रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दे दिया है। पहले बिजली की दरें बढ़ाईं और अब कुछ ही दिनों बाद उपभोक्ताओं की रियायतों में बड़ी कटौती कर दी!
सरकार यह फैसला तो 14 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान ही ले चुकी थी, पर इसकी घोषणा सत्र की समाप्ति के कुछ समय बाद की गई ताकि विधानसभा में हंगामे का कम से कम एक अवसर तो विपक्ष को ना मिले।
thelens.in ने सबसे पहले यह खबर दी और अब thelens.in ही बिजली के सरकारी झटकों की लगातार पड़ताल कर रहा है ताकि सच साफ–साफ आप तक पहुंचे!
छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार की बिजली बिल हाफ योजना का लाभ 400 यूनिट के बजाए 100 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं तक सीमित करने के फैसले को बड़ा झटका माना जा रहा है। इस बदलाव से जिस उपभोक्ता की खपत जिस महीने 100 यूनिट तक होगी, उसे बिजली बिल में 50 फीसदी छूट मिलेगी। और यदि किसी महीने खपत एक यूनिट भी ऊपर जाती है, तो उस महीने वह इस योजना के लाभ के दायरे से बाहर हो जाएगा।
दरअसल बड़ा सवाल यही है कि राज्य सरकार ने सत्ता में आने के पौने दो साल बाद यह फैसला क्यों किया?
राज्य सरकार दावा कर रही है कि वह प्रदेश के उपभोक्ताओं को केंद्र की पीएम सूर्य घर मुफ्त योजना से जोड़ेगी और उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा से बिजली मुहैया कराएगी। इसके लिए आकर्षक सब्सिडी भी दी जा रही है।
अगर आपने अपने घर पर सोलर प्लांट लगाया है, तो पहली सब्सिडी आपको केंद्र सरकार से मिलेगी, और अब राज्य सरकार ने भी तीन किलोवाट तक के प्लांट पर 30 हजार रुपये तक की सब्सिडी की घोषणा की है।
आखिर सरकार इतनी मेहरबान क्यों है?, हकीकत समझिए
उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा से जोड़ने के दावों की हकीकत हम आपको बताएंगे। लेकिन पहले बिजली बिल हाफ योजना के लाभ के बारे में जान लीजिए।
छत्तीसगढ़ की पिछली भूपेश सरकार ने इस योजना को लागू किया था। इसके तहत हर उपभोक्ता को 400 यूनिट तक की बिजली खपत पर बिजली के बिल में 50 फीसदी यानी कि 200 यूनिट तक की छूट दी जाती थी। इसका फायदा 53 लाख बिजली उपभोक्ताओं को हो रहा था। इसमें हर तबके के लोग शामिल थे। सबसे ज्यादा लाभ निम्न वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को हो रहा था। भूपेश सरकार इसे अपनी लोक कल्याण की लोकप्रिय योजना के रूप में प्रचारित भी करती रही।
अब साय सरकार ने इस योजना में बड़ी कटौती कर दी है। अब केवल 100 यूनिट तक की बिजली खपत करने वाले उपभोक्ता इस दायरे में रहेंगे। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि राज्य के 25 लाख से ज्यादा लोग इस योजना के लाभ के दायरे से बाहर हो जाएंगे। यानी कि मुफ्त बिजली से वंचित हो जाएंगे।
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 100 यूनिट तक की बिजली का इस्तेमाल करने वालों के बजट में कोई अंतर नहीं होगा। वहीं, 200 यूनिट तक की बिजली खपत करने वालों के जेब पर हर महीने अब करीब 200 रुपए अतिरिक्त लगेंगे। 300 यूनिट तक की बिजली खपत करने वालों को करीब 450 से 500 रुपए का अब अतिरिक्त बिल देना होगा। इसी तरह 400 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करने वालों को अब करीब 800 रुपए ज्यादा लगेंगे।
सरकार ने कटौती के इस आदेश के साथ ही प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना को इस तरह प्रचारित किया है, जैसे यह बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत या बड़ा आकर्षण हो, लेकिन आंकड़ों से ही इसकी हकीकत जानिए।
हकीकत यह है कि सरकार का ही लक्ष्य छत्तीसगढ़ में 2024 से 2027 तक सिर्फ एक लाख 30 हजार घरों में सोलर बिजली प्लांट लगवाने का है और इस लक्ष्य के मुकाबले एक साल में महज 4 हजार घरों में सोलर बिजली प्लांट लग पाएं हैं!
छत्तीसगढ़ पावर कंपनी के सूर्य घर बिजली योजना के नोडल अधिकारी बिम्बिसार ने बताया कि हमारा लक्ष्य मार्च 2027 तक करीब 4 लाख घरों में सोलर प्लांट लगवाना है। केेंद्र सरकार के लक्ष्य के बारे में नोडल अधिकारी बताते हैं कि 1 लाख 30 हजार मकानाें में प्लांट लगाने का लक्ष्य मिला था। करीब 40 हजार आवेदन इस योजना के लिए अब तक आ चुके हैं, जिनमें से 4 हजार मकानों की छत पर सोलर प्लांट लग चुके हैं।
यानी एक तरफ 53 लाख उपभोक्ताओं को मिलने वाली रियायत में भारी कटौती और वहीं दूसरी तरफ उस कटौती के मुकाबले जिस योजना को कल्याणकारी और एक बड़े आकर्षण की तरह पेश किया जा रहा है, उसका लाभ पाने वालों का आंकड़ा, अब तक सिर्फ 4 हजार!
अब पीएम सूर्यघर योजना की दूसरी हकीकत को भी समझिए
पर्यावरण की प्रतिष्ठित पत्रिका डाउन टू अर्थ में प्रकाशित रिपोर्ट स्टेट ऑफ इन्वायरमेंट इन फीगर्स रिपोर्ट 2019 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में नगरों की कुल आबादी में झुग्गी बस्तियों में रहने वालों का प्रतिशत 32 फीसदी था। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की एक पुरानी रिपोर्ट भी बताती है कि देश में सर्वाधिक झुग्गियां छत्तीसगढ़ में ही हैं। इन झुग्गी झोपड़ी के नागरिक अपनी छतों पर सौर उर्जा प्लांट लगा नहीं सकते। इसी तरह कुछ बिल्डर्स के अनुमान को अगर ठोस मानें तो छत्तीसगढ़ में 10 से 15 हजार फ्लैट्स हैं। आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है। फ्लैट्स में रहने वाले लोग भी सोलर प्लांट नहीं लगाएंगे। लाखों लोग किराए के मकानों में रहते हैं। वे भी सोलर प्लांट नहीं लगाएंगे। इस तरह एक बड़ी आबादी तो ऐसे भी सोलर प्लांट से दूर हो जाएगी। ये आंकड़े सरकार के भी सामने हैं, इसीलिए इस योजना का तीन साल का लक्ष्य भी एक लाख तीस हजार रखा गया है।
तस्वीर साफ है कि 400 यूनिट वाली बिजली बिल हाफ योजना के मुकाबले पीएम सूर्यघर योजना के लाभार्थियों की संख्या बहुत कम होगी। तो क्या राज्य सरकार ने बिजली बिल हाफ योजना में कटौती सिर्फ इसलिए की है ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम सूर्यघर योजना के आंकड़ों को बढ़ाया जा सके?
कांग्रेस : आम आदमी की जेब में डाका, BJP : बिजली बिल ही शून्य
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि सरकार की इस योजना में बदलाव से एक बड़ी आबादी प्रभावित हो जाएगी। सोलर प्लांट का प्रचार सरकार कर रही है, लेकिन सरकार यह बताए कि किराए के मकानों में रहने वाले लोग में यह प्लांट कैसे लगवाएंगे। इतना ही नहीं फ्लैट्स में रहने वाले और कच्चे मकानों में रहने वाले लोग यह प्लांट कैसे लगााएंगे। इतना ही नहीं 1 लाख 80 हजार रुपए में लगने वाले प्लांट के लिए सरकार दावा कर रही है कि 1 लाख सरकार सब्सिडी देगी, लेकिन 80 का भार तो सरकार पर पड़ेगा।
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने तो यह भी आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार स्मार्ट मीटर के नाम पर अडानी की ही कंपनी का प्रीपेड मीटर लगा रही है। इसके लिए दीपक बैज कहते हैं कि सरकार ने 440 वोल्ट का झटका छत्तीसगढ़ की जनता को दिया है। हम इस पर लगातार आंदोलन करेंगे।
वहीं, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा ने कहा कि हाफ बिजली बिल के मुद्दे पर कांग्रेस झूठा नैरेटिव चलाकर प्रदेश को गुमराह करने पर आमादा है। 400 यूनिट तक औसत खपत करने वाले उपभोक्ताओं का बिजली बिल सोलर प्लांट की स्थापना के बाद शून्य हो जाएगा। भूपेश सरकार के कार्यकाल में बिजली बिल हाफ योजना के तहत 22 लाख उपभोक्ता इस योजना के लाभ से वंचित ही रखे गए थे।
बिजली बिल हाफ के मुताबिक सूर्य घर योजना के लाभार्थी नगण्य
राजनीतिक आरोपों से इतर इतना तो तय है कि यदि सरकार बिजली बिल हाफ योजना के मुकाबले पीएम सूर्य घर योजना को प्रस्तुत करना चाहती है तो यह तुलना बेमानी होगी क्योंकि सूर्य घर योजना के हितग्राही तो बिजली बिल हाफ योजना के लाभार्थियों के मुकाबले लगभग नगण्य हैं।
एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि दोनों योजनाओं के अर्थशास्त्र का भी अलग अलग आकलन करें तो अंततः सरकार पर बोझ भी करीब–करीब एक सा ही आयेगा।
एक थ्योरी कटौती समर्थकों की ओर से यह दी जा रही है कि सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ सम्पन्न तबकों को क्यों मिले? एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह मानना ही गलत है कि कटौती के दायरे में सिर्फ संपन्न आयेंगे उल्टे इस कटौती का सबसे बड़ा नुकसान गरीबों को,निम्न मध्यमवर्गीय और माध्यम वर्गीय परिवारों को ही झेलना होगा।
छत्तीसगढ़ रिटायर्ड पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी एन सिंह यह सवाल उठा रहे हैं कि सरकार यदि सोलर एनर्जी को लोकप्रिय करना चाहती है तो उसे सबसे पहले सरकारी दफ्तरों और सरकारी बंगलों में सोलर प्लांट लगाना चाहिए। बिजली कंपनी को अपने सभी दफ्तरों और मकानों में यह प्लांट लगाना चाहिए, क्योंकि वे अपने स्टाफ को 50 फीसदी सब्सिडी तो दे ही रहे हैं। पीएन सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार पर पावर कंपनी का दस हजार करोड़ का बकाया है। यदि सरकार इस बकाए को अदा कर दे तो पावर कंपनी उपभोक्ताओं को कम दरों पर ही बिजली मुहैया कराने में सक्षम जो जायेगी।
इसलिए मानिए कि बिजली बिल हाफ योजना में राज्य सरकार की कटौती बड़ा झटका है,आम उपभोक्ताओं को ऐसा करंट है जो उन्हें इसी महीने से लगने वाला है!
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