नई दिल्ली। parliament monsoon session 2025 संसद के मानसून सत्र के छठे दिन, सोमवार को लोकसभा में दोपहर 2:05 बजे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से इस चर्चा की शुरुआत की। इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए लोकसभा में 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। हालांकि, इससे पहले विपक्ष ने बिहार के वोटर सत्यापन से जुड़े स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) मुद्दे को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया, जिसके चलते कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा।
रक्षा मंत्री राजनाथ ने अपने 55 मिनट के भाषण में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर की लाली शौर्य की कहानी है। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकी और हैंडलर मारे गए। हमने पूरा ऑपरेशन 22 मिनट में पूरा कर लिया। रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाने की आवश्यकता पड़ती है, भारत आतंकवाद के खिलाफ न केवल सीमाओं पर बल्कि वैचारिक स्तर पर भी मजबूती से संघर्ष कर रहा है। भारत का पाकिस्तान के साथ कोई सांस्कृतिक या सभ्यता का टकराव नहीं है बल्कि यह आतंकवाद और बर्बरता के खिलाफ संघर्ष है।विपक्ष का काम होता है- सवाल पूछना। कभी-कभी विपक्ष के लोग ये पूछते हैं कि हमारे कितने विमान गिराए। हमसे कभी ये नहीं पूछा कि हमने दुश्मन के कितने विमान गिराए।” हमसे पूछा जाए कि दुश्मन के ठिकाने नेस्तनाबूद किए। इसका उत्तर है- हां। अगर आपका प्रश्न है, ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा तो इसका उत्तर है- हां। अगर हमने मांओं-बहनों के सिंदूर का बदला लिया, तो उत्तर है- हां। अगर प्रश्न है कि हमारे सैनिकोंं की क्षति हुई, तो उत्तर है-नहीं।”
विपक्ष की ओर से कांग्रेस के गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होने कहा पहलगाम हमले के समय प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब में थे लौट कर बिहार गए। गोगोई ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भले ही कई जानकारियां साझा कीं, लेकिन यह नहीं बताया कि पहलगाम में आतंकी देश में कैसे दाखिल हुए। पांच आतंकियों ने 26 पर्यटकों पर हमला कैसे कर दिया, इस पर रक्षा मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया।
संसद के मानसून सत्र का छठवां दिन यहां देखें LIVE
https://www.youtube.com/live/RxnT0tVHqjU?si=AC5a2MaSGW8IRmXN
विदेश मंत्री के भाषण के दौरान हंगामा
विदेश मंत्री एस जयशंकर के संबोधन के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया इसपर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा भारत का विदेश मंत्री यहां बयान दे रहा है पर विपक्ष को उन पर भरोसा नहीं है। किसी और देश पर भरोसा है। विदेश मंत्री पर भरोसा क्यों नहीं करते। इसलिए विपक्ष में बैठे हैं और 20 साल वहीं पर बैठेंगे।
संयुक्त राष्ट्र ने की पहलगाम हमले की निंदा
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि विपक्ष पहलगाम हमले पर वैश्विक प्रतिक्रिया को लेकर सवाल उठा रहा है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि जर्मनी की विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को आतंकवाद से अपनी सुरक्षा करने का पूर्ण अधिकार है और वे हमारा समर्थन करते हैं। फ्रांस और यूरोपीय संघ ने भी इसी तरह का रुख अपनाया। क्वाड और ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। जयशंकर ने आगे बताया कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने भी इस हमले की कड़े शब्दों में भर्त्सना की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आतंकवाद किसी भी रूप में वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है।
ऑपरेशन सिन्दूर की बहस पहुंची 26/11 हमले तक
जदयू सांसद ललन सिंह ने संसद में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की सरकार की आलोचना पर तीखा जवाब दिया उन्होंने कहा, ‘2004 से 2014 तक यूपीए शासन में आतंकी हमलों में 614 लोग मारे गए। आज आप पूछ रहे हैं कि पहलगाम में आतंकी कैसे घुसे। आपको यह बताना चाहिए था कि 26/11 के मुंबई हमले में आतंकी कहां से आए। आपमें न तो आतंकवाद से लड़ने की हिम्मत थी, न ही कोई ठोस कदम उठाने का जज्बा। आप केवल दिखावटी दुख जताते थे।
विश्वगुरु व्हाइट हाउस में बैठा निकला : रमाशंकर राजभर
दूसरी ओर, सपा सांसद रमाशंकर राजभर ने कहा, ‘सरकार ने दावा किया कि 100 आतंकियों को मार गिराया, लेकिन क्या उनमें वे चार मुख्य आतंकी शामिल थे, यह स्पष्ट नहीं किया गया। पहलगाम हमले का जवाब 18 दिन बाद दिया गया। देशवासियों में इतना गुस्सा था कि वे ऑपरेशन सिंदूर नहीं, बल्कि ऑपरेशन तंदूर की उम्मीद कर रहे थे लेकिन सरकार ने ऑपरेशन को महज तीन दिन में समेट लिया। हम जिसे विश्वगुरु मान रहे थे, वह तो व्हाइट हाउस में बैठा निकला।’
सीजफायर और चीन की भूमिका पर सरकार दे जवाब : गौरव गोगोई
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने संसद में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 26 बार दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाया। ट्रम्प का कहना है कि इस दौरान पांच लड़ाकू विमान नष्ट हुए, जिनमें से प्रत्येक की कीमत करोड़ों रुपये थी। गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि युद्ध में कितने लड़ाकू विमान खोए गए और सीजफायर की वजह क्या थी। उन्होंने पूछा कि अगर पाकिस्तान वाकई हार मानने को तैयार था, तो सरकार ने किसके दबाव में झुककर युद्धविराम स्वीकार किया।गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान इस युद्ध में केवल मोहरा था, जबकि असली ताकत चीन थी। उन्होंने सेना के हवाले से कहा कि पाकिस्तान के पीछे चीन का समर्थन था, और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि जो सरकार चीन को आंख दिखाने की बात करती है, उसने इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध रखी है। गोगोई ने मांग की कि रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री यह स्पष्ट करें कि युद्ध में चीन ने पाकिस्तान को कितनी और किस तरह की मदद दी। यह जानकारी देश की सेना से नहीं, बल्कि सरकार के शीर्ष नेतृत्व से जानना जरूरी है।
पहलगाम में आतंकी कैसे घुसे, सरकार ये क्यों नहीं बताती: गौरव गोगोई
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने संसद में कहा कि इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य सच्चाई को सामने लाना है। उन्होंने मांग की कि पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और विदेश नीति से जुड़े तथ्य सदन के सामने स्पष्ट किए जाएं। गोगोई ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भले ही कई जानकारियां साझा कीं, लेकिन यह नहीं बताया कि पहलगाम में आतंकी देश में कैसे दाखिल हुए। पांच आतंकियों ने 26 पर्यटकों पर हमला कैसे कर दिया, इस पर रक्षा मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया।उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष का दायित्व है कि वह देशहित में सवाल उठाए। देश जानना चाहता है कि ये पांच आतंकी सीमा पार करके भारत में कैसे घुसे और उनका इरादा क्या था। गोगोई ने आरोप लगाया कि आतंकी भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने और भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव पैदा करने की मंशा रखते थे। रक्षा मंत्री ने सैनिकों की बहादुरी का तो जिक्र किया, लेकिन आतंकियों के मंसूबों पर चुप्पी साध ली। गोगोई ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की तारीफ की, जिन्होंने इस हमले के दौरान पर्यटकों की मदद की, और कहा कि पूरे देश ने उनकी इस मानवता के लिए सराहना की। यह भारत की संस्कृति का प्रतीक है।उन्होंने गर्व जताते हुए कहा कि सभी विपक्षी दलों ने एकजुट होकर सरकार को समर्थन देने की बात कही, लेकिन साथ ही सवाल उठाया कि 100 दिन बीत जाने के बावजूद सरकार उन पांच आतंकियों को पकड़ने में नाकाम क्यों रही। देश इस सवाल का जवाब चाहता है।
राजनाथ : धर्म की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाना जरूरी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेते हुए हमें धर्म की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने 2006 में संसद पर हुए हमले और 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले का दंश झेला है। मुंबई हमला आज भी हर भारतीय के जेहन में ताजा है।
राजनाथ: आतंकवाद के खिलाफ सीमा और वैचारिक दोनों मोर्चों पर लड़ाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ न केवल सीमाओं पर बल्कि वैचारिक स्तर पर भी मजबूती से संघर्ष कर रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री ने कई प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया था, जिसमें ज्यादातर हमारी पार्टी के सांसद शामिल थे। इन समूहों ने वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजनाथ ने इन सभी सम्मानित सदस्यों के योगदान के लिए सिर झुकाकर आभार व्यक्त किया।
राजनाथ सिंह : 2009 में तत्कालीन सरकार के एक फैसले को कहा रणनीतिक चूक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का पाकिस्तान के साथ कोई सांस्कृतिक या सभ्यता का टकराव नहीं है बल्कि यह आतंकवाद और बर्बरता के खिलाफ संघर्ष है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रशिक्षण देता है और फिर विश्व मंच पर खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश करता है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने साफ कर दिया है कि हम आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।उन्होंने 2009 में तत्कालीन सरकार के एक फैसले को रणनीतिक चूक करार दिया, जब पाकिस्तान को अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए न करने की शर्त को कमजोर किया गया। राजनाथ ने इसे एक बड़ी भूल बताया।
पाकिस्तान भारत को नुकसान नहीं पहुंचा सका
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि भारत के मजबूत हवाई रक्षा तंत्र, ड्रोन-रोधी प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों ने पाकिस्तान के हमले को पूरी तरह विफल कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान किसी भी भारतीय लक्ष्य को नुकसान नहीं पहुंचा सका और न ही किसी महत्वपूर्ण संपत्ति को क्षति हुई। भारत की सुरक्षा व्यवस्था अडिग रही और हर हमले को सफलतापूर्वक रोका गया। राजनाथ ने भारतीय सेना के वीर सैनिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी बहादुरी ने दुश्मन के सभी इरादों को नाकाम कर दिया।
जब लक्ष्य हो बड़े तो छोटे मुद्दों पर ध्यान न दें : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब हमारे सामने बड़े लक्ष्य हों, तो हमें छोटे-मोटे मुद्दों में नहीं उलझना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करने से देश की सुरक्षा और सैनिकों के सम्मान व उत्साह जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटक सकता है। उन्होंने विपक्ष के कुछ नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि वे इन छोटे मुद्दों में उलझकर बड़े दायित्वों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध में भारत की जीत को किया याद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि जब भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था, तब हमने तत्कालीन सरकार की सराहना की थी। उन्होंने कहा कि उस समय हमने यह नहीं देखा कि सरकार किस पार्टी की थी या उसकी विचारधारा क्या थी। हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में खड़े होकर तत्कालीन सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की तारीफ की थी। राजनाथ ने जोर देकर कहा कि हमने कभी यह सवाल नहीं उठाया कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के दौरान कितने भारतीय विमान खराब हुए या कितने सैन्य उपकरण नष्ट हुए।
भारत की प्रकृति बुद्ध की युद्ध की नहीं : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान जाकर मैत्री का संदेश दिया था जो दर्शाता है कि भारत की मूल प्रकृति भगवान बुद्ध की शांति से प्रेरित है, न कि युद्ध से। उन्होंने ये भी कहा की वर्तमान सरकार का रुख पूरी तरह साफ है, आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते। एक ऐसे देश के साथ जहां लोकतंत्र का नामोनिशान नहीं धार्मिक कट्टरता हावी है और गोलियों की गूंज सुनाई देती है, कोई सार्थक बातचीत संभव नहीं। राजनाथ ने तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान सरकार आतंकवादियों की नर्सरी चलाती है और उनके लिए राजकीय अंतिम संस्कार तक का प्रबंध करती है।
विपक्ष में रहते हुए भी हमने सेना का सम्मान किया : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चार दशकों के अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी भी दलगत राजनीति को शत्रुता की नजर से नहीं देखा। उन्होंने विपक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि आज सत्ता में होने के बावजूद, हमेशा ऐसा नहीं रहेगा। जब जनता ने हमें विपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी तब भी हमने इसे पूरी निष्ठा से निभाया।उन्होंने याद दिलाया कि जब चीन के साथ युद्ध में दुखद परिणाम सामने आए, तब विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने सवाल उठाए कि विदेशी ताकतों ने हमारी जमीन पर कब्जा क्यों किया और हमारे सैनिकों की जान क्यों गई। उस समय उनकी चिंता सैन्य उपकरणों की नहीं, बल्कि देश की भौगोलिक अखंडता की थी। राजनाथ ने बताया कि तत्कालीन नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में खड़े होकर सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की सराहना की थी, बिना यह पूछे कि युद्ध में भारत के कितने उपकरण नष्ट हुए।
“विपक्ष ने कभी नहीं पूछा हमने दुश्मन के कितने विमान गिराए” – राजनाथ
राजनाथ सिंह ने कहा – “मैंने श्रीनगर, भुज में जाकर खुद देखा कि सुरक्षाबलों की आंखों में विश्वास है। किसी भी देश में जनता सत्ता और विपक्ष को अलग-अलग काम सौंपती है। सत्ता का काम होता है- जनता के लिए काम करना। विपक्ष का काम होता है- सवाल पूछना। कभी-कभी विपक्ष के लोग ये पूछते हैं कि हमारे कितने विमान गिराए। हमसे कभी ये नहीं पूछा कि हमने दुश्मन के कितने विमान गिराए।” हमसे पूछा जाए कि दुश्मन के ठिकाने नेस्तनाबूद किए। इसका उत्तर है- हां। अगर आपका प्रश्न है, ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा तो इसका उत्तर है- हां। अगर हमने मांओं-बहनों के सिंदूर का बदला लिया, तो उत्तर है- हां। अगर प्रश्न है कि हमारे सैनिकोंं की क्षति हुई, तो उत्तर है-नहीं।
पाकिस्तान की हरकत पर फिर शुरू हो सकता है ऑपरेशन सिंदूर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान की पेशकश को इस शर्त के साथ स्वीकार किया गया कि ऑपरेशन सिंदूर को स्थगित नहीं बल्कि केवल अस्थायी रूप से रोका गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान की ओर से कोई भी उकसावे वाली कार्रवाई हुई तो यह ऑपरेशन तुरंत दोबारा शुरू किया जा सकता है। 12 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई जिसमें तनाव कम करने और संघर्ष को रोकने पर सहमति बनी।
ऑपरेशन सिंदूर का मकसद था आतंकियों का सफाया, न कि सीमा पार करना – राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमा पार करना या क्षेत्र पर कब्जा करना नहीं था, बल्कि इसका लक्ष्य वर्षों से पनप रहे आतंकवादियों को निशाना बनाना था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेनाओं को स्वतंत्रता दी गई थी कि वे अपने लक्ष्य स्वयं निर्धारित करें।10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयरबेस पर जोरदार हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने हार स्वीकार कर ली। पाकिस्तानी पक्ष ने संदेश भेजकर अनुरोध किया कि अब हमले रोक दिए जाएं, क्योंकि वे और बर्दाश्त नहीं कर सकते।
राजनाथ सिंह ने कहा- सेनाओं ने अंधेरे में भी जुटाए ठोस सबूत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में बताया कि भारतीय सेनाओं ने रात के अंधेरे में भी न केवल हमलों को नाकाम किया, बल्कि पुख्ता सबूत भी इकट्ठा किए। इन सबूतों को प्रेस ब्रीफिंग के जरिए सार्वजनिक किया गया है। सुरक्षाबलों ने इस चुनौतीपूर्ण मिशन को पूरी तरह सफलतापूर्वक अंजाम दिया। रात 1:35 बजे भारत के डीजीएमओ ने पाकिस्तान के डीजीएमओ से संपर्क कर कार्रवाई की जानकारी साझा की, साथ ही स्पष्ट किया कि यह कदम उकसावे के लिए नहीं था।7-8 मई 2025 को पाकिस्तान ने कई स्थानों पर हमले कर स्थिति को भड़काने की कोशिश की। हालांकि, भारत के आकाश मिसाइल सिस्टम और एयरगंस ने त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करते हुए इन हमलों को पूरी तरह विफल कर दिया।
राजनाथ सिंह ने दी सफाई- भारत की कार्रवाई थी केवल आत्मरक्षा के लिए
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत की ओर से की गई कार्रवाई पूरी तरह से आत्मरक्षा में थी, न कि किसी को भड़काने के इरादे से। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की रणनीति अपनाते हुए हवाई अड्डों सहित कई महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाने की कोशिश की। भारत ने इन सभी प्रयासों को पूरी तरह विफल कर दिया, जिससे पाकिस्तान भारतीय संसाधनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका। सिंह ने रेखांकित किया कि भारत की प्रतिक्रिया पाकिस्तान के हमलों की तुलना में कहीं अधिक सशक्त और प्रभावी साबित हुई।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान नारेबाजी करने पर विपक्षी सांसदों को आड़े-हाथों लिया और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा कि वह अपने दल के नेताओं को समझाएं कि जनता ने उन्हें पर्चिंयां फेंकने तथा तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा है। ओम बिरला ने यह भी कहा कि देश ये जानना चाहता है कि आखिर प्रश्नकाल को नियोजित तरीके से क्यों बाधित किया जा रहा है?
शुरुआती हफ़्ते में कई बार कार्यवाही स्थगित हो चुकी है। संसद में सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार है। जहां विपक्ष सरकार से तीखे सवाल करने के लिए बैठक में तैयारी कर सदन पहुंचा है। संसद के मानसून सत्र का पहला हफ़्ता हंगामे की भेंट चढ़ चुका है, उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भी खूब सुर्खियां बटोरी है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 25 जुलाई को बताया था कि मानसून सत्र का पहला हफ्ता हंगामे में चल गया। ऐसे में अब तक सभी पार्टियों ने मिलकर तय किया है कि सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर स्पेशल सेशन होगा। अगले दिन मंगलवार को राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर 16 घंटे की बहस होगी।