नई दिल्ली। चीनी विदेश मंत्री वांग यी मंगलवार को भारत के दौरे पर आए। नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ वांग यी ने बैठक कर कई मामलों पर चर्चा की। साथ ही अमेरिका का नाम लिए बगैर वांग यी ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में एकतरफा दबाव और फैसले अब स्वीकार्य नहीं होंगे। भारत और चीन के बीच संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं और दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिस्पर्धी के बजाय सहयोगी के रूप में देखना चाहिए।
वांग की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन जाने से पहले हुई है। जयशंकर के साथ बातचीत में वांग ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है और इस साल दोनों के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव के बाद संबंधों में आई नरमी का जिक्र करते हुए कहा कि अतीत से सबक लेकर आगे बढ़ा जा सकता है।
वांग ने जोर दिया कि भारत और चीन को आपसी सम्मान और विश्वास के साथ सहयोग, साझा विकास और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रास्ता तलाशना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ मिलकर शांति, समृद्धि और मैत्रीपूर्ण विश्व बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। वांग ने यह भी कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे पर भरोसा रखते हुए चुनौतियों को दूर करना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत-चीन सहयोग से न केवल दोनों सभ्यताओं को लाभ होगा, बल्कि यह पूरे एशिया और विश्व के लिए स्थिरता लाएगा। जयशंकर और वांग की बैठक के बाद दोनों देश संबंधों को और बेहतर करने पर सहमत हुए। यह यात्रा 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद तनावपूर्ण रहे संबंधों को सुधारने की दिशा में एक कदम मानी जा रही है।
सीमा मुद्दे पर अजीत डोभाल के साथ चर्चा
वांग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता की। दोनों देश अपने नेताओं की सहमति को लागू करने और सीमा पर शांति स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके साथ ही भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए चीन के तिब्बत क्षेत्र में पवित्र स्थलों की यात्रा फिर से शुरू करने पर भी चर्चा हुई।
वांग और डोभाल दोनों ही सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। पिछले साल दिसंबर में डोभाल ने चीन का दौरा किया था और वांग के साथ 23वें दौर की वार्ता की थी। उससे कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी, जहां दोनों ने संबंधों को बेहतर बनाने पर जोर दिया था।