रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में रीएजेंट खरीदी घोटाले में शामिल रहा मोक्षित कॉर्पोरेशन अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की राडार में है। बुधवार को ED ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के दुर्ग के कई ठिकानों पर दबिश दी। इस मेडिकल घोटाले की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने अब तक जांच की थी। उसी जांच में बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा हुआ, जिसके बाद ईडी की एंट्री हुई है। ईडी अब मोक्षित कॉर्पोरेशन का सारा रिकॉर्ड खंगाल रही है। दुर्ग में ईडी ने छापेमारी की है।
कुछ दिनों पहले ही ईडी ने मोक्षित कॉर्पोरेशन से संबंधित सारे दस्तावेज ईओडब्ल्यू से हासिल किए थे। उन दस्तावेजों की गहन जांच कर ईडी को बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग का पता चला है, जिसके बाद ईडी ने जांच शुरू की और बुधवार को दुर्ग के मोक्षित कॉर्पोरेशन के सभी ठिकानों पर दबिश दी।
दुर्ग के गंजपारा बेस यह कंपनी शांतिलाल चोपड़ा और उनके बेटे शशांक चोपड़ा की है, जो दवा और मेडिकल इक्विपमेंट की एजेंसी हैं। यह एजेंसी कई सालों से सरकारी मेडिकल एजेंसी को दवा सप्लाई कर रही थी।
ईडी के इस दबिश के कई मायने हैं। ईडी की इस कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया है कि यह अब सिर्फ सीजीएमएससी के तीन टेंडर से जुड़ा हुआ नहीं है। अब यह जांच मोक्षित कॉर्पोरेशन के पुराने टेंडर और उसके पुराने कारोबार से जुड़ेगा। इसके अलावा सीजीएमएससी के तीन टेंडर पर अफसरों की भूमिका की जांच होगी। ईडी की जांच से अब इस पूरे मामले का दायरा बढ़ गया है।
दरअसल, EOW की जांच उन तीन टेंडर से जुड़ा था, जिसमें करीब 650 करोड़ रुपए के रीएजेंट खरीदे गए थे। इस खरीदी में कई रीएजेंट एमआरपी से कई गुना दाम पर खरीदे गए थे। इसमें 9 रुपए वाली ईडीटीए ट्यूब 23 सौ रुपए में खरीदे गए। इसी तरह 66 रुपए प्रति दर्जन वाला यूरिन बॉक्स साढ़े 23 हजार में खरीदा गया।
घोटाले में शामिल अफसरों से ही सरकार करा रही थी जांच
यह घोटाला भूपेश बघेल सरकार के दौर में हुआ, लेकिन इसके भुगतान विष्णुदेव साय सरकार तक किए गए। साय सरकार पर शुरू से ही इस मामले के रफा दफा करने के आरोप लगते रहे। सरकार के पहले बजट सत्र में मार्च 2023 में मामला उठा, तो स्वास्थ्य मंत्री ने जांच के लिए एक समिति बनाई। सबसे हैरानी की बात यह थी कि इस खरीदी में शामिल रहे अफसरों को ही जांच का जिम्मा दे दिया गया था। मीडिया में रिपोर्ट्स आने के बाद सरकार ने ईओडब्ल्यू को जांच सौंपी और अब तक मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर से लेकर सीजीएमएसी के कई अफसर, जो इस खरीदी में शामिल थे, गिरफ्तार हो चुके हैं। EOW ने अपनी जांच में तीन टेंडर में ही करीब 650 करोड़ के घोटाले का दावा किया था। इस घोटाले में बड़ी रकम मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए शिफ्ट की गई, जिसके बाद अब ईडी ने जांच शुरू की है। ईडी की जांच में सामने आया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन लंबे समय से मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रहा है। इसके बाद ईडी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाया और इस कंपनी के पिछले सारें टेंडर की जांच शुरू कर दी।