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लेंस रिपोर्ट

सलवा जुड़ूम का विरोध तो राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी किया था!

सुदीप ठाकुर
Last updated: August 27, 2025 1:04 am
सुदीप ठाकुर
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Salwa Judum
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी पर नक्सल समर्थक होने का आरोप लगाकर बड़ा हमला किया है। दिलचस्प यह है कि जिस सलवा जुड़ूम (Salwa Judum) को लेकर शाह ने जस्टिस सुदर्शन रेड्डी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उसका विरोध करने वालों में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भी थे!

हरिवंश 2006 को बस्तर में सलवा जुड़ूम के कारण उपजी हिंसा का जायजा लेने गए एक इंडिपेंडेंट सिटीजन इनिसिएटिव का हिस्सा थे। इस दल ने दक्षिण बस्तर के गांवों के जमीनी हालात को देखने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की थी।

हरिवंश तब प्रभात खबर के संपादक थे। उनके साथ इस दल में जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता फरहा नकवी, पूर्व नौकरशाह ई ए एस सरमा, प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और हिंदुस्तान टाइम्स तथा इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों के पूर्व संपादक बी जी वर्गीज शामिल थे।

रामचंद्र गुहा ने thelens.in से पुष्टि की है कि हरिवंश उनके साथ इस दल में शामिल थे।

गुहा ने thelens.in से कहा, ‘हरिवंश सहित दल के सभी सदस्य सलवा जुड़ूम पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में थे और हम सब नक्सलियों के खिलाफ थे। हममें से कोई भी नक्सलियों का समर्थक नहीं था। हमारा विरोध इस बात को लेकर था कि पर्याप्त प्रशिक्षण के बिना अशिक्षित युवाओं को हथियार थमा दिए गए हैं, यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। इसके बजाए नक्सलियों से निपटने की जिम्मेदारी पुलिस और सुरक्षा बलों पर छोड़नी चाहिए।‘

इस दल ने 17 से 22 मई 2006 के बीच छह दिनों तक दक्षिण बस्तर का दौरा किया था। दल ने सलवा जुड़ूमः द वार इन द हार्ट ऑफ इंडिया नाम से एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट के विस्तृत् अंश सोशल साइंस के जुलाई 2006 के अंक में  भी प्रकाशित हुए थे।

Salwa Judum
सलवा जुडूम के दौरान एसपीओ को इंसास जैसे राइफल दे दिए गए थे।

यह भी पढ़ें : सलवा जुडूम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भाजपा क्यों बता रही है गलत?

रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे जनवरी, 2005 में पुलिस ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से गांव वालों को माओवादियों के खिलाफ एकजुट करना शुरू किया था। और इस अभियान को नाम दिया गया था, ऑपरेशन सलवा जुडूम।

इस रिपोर्ट में द वर्क प्रपोजल फॉर द पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट नक्सलाइट नामक एक दस्तावेज का भी जिक्र है, जिसे दंतेवाड़ा के कलेक्टर ने तैयार करवाया था।

रिपोर्ट के मुताबिक सलवा जुड़ूम की सही तारीख को लेकर स्थिति स्पष्ट नही है, लेकिन माना जाता है कि जून 2005 में दक्षिण बस्तर के कुटरू गांव से माओवादियों के खात्मे के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक महेंद्र कर्मा के नेतृत्व में सलवा जुड़ूम की शुरूआत की गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक इस दल के सदस्यों से बातचीत में अनेक एसपीओ ने बताया कि उनकी उम्र 16 से 17 साल है, य़ानी वे नाबालिग थे। रिपोर्ट में इसे संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की संधियों का उल्लंघन माना गया।

इस रिपोर्ट में सलवा जुड़ूम कैम्प में होने वाले उत्पीड़न, हिंसा, आगजनी के ब्योरे विस्तार से दिए गए  हैं।

उस वक्त दक्षिण बस्तर के छह सौ से ज्यादा गांव खाली हो गए थे और डेढ़ लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।

उल्लेखनीय है कि जुलाई 2011 में जस्टिस सुदर्शन रेड्डी और एस एस निज्जर की सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में छत्तीसगढ के बस्तर में नक्सलियों के सफाए के नाम पर चलाए गए सलवा जुड़ूम (जन जागरण) और इसके लिए तैनात किए गए एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारियों) की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देकर उस पर रोक लगा दी थी।

thelens.in हरिवंश से उनका पक्ष जानने का प्रयास कर रहा है। उनका पक्ष आने पर हम स्टोरी को अपडेट करेंगे।

JOURNAL ARTICLE

Salwa Judum: War in the Heart of India: Excerpts from the Report by the Independent Citizens Initiative

Ramachandra Guha, Harivansh, Farah Naqvi, E. A. S. Sarma, Nandini Sundar, B. G. Verghese

Social Scientist, Vol. 34, No. 7/8 (Jul. – Aug., 2006), pp. 47-61 (15 pages)

TAGGED:BG VergheseBig_NewsEAS SarmaFarha NaqviHarivansh Narayan SinghNandini SundarRamchandra GuhaSalwa Judum
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