पार्टी की कमान थी।

चुनाव में भोपाल की दक्षिण पश्चिम सीट से दो दावेदार थे। पीसी शर्मा और संजीव सक्सेना। टिकट दिग्विजय समर्थक शर्मा को मिल गया। कमलनाथ की पसंद सक्सेना थे। शर्मा को लगा कि सक्सेना को अगर कुछ नहीं मिला तो वह उन्हें चुनाव हरवा देंगे। तो सक्सेना को भोपाल जिला कांग्रेस का अध्यक्ष पद ऑफर किया गया।

सक्सेना ने खुद तो इनकार कर दिया, मगर अपने छोटे भाई प्रवीण को अध्यक्ष बनवा दिया। चूंकि, मामला पीसी का था तो दिग्विजय ने भी कमलनाथ को नहीं रोका और मोनू को हटा दिया गया। हालांकि, पीसी चुनाव तब भी हार गए। दिलचस्प यह है कि जो नई सूची आई, उसमें भी प्रवीण सक्सेना को रिपीट कर दिया गया है। बस, इसी पर विवाद है और कांग्रेसी सौदेबाजी की बातें कर रहे हैं।

इंदौर के निष्कासित कांग्रेसी अजय चौरड़िया तो प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर आरोप लगा रहे हैं। बहरहाल, विवाद राहुल गांधी तक पहुँच गया है। माना जा रहा है कि 1 सितंबर को “वोटर अधिकार यात्रा” से फ्री होने के बाद वे इस फाइल से निपटेंगे। उधर, चौधरी ने भी कहा है कि कागज दिखाओ, अन्यथा नतीजे भुगतो।

सिंधिया से क्यों “सॉफ्ट” हुए कमलनाथ-दिग्विजय?

2020 में कमलनाथ की सरकार क्यों गई? इस मुद्दे पर दिग्विजय के एक इंटरव्यू के बाद जिस फुर्ती के साथ कमलनाथ ने जवाब दिया, उससे ऐसा दिखाई पड़ा कि “छोटे मियां-बड़े मियां” में ठन गई है। भाजपा ने तो सोशल मीडिया में यह समझाया भी। जबकि, सियासत कुछ और है और आगे की है। दोनों को मालूम है कि वे अब चौथे संन्यास आश्रम में हैं।

राहुल गांधी ने बिना कुछ कहे ऐसा जता भी दिया है। लिहाजा दोनों का एक ही एजेंडा है। और वो है अपने-अपने बेटों के लिए पुख्ता राजनीतिक जमीन तैयार करना। जाहिर है, ज्योतिरादित्य सिंधिया का लंबा भविष्य है। चाहे वे भाजपा में ही रहें या वापस कांग्रेस में लौट आएं। दोनों ही सूरतों में सिंधिया की महत्ता वे समझ रहे हैं। दिग्विजय के लिए सिंधिया फैक्टर ज्यादा महत्वपूर्ण है। पिछले विधानसभा चुनाव में जयवर्धन को जीतने में कितनी दिक्कत हुई थी, वे यह जान-समझ चुके हैं। उनके अनुज लक्ष्मण सिंह तो हार गए ही थे।

राहुल ने भी “जेवी” को गुना की जिम्मेदारी दे दी है, जो सिंधिया की लोकसभा सीट है। दिग्विजय सौ फीसदी राजनीतिज्ञ हैं। सियासत ही कर्म है। मुमकिन उन्हे पूर्वाभास हो गया हो, तभी अपने इंटरव्यू में सिंधिया के प्रति वे आश्चर्यजनक रूप से इतना “सॉफ्ट” रहे कि सरकार जाने के लिए एक तरह से कमलनाथ को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।

कहा कि-“मैंने दोनों (कमलनाथ और सिंधिया) के करीबी एक उद्योगपति से हस्तक्षेप का आग्रह किया। उस उद्योगपति, जो संभवतः एक महिला हैं, ने अपने घर पर भोजन रखा। हम तीनों बैठे। एक “इच्छा सूची” (विश लिस्ट) तैयार हुई, जिस पर सिंधिया और मेरे दस्तखत थे। कमलनाथ को सूची दे दी गई, लेकिन उसके काम नहीं हुए।”

मतलब साफ है कि अगर कमलनाथ विश लिस्ट के काम कर देते तो सिंधिया नहीं जाते। तो जिम्मेदार कौन, जाहिर है कमलनाथ। इसके जवाब में कमलनाथ ने कहा-“व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं।” अर्थात- यदि विश लिस्ट के काम नहीं हुए तो दिग्विजय के कारण नहीं हुए, क्योंकि सिंधिया समझते थे कि सरकार तो दिग्विजय चला रहे हैं।

कुल मिलाकर, कमलनाथ और दिग्विजय, दोनों ने ही सिंधिया को किनारे रख आपस में ही खेल खेला। इसे दोस्ताना लड़ाई कहते हैं। सियासत में कई बार होता है ऐसा। अगला विधानसभा चुनाव 2028 अंत में होगा और लोकसभा मध्य 2029 में। कांग्रेस के दोनों नेता 80+ हो जाएंगे। राजनीति कौनसा करवट लेगी, किसे मालूम। और फिर, औलाद के लिए तो हर आदमी सोचता है।

यह भी देखें: किसने फ्लॉप करवाया शिवराज का कार्यक्रम…

TAGGED:Amit ShahLatest_NewsMohan YadavMP ki BaatNarendra ModiShivraj Singh Chouhan
Previous Article Hydrogen Bomb कहां गिरेगा राहुल का हाईड्रोजन बम? कांग्रेस टीजर ने बढ़ाई हलचल
Next Article LWE नक्सलियों ने बस्तर में फिर की दो ग्रामीणों की हत्या
Lens poster

Popular Posts

छत्तीसगढ़ में IPS अफसरों के तबादले, रॉबिंसन गुरिया होंगे नारायणपुर SP

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 9 IPS अफसरों के तबादले किए गए हैं। नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार…

By Lens News

भारत में भारी बारिश का कहर, उत्तरकाशी में बादल फटा, राजस्थान में 5 की मौत, कई राज्यों में अलर्ट, जानें अपने राज्य का हाल

लेंस डेस्क। देश के कई हिस्सों में मानसून ( Aaj ka Mausam ) ने कहर…

By पूनम ऋतु सेन

Latin America visit: shadow foreign policy

Some social handles today shared the two hours long video of Congress leader and leader…

By Editorial Board

You Might Also Like

Nepal Protest
दुनिया

नेपाल में तख्तापलट, प्रदर्शनकारियों ने पूर्व PM की पत्नी को जिंदा जलाया, जिस DSP ने गोली चलाने का आदेश दिया उसे भीड़ ने मार डाला

By पूनम ऋतु सेन
Odisha Bandh
अन्‍य राज्‍य

ओडिशा बंद : महिला सुरक्षा को लेकर कांग्रेस का हल्‍ला बोल, प्रभारी अजय कुमार लल्लू हिरासत में

By अरुण पांडेय
Bharat Bandh
देश

25 करोड़ श्रमिक कल राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर, जरूरी सेवाएं हो सकती हैं बाधित

By Lens News Network
DG- IG Conference Chhattisgarh
छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में पहली बार DG-IG सम्मेलन, पीएम करेंगे अध्यक्षता, इन बातों पर होगी चर्चा

By नितिन मिश्रा

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?