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लेंस संपादकीय

विपक्ष सवाल पूछता रहा, मोदी कांग्रेस और नेहरू को कोसते रहे

Editorial Board
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Published: July 29, 2025 9:44 PM
Last updated: July 29, 2025 9:47 PM
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Modi’s foreign policy
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ऑपरेशन सिंदूर पर संसद के दोनों सदनों में हुई लंबी चर्चा में सरकार और विपक्ष दोनों ने जहां भारतीय सेना के शौर्य की सराहना की है, वहीं दोनों पक्ष एक- दूसरे पर राजनीतिक हमले करने से नहीं चूके हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में एक विदेशी समेत 26 पर्यटकों की आतंकियों ने बर्बर ढंग से हत्या कर दी थी। इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली को ध्वस्त कर पाक अधिकृत कश्मीर में घुस कर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। हालात यह हो गई थी कि दोनों देश युद्ध के मुहाने पर खड़े हो गए थे और फिर चार दिन बाद युद्ध विराम से इस उपमहाद्वीप पर मंडराता खतरा टल गया। दरअसल जिस तरह से ऑरपरेशन सिंदूर को रोकने का अचानक एलान हुआ था, उससे बहुत से सवाल खड़े हो गए थे। ऐसा इसलिए भी था, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 25 से अधिक बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया। राहुल गांधी सहित विपक्ष के नेताओं ने सरकार से इसे लेकर सीधा सवाल किया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने यह तो कहा कि दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा, लेकिन उन्होंने ट्रंप का जिक्र तक नहीं किया! इसके अलावा उन्होंने इस अल्पकालीन युद्ध में पाकिस्तान को मदद करने वाले चीन का नाम लेने से भी गुरेज किया। गृह मंत्री अमित शाह ने बहस में हिस्सा लेते हुए सदन को बताया कि पहलगाम हमले के आतंकियों को सोमवार को ही सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन महादेव चलाकर मार गिराया, यह अच्छी बात है। लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश ने इस ऑपरेशन की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया। निस्संदेह भारत की संप्रभुता पर कोई दूसरा देश सवाल नहीं कर सकता और प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश को इसका भरोसा भी दिया। लेकिन मुश्किल यह है कि विपक्ष को साथ लेने के बजाय प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने इस मौके को भी प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस के खिलाफ अपने नैरेटिव के लिए इस्तेमाल किया। इसकी शुरुआत तो उसी समय से हो गई थी, जब प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेना जरूरी नहीं समझा था। द्रमुक की नेता कनिमोझी ने ठीक ही कहा कि कांग्रेस से ज्यादा आप पंडित नेहरू को याद करते हैं और आपकी वजह से नई पीढ़ी महान नेता नेहरू को जान पा रही है! ऑपरेशन सिंदूर के बहाने विपक्ष का जहां सरकार पर पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जे करने का मौका छोड़ देने का आरोप अनुचित था, वहीं पाक अधिकृत कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री मोदी का बार-बार प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू को निशाना बनाना। यह देश जिन हालात और हमारे महान नेताओं के जिन संघर्षों से बना है, वह किसी से छिपा नहीं है। दरअसल असाधारण परिस्थितियों में असाधारण फैसले लिए जाते हैं और भारत तथा पाकिस्तान के रिश्ते को भी इसी तरह देखा जाना चाहिए। यही बात 1962 और 1971 के युद्धों के बारे में कही जा सकती हैं। दरअसल अतीत की गलतियां सबक सीखने के लिए होती हैं, तो उपलब्धियां आगे के लिए प्रेरणा बनती हैं। जहां तक पाक अधिकृत कश्मीर की बात है, तो इस देश की संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि पाक अधिकृत कश्मीर सहित सारा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसके अलावा यह बात तकरीबन सारी सरकारें दोहरा चुकी हैं कि पाकिस्तान से बात आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर ही हो सकती है। वास्तव में इस मौके पर संसद से जम्मू-कश्मीर के लोगों की भी एकजुटता से सराहना की जानी चाहिए थी, जिन्होंने पहलगाम हमले के बाद बेबस पर्यटकों के लिए खुले मन से अपने दरवाजे खोल दिए थे। ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी का चर्चा कश्मीरियत की चर्चा के बिना अधूरी ही रहेगी।

TAGGED:CongressNarendra ModiNehru
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