लेंस डेस्क। रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कमचटका प्रायद्वीप के पास बुधवार 30 जुलाई को 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि स्थानीय प्रशासन ने इसे दशकों में सबसे खतरनाक बताया। भूकंप का केंद्र समुद्र में कमचटका से 133 किलोमीटर दूर था जिसके बाद रूस, जापान, अमेरिका, हवाई, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों में सुनामी का खतरा बढ़ गया। कई तटीय इलाकों में ऊंची लहरों ने तबाही मचाई, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और आपात स्थिति लागू कर दी गई। earthquack 2025
भूकंप और सुनामी की बड़ी बातें:
रूस में भारी नुकसान: भूकंप के बाद रूस के सेवेरो-कुरील्स्क शहर में सुनामी की तीन बड़ी लहरें टकराईं, जिनमें तीसरी सबसे खतरनाक थी। इन लहरों ने तटीय इलाकों को जलमग्न कर दिया, कई जहाज बह गए और बंदरगाह से 300 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पेट्रोपावलोव्स्क-कैमचात्स्की शहर में बिजली और मोबाइल सेवाएं ठप हो गईं, कई इमारतों को नुकसान पहुंचा।
जापान में सुनामी का खतरा: जापान के होक्काइदो तट पर 3 मीटर तक ऊंची लहरों की चेतावनी जारी की गई। तटीय शहरों में सायरन बजाए गए और लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए। फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से कर्मचारियों को हटाया गया, हालांकि अभी तक कोई रिसाव की खबर नहीं है।
अमेरिका और हवाई में अलर्ट: हवाई में 10 फीट ऊंची लहरों की आशंका के चलते डिज्नी रिजॉर्ट और कई होटल खाली कराए गए। स्कूलों में पर्यटकों को शरण दी गई। कैलिफोर्निया, अलास्का और अमेरिकी पश्चिमी तट पर भी चेतावनी जारी की गई जिसमें लोगों को समुद्री किनारों से दूर रहने को कहा गया। हवाई के सभी बंदरगाह बंद कर दिए गए और अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने जहाजों को समुद्र में ही रुकने का आदेश दिया।
चीन, फिलीपींस और इंडोनेशिया में चेतावनी: चीन के शंघाई और झेजियांग प्रांतों में 0.3 से 1 मीटर ऊंची लहरों की चेतावनी जारी की गई। तूफान ‘कोमाय’ के प्रभाव से इन लहरों का खतरा और बढ़ गया है। फिलीपींस और इंडोनेशिया में भी सुनामी अलर्ट जारी किया गया हालांकि अभी तक लहरें 1 मीटर से कम रहीं।
‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ पर खतरा:
कमचटका प्रायद्वीप ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है जो भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए कुख्यात है। यह क्षेत्र पहले भी कई बड़े भूकंपों का गवाह रहा है। इतिहास में सबसे शक्तिशाली 9.5 तीव्रता का चिली भूकंप (1960) और 2004 का सुमात्रा भूकंप, जिसने 2.8 लाख लोगों की जान ली, इसी तरह के क्षेत्रों में आए थे। 2011 में जापान का टोहोकू भूकंप भी ऐसी ही तबाही मचा चुका है। फिलहाल रूस, जापान और अमेरिका में राहत और बचाव कार्य तेजी से शुरू किए गए हैं। कई देशों में आपातकालीन टीमें तैनात की गई हैं।