नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
SIR in West Bengal : बिहार एसआईआर मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से संबंधित मुद्दे पर विचार नहीं करने जा रहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, “बंगाल इंतजार कर सकता है, अभी कुछ नहीं हो रहा है।”
बिहार मामले में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने भी पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से स्वतंत्र रूप से दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राज्य सरकार से कोई परामर्श किए बिना ही यह बयान दे दिया कि राज्य एसआईआर के लिए तैयार है।
जब उन्होंने यह मुद्दा उठाया तो न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “पश्चिम बंगाल राज्य में अभी कुछ भी नहीं हो रहा है। ” कथित तौर पर पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी ईसीआई को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य एसआईआर के लिए तैयार है। जब वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी, जो तृणमूल कांग्रेस के सांसद भी हैं, उन्होंने यह मुद्दा उठाया तो न्यायमूर्ति कांत ने जवाब दिया, “पश्चिम बंगाल फिलहाल इंतजार कर सकता है। हम एक तारीख तय करेंगे।”
बनर्जी ने दलील दी कि कल, मतदाता सूची में नाम हटाए जाने की आशंका के चलते तीन महिलाओं ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में आत्महत्या (आत्मदाह) का प्रयास किया। इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “हमारे लिए व्यक्तिगत दावों की जांच करना बहुत मुश्किल है। हम व्यापक सिद्धांतों पर विचार करेंगे, जो स्थानीय परिस्थितियों के अधीन, राज्यों के लिए समान होंगे।”
अपनी बात को संक्षेप में कहने की अनुमति मिलने पर बनर्जी ने निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 26ए पर जोर दिया, जिसमें उप-नियम (1) में निर्दिष्ट अर्हता तिथि के संदर्भ में संशोधनों की सूची को अंतिम प्रकाशित रोल के साथ एकीकृत करने का प्रावधान है और सवाल किया कि इसे ईसीआई द्वारा कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है।इस बिंदु पर, न्यायमूर्ति कांत ने आश्वासन दिया कि इसकी जांच की जाएगी और जब पश्चिम बंगाल की बारी आएगी तो बनर्जी का पक्ष भी सुना जाएगा। पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
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