[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
287 ड्रोन मार गिराने का रूस का दावा, यूक्रेन कहा- हमने रक्षात्मक कार्रवाई की
छत्तीसगढ़ सरकार को हाई कोर्ट के नोटिस के बाद NEET PG मेडिकल काउंसलिंग स्थगित
विवेकानंद विद्यापीठ में मां सारदा देवी जयंती समारोह कल से
मुखर्जी संग जिन्ना की तस्‍वीर पोस्‍ट कर आजाद का BJP-RSS पर हमला
धान खरीदी में अव्यवस्था के खिलाफ बस्तर के आदिवासी किसान सड़क पर
विश्व असमानता रिपोर्ट 2026: भारत की राष्ट्रीय आय का 58% हिस्सा सबसे अमीर 10% लोगों के पास
लोकसभा में जोरदार हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट, राहुल गांधी ने अमित शाह को दे दी चुनौती
जबलपुर पुलिस ने ‘मुस्कान’ अभियान के तहत 73 लापता बच्चों को बचाया, 53 नाबालिग लड़कियां शामिल
महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में ₹82 लाख के इनाम वाले 11 नक्सलियों ने किया सरेंडर
HPZ Token Crypto Investment Scam:  दो चीनी नागरिकों सहित 30 के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
साहित्य-कला-संस्कृति

कालीबाड़ी और मुहब्बत का फूल

The Lens Desk
The Lens Desk
Published: September 1, 2025 2:40 PM
Last updated: September 1, 2025 3:03 PM
Share
Habib Tanvir
SHARE

दिवंगत रंगकर्मी हबीब तनवीर की आज 102 वीं जयंती है। उनका जन्म एक सितंबर, 1923 को रायपुर में हुआ था। उनका निधन 8 जून, 2009 को हो गया। हबीब तनवीर ने नाटक का ककहरा रायपुर में ही सीखा। हबीब तनवीर ने खुद अपने संस्मरणों में बार बार रायपुर जिक्र किया है कि कैसे वहां कालीबाड़ी में उन्होंने पारसी नाटक देखा और कैसे उससे रंगमंच की ओर प्रेरित हुए…. प्रस्तुत है उनका ऐसा ही एक संस्मरण….

हबीब तनवीर

रायपुर के कालीबाड़ी में जाकर मैं नाटक देखा करता था। एक पारसी नाटक था, मुहब्बत का फूल, हाफिज अब्दुल्ला का। उसमें मेरे बड़े भाई जनाना पार्ट किया करते थे। मुझे उस नाटक की बहुत अच्छी तरह याद है। नाटक शुरू होने का टाइम आठ बजे का होता तो आठ बजे से हॉल के बाहर बैंड बजना शुरू होता और जब तक बैंड बज रहा होता तब तक समझ लीजिए नाटक शुरू नहीं हुआ है।

आठ का नौ, साढ़े नौ बज जाता, लोग इत्मीनान से आते रहते। साढ़े नौ बजे तक बाहर बैंड बंद होता मतलब कि नाटक अब शुरू होने वाला है। यही बैंट भीतर जाकर ऑक्रेस्ट्रा बन जाता। उन दिनों परदा नीचे से ऊपर उठता था, लपेटवा पर्दा होता था। अब तो आड़े खुलता है, या पूरा सीधा ऊपर जाता है। तब बांस के रोलर में लपेटकर जाता था।

मुझे बहुत अच्छी तरह याद है। पर्दे के पीछे तमाम ऐक्टर लोग सजकर खड़े रहते थे प्रार्थना के लिए। पर्दा लपेटना शुरू होता तो सबसे पहले उनके पांव नजर आते, उसके जिस्म और उसके बाद चेहरा। आखिरी चीज चेहरा होती थी, जो सबसे सजा होता था। इस तरह एक एक करके ऐक्टर को देखने का ड्रैमेटिक असर कुछ और ही होता था। इस चीज को मैंने बाद में बम्बई में कथकली में देखा था।

हनुमान की एंट्री थी, कम से कम बीस मिनट लगाए। पर्दे के पीछे हनुमान छिपा रहा। पहले उसने नाखून दिखाए, पर्दे के पीछे से अपनी सजावट दिखाई, फिर मुकुट का जरा सा फुदना दिखाया और फिर आंख तक पर्दे को नीचा करके पूरा मुकुट दिखा दिया और उसकी दसों अंगुलियां पर्दे पर नजर आने लगीं। नाखून चमकते हुए पालिश किए हुए। बहुत अच्छा सजा हुआ- सफेद, सुनहरे और सुर्ख रंग की यह स्कीम थी।

जब बीस मिनट में धीरे धीरे अपने को प्रगट करते हुए हुनमान ने रफ्ता रफ्ता पर्दे को फेंक दिया तो मैं देखता रह गया, अजीब एक अनुभव था मेरे लिए। अगर वह एक साथ एंट्री ले लेता तो इतनी सजावट को एक नजर में देख लेना मुश्किल होता। जिस तरह माइकेल एंजिलो के म्यूरल को एक बार मे पूरा देखकर उसे नही समझा जा सकता और आर्ट की किताबों में उसके एक-एक टुकडे छपते हैं, क्रास सेक्शन और उन सबको अलग-अलग स्टडी करने के बाद ही पूरा म्युल एक साथ देखा और समझा जा सकता है, उसकी हर बारीकी का लुत्फ उठाया जा सकता है।

उसी तरह कथकली के हनुमान का भी पहले एक एक हिस्सा, एक-एक टुकडा दिखाया फिर धीरे-धीरे करके पूरा हनुमान सामने आया कि यह है टोटल हनुमान। वह अनुभव और नाटक मे लिपटवा पर्दे का उठना इन दोनो का मेरे ऊपर बहुत असर हुआ।

‘मुहब्बत का फूल’ मे आशिक को जजीरों मे बांधकर गुफा में डाल दिया जाता है। उसकी माशूका उसे रोते- रोते ढूढती फिरती है। माशूका का रोल मेरे भाई किया करते थे, तो उनके साथ-साथ मैं भी रोया करता था । उस रोने का किस्सा यहां तक चला कि मेरे मुहल्ले में एक दर्जी थे नबी मिया।

उन्हें नाटक में मेरे रोने के वाकयों का पता था। तब ही नहीं बाद में भी रायपुर जाने पर जब भी मैं गोल बाजार से गुजरता वे मुझे बाबा बाबा कहकर पुकारते, चाय-वाय पिलाते और फिर वही मजाक कि ‘कैसा रोये थे ‘मुहब्बत का फूल’ देखकर, क्यों?’ मतलब मै अच्छा खासा जवान हो गया था उस पर भी उनका यह मजाक कायम था।

“मुहब्बत का फूल की कई बाते मुझे खूब याद है। बहुत लुत्फ आता था। एक धमाका होता था और सीन बदल जाता था। कुछ चक्री मंच (रिवाल्विंग स्टेज) जैसा था, खड़खड़ खड़खड़ चीजें करती थी, इधर रफ्ता- रफ्ता मालूम हुआ कि पहाड़ – वहाड़ आ गये- पेट किये पर्दे तमाम । वो सब बहुत अच्छा लगता था, रंगीन रोशनी वगैरह रहती थी।

जरूर ही इसका गहरा असर हुआ होगा मुझ पर तभी आज तक ये सब बातें याद हैं। बचपन का एक और किस्सा याद है मैं दूसरी अंग्रेजी में था तब का। तब वहाँ कोई जलसा – वलसा होनेवाला था । उसके लिए हमारे फारसी के टीचर ने (जो बाद में मेरे बहनोई हुए) एक नाटक लिखा दुरे यतीम उर्फ पालिशवाला ।’

उस जमाने में पारसी थियेटर में यू ही होता था, फलां फलां उर्फ फलां। उसमें मुझे पार्ट दिया पालिशवाले का जिसकी एक अमीर आदमी बहुत मदद करता है, उसे तालीम दिलवाता है, बाहर भेजता है। वगैरह वगैरह। उस वक्त मेरी उम्र रही होगी बारह-तेरह साल। यह मेरा पहला नाटक था, जिसमें मैंने हीरो का काम किया। हमारे ड्रिल मास्टर थे मोहियुद्दीन साहब, बडा अच्छा जिस्म था उनका

उन्होंने डाइरेक्शन दिया था। उसमें पहले एक बडी लंबी तकरीर थी, एक टुकडा मुझे अभी तक याद है – ‘दुनिया मक्कारों, अब्लफरेब दुनिया, गरीबों को सताने वाली फलां चीज को ऐसा करने वाली दुनिया ।’

एक हाथ माथे पर दूसरा यों रखके एंट्री लेनी थी। हर लफ्ज पर एक मुद्रा थी, एक अदा थी, वैसे ही करने को कहा गया हमसे। आज सोचकर हंसी आती है कि किस तरह का डाइरेक्शन था, हर स्वर पर जोर पर उस वक्त मैं उससे बहुत प्रभावित था। बहुत अकीदन थी, बहुत श्रद्धा थी उस वक्त अपने टीचरों के प्रति ।

नाटक बहुत कामयाब रहा, स्कूल का ड्रामा था, लडकों ने देखा। “उसी जमाने मे शेक्सपीयर के ‘किंग जान’ का एक सीन हमने अंग्रेजी में किया था – ‘ह यूबर्ट और प्रिस आर्थर’। मेरे बचपन के एक बड़े अच्छे दोस्त थे अजीज हामिद मदनी। बडे अच्छे शायर थे, अब पाकिस्तान में हैं।

हम दोनों साथ -साथ शायरी किया करते थे। वे बने थे हयूबर्ट और मै प्रिस आर्थर । हमने वो सीन किया था जिसमे ह यूबर्ट प्रिस आर्थर की आंख फोडने आता है, कड़ी कड़ी बातें कहता भी है, लेकिन आखीर में बदल जाता है और आंख नहीं फोडता।

बस इतना सा सीन किया था हमने, पर याद है। यह अनुभव था स्कूल का फिर आ गया कॉलेज। उस जमाने में मॉरिस कालेज में मुझसे सीनियर हुआ करते थे किशोर साहू । नागपुर का मॉरिस कालेज अलग है, लखनऊ वाले म्यूजिक के मॉरिस कालेज से ।

नागपुर के डिप्टी कमिश्नर थे मॉरिस साहब, उन्हीं के नाम पर अब तो शायद नाम भी बदल गया होगा। तो किशोर साहू उन दिनों कालेज में काफी ऐक्टिव थे, ड्रमेटिक्स में भाग वगैरह लिया करते थे। मुझे भी जब मौका मिलता, करता और इस तरह करते-करते बी० ए० की तालीम पूरी हुई और मेरे थियेटर का पहला दौर भी।”

TAGGED:Habib Tanvirkaaleebaadee aur muhabbat ka phoolTop_Newsकालीबाड़ी और मुहब्बत का फूलहबीब तनवीर
Previous Article MAHUA MOITRA महुआ मोइत्रा का छत्तीसगढ़ पुलिस पर बड़ा हमला, FIR पर बोला- ‘मूर्खों को मुहावरे समझ नहीं आते’
Next Article ABVP छात्रा की खुदकुशी पर एमिटी यूनिवर्सिटी में ABVP का प्रदर्शन, शिक्षक और छात्रों को क्लास रूम में किया बंद
Lens poster

Popular Posts

ISC टॉपर ने सरनेम छोड़कर ‘ह्यूमैनिटी’ को चुना, बन गई प्रेरणा की मिसाल

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के कोलकाता ( KOLKATA TOPPER ) की 17 साल की सृजनी ने…

By Lens News Network

महिला पत्रकारों को गाली बकने वाले अभिजीत अय्यर मित्रा को पांच घंटे में पोस्ट हटाने की चेतावनी

नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वतंत्र टिप्पणीकार अभिजीत अय्यर मित्रा को सोशल…

By Lens News Network

एयर इंडिया विमान हादसा : यूएन जांचकर्ताओं को अनुमति देने से भारत सरकार का इनकार

नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली अहमदाबाद एयर इंडिया विमान दुर्घटना मामले में समाचार एजेंसी रायटर्स ने…

By Lens News Network

You Might Also Like

all party delegation
देश

क्या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान को आतंकवाद का पनाहगार साबित कर पाया ?

By आवेश तिवारी
Prafulla Bharat resign
छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के एडवोकेट जनरल का इस्तीफा

By Lens News Network
Hasdeo Forest
देश

हसदेव में अब पांच लाख पेड़ काटने की तैयारी!

By Lens News
CG HC ORDER
छत्तीसगढ़

बच्चों को कुत्ते का जूठा खाना खिलाया, HC ने दिया बच्चों को मुआवजा, हेडमास्टर सस्पेंड

By पूनम ऋतु सेन

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?