नई दिल्ली। एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण में आय आधारित प्राथमिकता लागू करने की मांग वाली एक याचिका के परीक्षण को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कदम उठाया। याचिका में सुझाव दिया गया है कि आरक्षण का लाभ सबसे पहले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलना चाहिए, जिसके लिए आय के आधार पर प्राथमिकता तय की जाए।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के सिद्धांतों को मजबूत करेगी, बिना मौजूदा आरक्षण कोटे में किसी बदलाव के। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर याचिकाकर्ता को कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि दशकों से चली आ रही आरक्षण नीति के बावजूद, आर्थिक रूप से सबसे कमजोर लोग अक्सर लाभ से वंचित रह जाते हैं, जबकि अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति वाले लोग ही इसका ज्यादा फायदा उठाते हैं।
याचिका में क्या मांग की गई?
याचिका में मांग की गई है कि आरक्षण के लाभ को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए आय-आधारित प्राथमिकता लागू की जाए, ताकि सबसे जरूरतमंद लोगों तक मदद पहले पहुंचे। उत्तर प्रदेश के रमाशंकर प्रजापति और यमुना प्रसाद द्वारा दायर इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह सरकार को निर्देश दे कि सरकारी नौकरियों और शैक्षिक अवसरों में आरक्षण का वितरण योग्यता और आर्थिक स्थिति के आधार पर हो।
इसके अतिरिक्त, याचिका में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लाभ को समान रूप से वितरित करने की नीति बनाने का सुझाव दिया गया है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि प्रत्येक आरक्षित श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को एक उप-श्रेणी के रूप में मान्यता दी जाए और चयन प्रक्रिया में उन्हें प्राथमिकता दी जाए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले में निर्धारित किया गया है।