नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें एक संविधान संशोधन विधेयक भी शामिल है, जो भ्रष्टाचार या गंभीर अपराधों के आरोपों का सामना कर रहे और लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को हटाने का प्रावधान करता है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसे चंद्रबाबू और नितीश कुमार पर दबाव बनाने की रणनीति बताया तो शशि थरूर ने कहा कि इस बिल में कोई बुराई नहीं है। अगर कोई मंत्री 30 दिन तक जेल में रहता है तो उसे इस्तीफा दे ही देना चाहिए। थरूर ने कहा कि अगर इस बिल के पीछे कोई और बात है तो वह दीगर है।
शाह ने भारत के संविधान में और संशोधन करने के लिए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 के अलावा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करने वाला विधेयक भी पेश किया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इन तीनों विधेयक को नैतिकता स्थापित वाला बताया। तीनों बिल लोकसभा में पेश हो चुका है। अब इन बिल को संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन करने का प्रयास करता है, ताकि गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने की स्थिति में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने की प्रक्रिया को एक कानूनी ढांचा प्रदान किया जा सके। सांसदों के हंगामे और विरोध के चलते सदन की कार्रवाई दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सांसदों ने क्या कहा
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘मैं इसे पूरी तरह से कठोर मानती हूं क्योंकि यह हर चीज के खिलाफ है। इसे भ्रष्टाचार विरोधी उपाय कहना लोगों की आंखों पर पर्दा डालने जैसा है। कल, आप किसी मुख्यमंत्री पर किसी भी तरह का मामला दर्ज कर सकते हैं, उसे 30 दिनों के लिए बिना दोष सिद्ध हुए गिरफ्तार कर सकते हैं, और वह मुख्यमंत्री पद पर नहीं रहेगा। यह पूरी तरह से असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।‘ कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह बिल संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। यह कानून के राज की बुनियाद का उल्लंघन है।
समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने कहा, “इसमें एक लाइन और लिखनी चाहिए थी कि या तो अपराधी भाजपा में शामिल हो जाए या फिर यह बिल उन पर लागू होगा। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री, जो किसी को जेल भेजने का दावा करते थे, भाजपा में शामिल होते ही मुख्यमंत्री और मंत्री बन जाते हैं।”
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम को “असंवैधानिक” करार दिया और भाजपा सरकार पर देश को “पुलिस राज” में बदलने का आरोप लगाया। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी इस कानून का विरोध करेगी।उन्होंने कहा, “जनता को निर्वाचित सरकारों को जवाबदेह ठहराने का अधिकार है; यह विधेयक इसके खिलाफ है। कार्यकारी एजेंसियों को खुद जज, जूरी और जल्लाद बनने की खुली छूट मिल जाएगी। मुख्यमंत्री को विधानसभा में हटाया जाता है।”
एआईएमआईएम सांसद ने कहा, “यह विधेयक असंवैधानिक है। प्रधानमंत्री को कौन गिरफ्तार करेगा?… कुल मिलाकर, भाजपा सरकार इन विधेयकों के ज़रिए हमारे देश को पुलिस राज बनाना चाहती है… हम इनका विरोध करेंगे… भाजपा भूल रही है कि सत्ता शाश्वत नहीं होती।”
सदन के बाहर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस विधेयक का विरोध किया, जिसमें भ्रष्टाचार या गंभीर अपराधों के आरोपों का सामना कर रहे और लगातार 30 दिनों से हिरासत में लिए गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है। झा ने इसे एक “रणनीति” बताया कि जहां भी भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती, वहां वह विधायकों की खरीद-फरोख्त नहीं करेगी, बल्कि इस विधेयक के ज़रिए उस सरकार को अस्थिर करके गिरा देगी।
उन्होंने कहा, “आरोपी और दोषी के बीच का अंतर मिट गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के बारे में टिप्पणी की थी कि वे राजनीतिक खेल का हिस्सा बन रहे हैं। वे किसी पर भी पीएमएलए का मामला दर्ज करके उसे सलाखों के पीछे डाल देंगे। यह एक रणनीति है। जहाँ भी आप चुनाव नहीं जीत सकते, वहां आपको विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की ज़रूरत नहीं है। बस उन्हें अस्थिर करके गिरा दो। मुझे लगता है कि गृह मंत्री अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों को निशाना बनाना चाहते हैं।”