नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया। सोमवार को विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि वे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और उसमें अनियमितताओं से जुड़े सवालों का जवाब देने में असफल रहे।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और राजद जैसे आठ प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उनके सवालों का जवाब देने के बजाय, सीईसी ने रविवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन पर हमला किया।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “चुनाव आयोग का कर्तव्य इस अधिकार की रक्षा करना है, लेकिन जब राजनीतिक दल महत्वपूर्ण सवाल उठाते हैं, तो आयोग जवाब देने में नाकाम रहता है। यह अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि सवालों के जवाब देने के बजाय, आयोग ने राजनीतिक दलों पर उल्टा सवाल उठाए और उन पर हमला बोला।
विपक्ष ने कई सवाल उठाए, जैसे कि एसआईआर प्रक्रिया इतनी जल्दी क्यों शुरू की गई, जबकि चुनाव सिर्फ तीन महीने दूर हैं? बिना विपक्षी दलों से चर्चा किए इस प्रक्रिया को लागू करने का क्या कारण था? साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच महाराष्ट्र में इतनी बड़ी संख्या में नए मतदाता कहां से आए?
विपक्षी नेताओं ने कहा कि वे आयोग पर नजर रखेंगे और भविष्य में जरूरी कदम उठाएंगे। हलफनामा दाखिल करने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कहा, “2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में, जब अखिलेश यादव ने वोटों में हेरफेर का आरोप लगाया था, तब आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर हलफनामे के जरिए विवरण मांगा था।” उन्होंने कहा, “हमने कई मतदाताओं के हलफनामे दिए, लेकिन आयोग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। 2024 के यूपी चुनाव में बीएलओ बदले गए, हमने शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि चुनाव आयोग का काम विपक्ष पर हमला करना नहीं है। उन्होंने कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त ने कल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कठपुतली जैसा व्यवहार किया, जो बेहद शर्मनाक था।” उन्होंने कहा कि मौजूदा गड़बडि़यों को देखते हुए लोकसभा को तुरंत भंग किया जाए।
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग उनके सवालों से बच रहा है और अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने कहा कि मतदान का अधिकार संविधान द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है, और लोकतंत्र इस अधिकार पर टिका है।
चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए राजद सांसद मनोज झा ने कहा, “हमारी ताकत संविधान से मिलती है। मैं मुख्य चुनाव आयुक्त को याद दिलाना चाहता हूं कि चुनाव आयोग संविधान का पर्याय नहीं है, बल्कि यह संविधान से ही बना है। इसे तोड़ने की कोशिश न करें। संविधान सुरक्षा और संरक्षण की पुस्तक है, न कि आपके उल्लंघनों को छिपाने की ढाल।”
डीएमके नेता त्रिची शिवा ने कहा कि सीईसी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, बल्कि और सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “सीईसी ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिसमें 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करने को कहा गया था।”