रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित दुर्ग और कांकेर में तीन ऐसी घटनाएं घटीं हैं, जिनमें ईसाई समुदाय निशाने पर था. एक घटना में रायपुर में सरकार ने लीज खत्म हो जाने का हवाला देते हुए ईसाई समाज से 100 साल पुरानी एक ज़मीन वापिस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है, दो अन्य घटनाओं में हिंदूवादी संगठन बजरंग दल सीधे ही एक्शन में था जिसके बाद दुर्ग में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी हो गयी जबकि तीसरी घटना आदिवासी बाहुल्य कांकेर में घटी है वहां ईसाई धर्म अपना चुके एक व्यक्ति के शव को अपनी ही ज़मीन पर दफनाए जाने के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों के साथ बजरंग दल आंदोलित है। खबर बनाये जाने तक इस मामले में शव को रिश्तेदारों द्वारा हत्या की आशंका पर दफनाए गए शव को बाहर निकलवाकर मर्च्युरी पर रखवा दिया है। अब इस शव के बारे में पोस्ट मार्टम के बाद ही निर्णय होगा । इधर ननों की गिरफ्तारी पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा – ‘यह न्याय नहीं, बीजेपी-आरएसएस की भीड़तंत्र है, धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है।’ हलांकि छत्तीसगढ़ की ईसाई समुदाय की ओर से इस खबर को लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
Christian community is the target in Chhattisgarh
दुर्ग में कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी और मानव तस्करी का आरोप
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में रेलवे पुलिस ने रविवार 27 जुलाई 2025 को तीन लोगों को गिरफ्तार किया, इनमें दो नन, प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, और एक स्थानीय निवासी सुकमान मंडावी शामिल हैं। आरोप है कि इन लोगों ने तीन युवतियों (18 से 19 साल की उम्र) को नौकरी का झांसा देकर आगरा ले जाने की कोशिश की। ये युवतियां नारायणपुर जिले की रहने वाली हैं और पुलिस ने शुक्रवार को एक सूचना के आधार पर इस मामले का खुलासा किया।पुलिस के मुताबिक, इन युवतियों को पहले छत्तीसगढ़ में ही नौकरी दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन जब वे दुर्ग पहुंचीं, तो उन्हें बताया गया कि नन उन्हें आगरा ले जाने के लिए आई हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “इन लड़कियों को अच्छी सुविधाएं और हर महीने 8,000 से 10,000 रुपये सैलरी का लालच दिया गया था।” अधिकारी का कहना है कि यह पूरा मामला धोखाधड़ी का था जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की।रेलवे पुलिस (GRP) का कहना है कि शुक्रवार को एक गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की और आरोपियों को हिरासत में लिया। पूछताछ में युवतियों ने बताया कि उन्हें नौकरी के नाम पर भरोसा देकर दूर ले जाने की साजिश रची गई थी। पुलिस का कहना है कि यह मामला कथित रूप से मानव तस्करी का हो सकता है, इसलिए जांच गहराई से की जा रही है।
बजरंग दल ने दावा किया कि ये ननें तीन युवतियों को धर्मांतरण के लिए आगरा ले जा रही थीं। हालांकि पुलिस को इस आरोप के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिला फिर भी ननों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस घटना के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और के.सी. वेणुगोपाल ने इसे भाजपा और आरएसएस की उग्र नीतियों का परिणाम बताया। वेणुगोपाल ने कहा, “भाजपा सरकार ने बजरंग दल जैसे संगठनों को अल्पसंख्यकों पर हमला करने की खुली छूट दे रखी है। यह संविधान के खिलाफ है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।” विपक्ष ने ननों की तत्काल रिहाई की मांग की है और इस मामले को संसद में उठाने की बात कही है। इस मामले पर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा जो कार्रवाई हुई वह गलत कार्रवाई है,सरकार राजनीतिक एजेंडा बनाकर काम कर रही है,सरकार को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए .
राजधानी रायपुर में चर्च की जमीन पर शासन की कार्रवाई
राजधानी रायपुर में शहर के बीचोंबीच स्थित गॉस मेमोरियल ग्राउंड, राजभवन और आकाशवाणी मंदिर के सामने की बेशकीमती जमीन को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। शासन ने युनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थन इंडिया ट्रस्ट से पांच एकड़ से अधिक जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है। यह जमीन 1922 से ट्रस्ट को लीज पर दी गई थी जिसकी अवधि 2022 में समाप्त हो चुकी थी। शासन का दावा है कि लीज खत्म होने के बावजूद ट्रस्ट ने इस पर कब्जा बनाए रखा था। हिंदू स्वाभिमान संगठन की याचिका के बाद शासन ने यह कार्रवाई की। इस परिसर में शहर का सबसे पुराना चर्च और मिशन द्वारा संचालित अंग्रेजी व हिंदी माध्यम का स्कूल भी मौजूद है।
कांकेर में शव दफनाने पर बजरंग दल का विरोध
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में धर्मांतरित ईसाई लगातार हिंदूवादियों के निशाने पर हैं. एक ग्रामीण की मौत के बाद कफ़म दफन को लेकर बीते दो दिनों से जामगांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है, करीब आधा दर्जन गांव के लोग प्रदर्शन किये और धर्मांतरित ग्रामीण के शव को कब्र से बाहर निकालने की मांग की,शव को बाहर नहीं निकलने पर उग्र आंदोलन चक्काजाम की चेतावनी ग्रामीणों ने दी थी , जिसको देखते हुए भारी पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया था । दरअसल जामगांव के रहने वाले सोमलाल राठौर की तबियत बिगड़ने से दो दिन पहले मौत हो गई थी ,जिनका कफ़न दफन उनके परिजनों ने ईसाई रीति रिवाज से अपनी निजी जमीन पर किया था, जैसे ही इस बात की जानकारी ग्रामीणों को हुई, ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया, ग्रामीणों का कहना है कि गांव की अपनी परम्परा होती है, लेकिन उक्त ग्रामीण के परिवार ने धर्म परिवर्तन किया है और ईसाई रीति रिवाज से कफ़न दफन किया है, इसलिए शव को बाहर निकालकर ईसाई कब्रिस्तान में दफन किया जाए। खबर बनाये जाने तक इस मामले में शव को रिश्तेदारों द्वारा हत्या की आशंका पर दफनाए गए शव को बाहर निकलवाकर मर्च्युरी पर रखवा दिया है। अब इस शव के बारे में पोस्ट मार्टम के बाद ही पता चलेगा।
धर्म परिवर्तन और मृत्यु के बाद धर्म परिवर्तित व्यक्ति के शव के अंतिम संस्कार को लेकर पिछले कुछ समय से बस्तर में विवाद की कई घटनाएं घट चुकी हैं।छत्तीसगढ़ में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान भी ये विवाद मुद्दा बने थे। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पंहुचा था,जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी भी की थी।तब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने अलग–अलग सुझाव दिए थे। जस्टिस नागरत्ना ने सुझाव दिया था कि संविधान के अनुच्छेद 140 व 15 अ के तहत मृतक को उनकी निजी भूमि में दफनाया जाए, जबकि जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले के साथ दिखे, जिसमें मृतक को गांव की जमीन में शव दफनाने का अधिकार नहीं दिया गया था।अंततः यह फैसला दिया गया की मृतक का अंतिम संस्कार सम्मानजनक ढंग से हो और मृतक को उनकी निजी जमीन में ही दफनाया जाए।
इन मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ के ईसाई समुदाय की ओर से अब तक चुप्पी ही है। लेकिन आने वाले दिनों में ये मामले क्या रूप लेते हैं इसपर हमारी नज़र रहेगी।