रायपुर। इस वक्त की सबसे बड़ी खबर हम बता रहे हैं, जो जुड़ी है छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कथित धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों से। और आरोप भी ऐसे, जिसके आधार पर बजरंग दल की एक शिकायत पर दो ननों और एक आदिवासी युवक को जेल भेज दिया जाता है। इस मामले की चर्चा पूरे देश में है। और अब इस पूरे मामले में उस युवती ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पुलिस की कार्रवाई पर ही सवाल खड़े कर दिए। जिस युवती के बयान से मानव तस्करी और धर्मांतरण का केस बनाया गया था, अब उसी युवती ने बयान दिया है कि जेल में बंद दोनों नन और आदिवासी युवक बेगुनाह हैं। वे अपनी मर्जी से मिशन अस्पताल काम करने जा रही थी और वह पहले से ही इसाई धर्म की अनुयायी है।
बजरंग दल ने जिस युवती कमलेश्वरी प्रधान को पीड़ित बताया और जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया, अब उसी नारायणपुर की युवती ने बताया है कि उसे डरा धमकाकर ननों के खिलाफ बयान दिलाया गया।
कमलेश्वरी ने बताया कि दोनों नन निर्दोष हैं। ननों ने धर्मांतरण को लेकर किसी तरह का दवाब नहीं बनाया। बजरंग दल के लोगों ने दबाव बनाकर ननों और आदिवासी युवक को जेल भिजवा दिया। दोनों नन और सुखमन मंडावी निर्दोष हैं। युवती का कहना है कि वह अपनी मर्जी से आगरा होते हुए भोपाल जा रही थी। परिजनों की सहमति से मिशन अस्पताल काम करने जा रही थी। तभी दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के लोग आते हैं, और पकड़ कर रेलवे पुलिस के हवाले कर देते हैं। फिर दबाव डाल कर यह बयान कराते हैं कि उसे जबरन ले जाया जा रहा है और धर्मांतरण की कोशिश की जा रही है।
इस मामले पर बजरंग दल की सहयोगी ज्योति शर्मा से thelens.in से फोन पर उनकी राय जाननी चाही तो ज्योति शर्मा कहती हैं कि कमलेश्वरी प्रधान ने जो बयान दिया वह पुलिस में दिया। उनके सामने नहीं दिया। जबकि कमलेश्वरी प्रधान का कहना है कि उसे धमका कर पुलिस में ऐसा बयान दिलवाया गया था।
इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर केरल के कई कांग्रेस सांसद और सत्ता रूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद और सीपीएम की पूर्व पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, सीपीआई नेता अनी राजा दुर्ग पहुंची थीं। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इस मामले को संसद में उठाया था। खुद केरल बीजेपी ननों के पक्ष में सामने आई थी।
पूर्व सीएम ने पूरी प्रक्रिया पर खड़े किए सवाल
वहीं इस मामले में दो ननों और एक आदिवासी युवक की गिरफ्तारी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल खड़े किए हैं। भूपेश बघेल ने कहा कि ये सरकार अपने वोट बैंक के लिए अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रही है। प्रदेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। ननों की गिरफ्तारी के बाद जमानत के मामले में दुर्ग सेशन कोर्ट ने कहा कि मानव तस्करी उनके क्षेत्राधिकार का मामला नहीं है। एनआईए कोर्ट जाईये। ऐसे में सवाल यह खड़े हा रहा है कि राज्य की पुलिस को यह पता नहीं है कि जो धाराएं उन्होंने लगाई है वह एनआईए कोर्ट का है। ऐसे में यह पूरी प्रक्रिया ही गलत है। जब दुर्ग कोर्ट का अधिकार ही नहीं है तो कोर्ट में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड पर जेल कैसे भेज दिया गया। बिना एनआईए कोर्ट में पेश किए कथित मानव तस्करी के केस में जेल कैसे भेजा जा सकता है।
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