कर्नाटक से पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बंगलुरू स्थित एक विशेष अदालत ने बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है, जिससे यह भरोसा मजबूत हुआ है कि आरोपी चाहे कितना भी रसूखदार हो कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता। ध्यान रहे, प्रज्वल पर इस मामले में दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है और अभी उसके खिलाफ बलात्कार के कम से कम तीन मामले और लंबित हैं। 2021 में कर्नाटक की हासन सीट से जनता दल (एस) का सांसद रहते प्रज्वल ने कोविड के समय लगाए गए लॉकडाउन के दौरान एक बेबस महिला के साथ कई बार बलात्कार किया था। वह पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा का पोता है, कर्नाटक के पूर्व मंत्री एच डी रेवन्ना का बेटा और पूर्व मुख्यमंत्री तथा अभी केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी का भतीता है। इसके अलावा भी उसके परिवार से कई और सांसद और विधायक रहे हैं। वास्तव में एक समय इस परिवार को कर्नाटक के प्रथम राजनीतिक परिवार जैसी हैसियत प्राप्त थी। अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीडि़ता की लड़ाई किनसे थी। निस्संदेह इस मामले में तेजी आने की एक वजह यह भी है कि कर्नाटक में इस समय जनता दल(एस)-भाजपा गठबंधन की विरोधी कांग्रेस की सरकार है। फिर भी अहम यह है कि यह फैसला एपी-एमएलए की विशेष अदालत से आया है, जिसमें प्रज्वल को दोषी पाया गया। यह हम पहले भी लिख चुके हैं कि बलात्कार किसी भी महिला के साथ किया जाने वाला सबसे जघन्य उत्पीड़न है। प्रज्वल ने बकायदा अपने इस जघन्य कृत्य को न केवल मोबाइल फोन पर कैद किया, बल्कि पीडि़त को इसकी आड़ में धमकाया भी। भले ही प्रज्वल कह रहा है कि कम उम्र में उसे मिली राजनीतिक कामयाबी के कारण उसे फंसाया गया, पर उसे जेल के भीतर यह आत्ममंथन जरूर करना चाहिए कि उसके पास सांसद के रूप में अपने क्षेत्र के लिए कुछ बेहतर करने का मौका था। चिंता की बात यह है कि प्रज्वल अकेला नहीं है। एडीआर की सालभर पहले की एक रिपोर्ट के मुताबिक 16 सांसद और विधायक बलात्कार से जुड़े मामलों का सामना कर रहे हैं और 2009 के बाद गंभीर मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 124 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। ऐसे में हमारी सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक संरचना में कमजोर तबके की बलात्कार पीड़ित महिला की लड़ाई कितनी बड़ी हो जाती है, यह बताने की जरूरत नहीं। और सच यह भी है कि ऐसे मामलों में कई बार पीड़िता को न्याय भी नहीं मिल पाता।
अंततः न्याय

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